खुले में शौच जाने को विवश हैं शिक्षिकाएँ

लखीमपुर-खीरी (डीएनएन)। एक ओर सरकार परिषदीय विद्यालयों में छात्र संख्या बढ़ाने के लिये तरह-तरह की योजनायें लागू कर उन पर करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा रही है वहीं इन परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र, छात्राओं और स्टाफ की सुविधा के लिये बनवायें गए शौचालयों की मरम्मत न होने के कारण छात्राओं और अध्यापिकाओं को काफी परेशानी हो रही है। बार-बार माँग करने के बावजूद अभी तक विद्यालय के शौचालयों की मरम्मत नहीं हो सकी है। जिससे यहाँ की छात्राओं और अध्यापिकाओं को गाँव के ही दूसरे विद्यालय में शौच के लिये जाना पड़ रहा है।

 

विकास खण्ड सदर के कैमहरा गाँव के प्राथमिक विद्यालय द्वितीय में काफी समय से शौचालयों की मरम्मत नहीं करवाये जाने से उनके दरवाजे टूट कर गायब हो गये हैं। कहने को गाँव में सफाई कर्मी भी तैनात है लेकिन विद्यालय की प्रधानाध्यापिका व बच्चों की माने तो विद्यालय की सफाई करने सरकारी सफाई कर्मी आता ही नहीं है जिसके कारण विद्यालय प्रांगण व शौचालय के आस पास जंगल व झाड़ियां फैल गई हैं। इस गन्दगी के चलते जहाँ एक ओर संक्रामक रोगों के फैलने की आशंका है वहीं दूसरी ओर बच्चों को खेलने व शौच जाने के लिये परेशानी हो रही है।

 

विद्यालय की प्रधानाध्यापिका अजय मिश्रा का कहना है कि विभाग से कई बार शौचालय की मरम्मत करवाने की माँग करने के बाद भी अभी तक इसका बजट नहीं आया है। जिससे उनको और पूरे स्टाफ व छात्राओं को शौच के लिये गाँव के ही प्राथमिक विद्यालय प्रथम में जाना पड़ता है।

 

विद्यालय की कक्षा पाँच की छात्राएँ मोहिनी व ऐश्वर्या ने बताया कि शौचालय न होने के कारण शौच के लिये खेतों या अपने घरों के शौचालयों में जाना पड़ता है। कक्षा तीन की साइबा व गायत्री का कहना है कि स्कूल का शौचालय इतना गन्दा रहता है कि वहाँ कोई भी शौच के लिये नहीं जाता है।

 

कक्षा दो की छात्राएँ अनुराधा, सोनम, मुस्कान का कहना है कि स्कूल के मैदान में गन्दगी होने के कारण खेलने की जगह नहीं मिलती है। इस विद्यालय में प्रधानाध्यापिका अजय मिश्रा के अलावा किरण वर्मा, निधी वर्मा व दिग्दर्शिनी यादव बतौर प्रशिक्षु शिक्षक तैनात हैं जबकि शिक्षा मित्र रेखा राजवंशी हैं।

 

साभार : डेली न्यूज ऐक्टिविस्ट 3 अप्रैल 2015

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