अपनी तत्परता और मर्जी से सामाजिक कार्यकर्ता बने श्री दुर्योधन साहू जिन्हें कि आम तौर पर ‘बुला भाई’ के नाम से भी जाना जाता है। वे कुमुरीसिंघा ग्राम पंचायत की अंगुल पंचायत समिति के सरपंच हैं। 2014 में अक्टूबर के पहले हफ्ते जिला प्रशासन ने अंगुल पंचायत समिति के 32 ग्राम पंचायतों को खुले में शौच मुक्त बनाने का निर्णय लिया। इस कार्य को समुदाय आधारित सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान द्वारा हासिल करने का लक्ष्य बनाया गया।
बुला भाई ने शासन का लोगों को सब्सिडी देने का इंतजार नहीं किया बल्कि उन्होंने अपनी स्वयं की 3 लाख रुपए की जमापूँजी शौचालय बनवाने के लिए दे दी। यह राशि उन्होंने अपने टूटे हुए मकान की मरम्मत करने के लिए रखी हुई थी।
20 किलोमीटर में फैले, उनके ग्राम पंचायत में 9 राजस्व गाँवों के साथ 1519 घर हैं जिनमें विभिन्न समुदायों के लोग रहते हैं। इस बात का अहसास होने पर कि खुले में शौच जाने से स्वास्थ्य और सेहत पर बुरा असर पड़ता है, बुला भाई ने अपने समुदाय को इसके लिए समझाने और स्वच्छ भारत मिशन के विषय में समझाने की जिम्मेदारी अपने ऊपर ली। उनकी सहभागिता, निष्ठा और नेतृत्व में अंगुल के जिला पेयजल और स्वच्छता मिशन और फीडबैक फाउण्डेशन ने लगातार समुदाय को समझाने व जागरूक करने का प्रयास किया।
बुला भाई ने शासन का लोगों को सब्सिडी देने का इंतजार नहीं किया बल्कि उन्होंने अपनी स्वयं की 3 लाख रुपए की जमापूँजी शौचालय बनवाने के लिए दे दी। यह राशि उन्होंने अपने टूटे हुए मकान की मरम्मत करने के लिए रखी हुई थी।
बुला भाई की सादगी और मधुर भाषी अंदाज ने लोगों का दिल जीत लिया। इसी वजह से वो 124 भारत निर्माण कार्यकर्ताओं और महिला स्वयं सहायता समूहों को एकजुट करके प्रशिक्षण देने में सफल रहे। सभी ने मिलकर प्रबन्ध कमेटियाँ बनाई ताकि शौचालय बनवाने की प्रगति को पारदर्शी बनाया जा सके। भारत निर्माण कार्यकर्ता विकास ने इस प्रक्रिया में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।
बुला भाई की सादगी और मधुर भाषी अंदाज ने लोगों का दिल जीत लिया। इसी वजह से वो 124 भारत निर्माण कार्यकर्ताओं और महिला स्वयं सहायता समूहों को एकजुट करके प्रशिक्षण देने में सफल रहे।
कुमुरीसिंघा गाँव के गोच्छायत साही समुदाय के लोग जिन्हें कि नीच जाति का माना जाता है, ने खुद को पहले इस प्रक्रिया से दूर रखा। हालाँकि जैसे-जैसे कार्य बढ़ता गया वे भी खुद को इस अभियान से जोड़ते गए। आज यह गाँव अपनी महानता के कारण अनोखा बन गया है।
आम नागरिकों ने भी इस प्रक्रिया के दौरान अनुकरणीय योगदान दिया। उन्होंने शर्म का त्याग करके सुबह-शाम लोगों को खुले में शौच करने से रोकने के लिए सभी हथकण्डे अपनाए। गाँधीगिरी अपनाते हुए दूसरों के मल पर मिट्टी डाली और साथ ही लोगों को डराया कि उनकी खुले में शौच करने वाली तस्वीरों को प्रमुख जगहों पर लगाया जाएगा।
आज कुमुरीसिंघा ने सिर्फ तीन महीने में खुद को ओड़िशा की पहली खुले में शौच मुक्त ग्राम पंचायत बनाने का तमगा हासिल किया है। यह सभी हिस्सेदारों और नई पीढ़ी के सहयोग द्वारा सफल हो पाया।
कृप्या कुमुरीसिंघा पंचायत की सम्पूर्ण कहानी जानने के लिए नीचे दिया गया पीडीएफ या लिंक पर क्लिक कीजिए।
http://www.mdws.gov.in/sites/upload_files/ddws/files/pdf/book.pdf
/articles/odaisaa-kai-pahalai-khaulae-maen-saauca-maukata-garaama-pancaayata