2011 की जनगणना के अनुसार 47 प्रतिशत भारतीय घरों में शौचालय की व्यवस्था है। ये आकँड़े खुश करने वाली नहीं है। फिर भी 2001 से तो ठीक ही हैं जिसमें सिर्फ 36 फीसदी लोगों के घरों में शौचालय थे।
सरकार ये विवरण सांख्यिकी मन्त्रालय की केन्द्रीयकृत प्रक्रियाओं जैसे कि जनगणना और राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण द्वारा इकट्ठा करती है।
यह एप्लिकेशन न सिर्फ शौचालय उपस्थिति का ट्रैक रखती है बल्कि उसके उपयोग की जानकारी भी रखती है।
पेयजल और स्वच्छता मन्त्रालय स्वच्छ भारत मिशन को लान्च करके बेहद खुश हो रही है। इसमें विकेन्द्रीकृत आधार पर देश भर के शौचालयों की उपस्थिति और उपयोगी जानकारियाँ हासिल की जा सकती हैं।
शौचालय की उपस्थिति और उपयोग को ट्रैक करना
राष्ट्रीय सूचना केन्द्र के साथ मिलकर पेयजल एवं स्वच्छता मन्त्रालय ने एक मोबाईल आधारित एप्लीकेशन लांच की है। इससे स्वच्छ भारत अभियान को मजबूती मिलेगी। फिलहाल यह सेवा केवल एंड्रायड धारकों को ही उपलब्ध है। इस सेवा का ऑफलाइन संस्करण भी मौजूद है।
इस एप की मदद से उपयोगकर्ता घरेलू शौचालय की तस्वीरें अपलोड कर सकते हैं। जीपीएस की मदद से उन्हें टैग भी कर सकते हैं। लाभार्थी का विवरण उसके अक्षांश और देशांतर के साथ एसबीएम सर्वर में सहेज कर रखा जा सकता है।
यह एप्लिकेशन न सिर्फ शौचालय उपस्थिति का ट्रैक रखती है बल्कि उसके उपयोग की जानकारी भी रखती है। इसका एक खण्ड पंचायत स्तर पर शौचालय दस्तावेजों का ध्यान रखता है। एक अलग खण्ड पंचायत स्तर पर शौचालय के उपयोग के दस्तावेज के लिए समर्पित है। इसके अनिवार्य क्षेत्रों में शामिल हैं घर का पता, शौचालय काम कर रहा है या अथवा मृत है, यदि हाँ तो कबसे। दूसरी जानकारियों में शामिल है शौचालय में पानी की व्यवस्था और रखरखाव।
चोरी छिपे देखना
व्यक्तिगत घरेलू शौचालय की उपस्थिति और उपयोग के विवरण को बता पाने में निर्मल भारत अभियान एप कुछ हद तक सफल नहीं रही।
देश भर के विभिन्न ग्राम पंचायतों से एकत्रित की गईं तस्वीरें केन्द्रीय सर्वर में संग्रहित की जाती हैं। लाभार्थी का सम्पूर्ण विवरण एसबीएम साइट की 'पंचायत प्रगति' खण्ड में ऑनलाइन देखा जा सकता है। लेकिन उसके द्वारा अपलोड शौचालयों की तस्वीरें साइट पर कहीं भी दिखाई नहीं देती। इससे भी शौचालय के उपयोग और उपस्थिति की प्रमाणिकता पर सवाल उठता है।
देश भर के विभिन्न ग्राम पंचायतों से एकत्रित की गईं तस्वीरें केन्द्रीय सर्वर में संग्रहित की जाती हैं। लाभार्थी का सम्पूर्ण विवरण एसबीएम साइट की 'पंचायत प्रगति' खण्ड में ऑनलाइन देखा जा सकता है।
उपयोग अनुभाग में, शौचालय के क्रियान्वयन और निष्क्रिय होने की जानकारी तो मिलती है लेकिन ये नहीं पता चलता कि परिवार के कितने लोग उस शौचालय का इस्तेमाल करते हैं। शौचालय की उपस्थिति और उपयोग से सम्बन्धित डेटा से यह साफ नहीं होता कि उक्त गाँव या परिवार खुले में शौच मुक्त हैं या नही। हो सकता है कि परिवार के कुछ सदस्य खुले में शौच के लिए जाते हों लेकिन उसे मापने का अभी कोई उपलब्ध साधन नहीं है।
इन अस्पष्टताओं के बावजूद, यह खुशी की बात है कि सरकार सूचना, संचार और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों की सहायता से विकेन्द्रीकृत समाधान ढूंढ रही है। वर्तमान में, राज्य सरकारें एसबीएम एप पर उपलब्ध जानकारियों को अपने राज्य की प्रगति से माप रही हैं ताकि केन्द्र को प्रमाणिक जानकारी मुहैया कराई जा सके।
अपने कुछ स्पष्ट सवालों और जागरूकता की वजह से यह एप्लिकेशन कार्यकर्ताओं और गाँव स्वयंसेवकों के बीच एक परिवर्तन लाने में मदद करेगी। देश के स्वच्छता आँकड़ों में परिवर्तन लाने मे इस एप को एक अभी एक लम्बा रास्ता अख्तियार करना है।
आप एसबीएम एप से सम्बन्धित सामग्री नीचे दिए गए लिंक से डाउनलोड कर सकते हैं।
http://censusindia.gov.in/2011census/hlo/Data_sheet/India/Latrine.pdf
/articles/manataraalaya-nae-laanca-kai-savacacha-bhaarata-epa