शौचालय का महत्व
हमारे समाज में अधिकांश गाँव में तथा कुछ शहरों में कई लोगों के द्वारा आज भी खुले में शौच जाने की प्रथा जारी है और लोग खुले में शौच जाने को न तो गलत मानते हैं और न ही हानिकारक। अभी भी भारत की 50 प्रतिशत से अधिक आबादी ये नहीं जानती कि खुले में शौच जाने से उनके स्वास्थ्य पर कितना विपरीत प्रभाव पड़ता है, इससे कई तरह की बीमारियाँ होती हैं। इसलिए जीवन को स्वच्छ बनाए रखने एवं बीमारियों से बचाव के लिए खुले में शौच को रोकना अत्यन्त आवश्यक है। आइए जाने कि खुले में शौच मानव जीवन के स्वास्थ्य को भी निम्न प्रकार से प्रभावित करता है :-
1. जल स्रोतों में संक्रमण होता है।
2. मनुष्य को मल-मुख बीमारियाँ तथा कृमि सम्बन्धी बीमारी हो सकती हैं। खासतौर पर बच्चों के स्वास्थ्य पर ज्यादा प्रभाव पड़ता है।
3. सड़क तथा झाड़ियों के बीच शौच करते समय साँप तथा कीड़ों का भय बना रहता है।
4. पर्यावरण भी दूषित होता है क्योंकि गाँव के चारों तरफ गन्दगी यानी मल ही मल दिखाई देता है।
5. बरसात के मौसम में बाहर शौच करने से संक्रमण का खतरा और भी अधिक बढ़ जाता है और अधिक गन्दगी भी फैलती है।
महिलाओं और किशोरी लड़कियों को बाहर शौच करने में और भी अधिक असुविधाओं का सामना करना पड़ता है। उदाहरण इस प्रकार हैं :-
1. सूर्योदय से पूर्व तथा सूर्यास्त के बाद महिलाओं को दूर-दूर तक के स्थानों को खोजना पड़ता है।
2. दिन के समय उन्हें शौच की आवश्यकता महसूस होने पर खुले में शौच हेतु कोई सुरक्षित स्थान नहीं मिलता है।
3. शौच जाने के लिए बाहर जाने में दिन तथा रात दोनो समय महिलाओं और लड़कियों के साथ यौनिक हिंसा होने का खतरा रहता है।
4. माहवारी तथा गर्भावस्था के समय बाहर शौच जाने में महिलाओं को और भी अधिक समस्या होती है जिस कारण से वो शौच जाने को अनदेखा करती है और कई बार तो ऐसे समय में वो शौच जाती ही नहीं है। जिससे बीमार होने की समस्या बढ़ जाती है।
शौचालय बनाने के फायदे :-
1. महिलाओं की सुरक्षा बनी रहती है। साथ ही घरेलू और बाहर की हिंसा में कमी आती है।
2. घरेलू शौचालय के इस्तेमाल से मलमुख के द्वारा फैलने वाली बीमारियों से बचाव होता है।
3. पर्यावरण सुरक्षित होता है तथा जल जनित बीमारियों से मुक्ति मिलती है।
4. जंगली जानवरों तथा साँप की़ड़ों इत्यादि के काटने का भय नहीं रहता।
5. गरिमा तथा आत्मसम्मान में भी वृद्धि होती है।
6. बुजुर्गों व बीमार व्यक्तियों को भी सुविधा होती है।
सबीना के परिवार को कोई समस्या नहीं है क्योंकि उसने अपने घर में शौचालय बनवा लिया है। इससे उसके परिवार की महिलाओं, बूढ़ों, बीमारों आदि को न केवल एकान्त मिलता हैै बल्कि बरसात में यह सुविधाजनक भी है। स्वच्छ शौचालय को बच्चे भी उपयोग करते हैं। सबीना तथा इनके परिवार के सदस्य सम्मानपूर्वक शौचालय का उपयोग कर रहे हैं।
साभार : पानी, स्वच्छता एवं आजीविका मार्गदर्शिका
/articles/maanava-mala-kaa-saurakasaita-naipataana-saaucaalaya