नई दिल्ली, 20 मई (ईएनएस)। प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान को कानूनी आधार देने के लिए केन्द्र सरकार गन्दगी फैलाने, खुले में कचरा डालने, इलेक्ट्रानिक कबाड़ जमा करने को अपराध की श्रेणी में शामिल करने पर गौर कर रही है। इस जुर्म के लिए कसूरवार को ठौर पर जुर्माना भरना पड़ेगा। पर्यावरण और वन मन्त्रालय के सूत्रों ने बताया कि सार्वजनिक जगहों को विकृत करने और प्रतिबन्धित प्लास्टिक थैलों, पॉलिथीन के इस्तेमाल को भी जुर्म माना जाएगा। केन्द्र का मानना है कि कानूनी ढाल मिलने से स्वच्छता अभियान को जारी रखने में कामयाबी मिलेगी।
सूत्रों ने बताया कि इस बाबत संसद के मानसून सत्र में पर्यावरण सम्बन्धी एक संशोधन बिल पेश किया जाएगा। सरकार का इरादा है कि सार्वजनिक जगहों पर सेहत के लिए खतरा पैदा करने वाले इन उल्लंघनों को गैर-संज्ञेय अपराध की श्रेणी में शामिल कर लोगों को सचेत किया जाए और सफाई अभियान को कामयाब बनाया जाए।
सूत्रों का कहना है कि मौजूदा पर्यावरण (संरक्षण) कानून (ईपीए) के तहत इस तरह के जुर्म पर आर्थिक जुर्माना या दण्ड का प्रावधान नहीं है। इस तरह के उल्लंघन पर मौजूदा दण्ड व्यवस्था भी कारगर नहीं साबित हो पाई है। नए प्रावधान के बाद दण्डात्मक रोक और सामाजिक जागरुकता से स्वच्छता अभियान को नई दिशा मिल सकती है।
सूत्रों का कहना है कि नए संशोधन के बाद पर्यावरण संरक्षण कानून में गन्दगी फैलाने के अपराध को ‘मामूली जुर्म’ के तौर पर परिभाषित किया जाएगा। इस जुर्म में पकड़े जाने पर प्राथमिकी दर्ज करने या गिरफ्तारी की जरुरत नहीं पड़ेगी। बल्कि इस तरह के अपराध (लोगों की सेहत के लिए खतरा पैदा करना) में ठौर पर ही आरोपी को जुर्माना भरना पड़ेगा।
सूत्रों के अनुसार जुर्माना 500 रुपए का हो सकता है। हालाँकि जुर्माने की राशि केन्द्रीय कानून से निर्धारित स्थानीय निगम कानून के आधार पर ही तय की जाएगी। सूत्रों ने बताया कि इस मामूली अपराध में प्रतिबन्धित सामग्री- प्लास्टिक थैले वगैरह, का उत्पादन, इनको जमा करना भी शामिल होगा।
साभार : जनसत्ता 21 मई 2015
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