कोटा, पत्रिका। शहर का कूड़ा नगर निगम के लिए मुसीबत बनने की बजाय कमाई का जरिया बन जाएगा। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के तहत नगर निगम वेस्ट मैनेजमेंट एक्शन प्लान तैयार कर रहा है। इसमें कूड़े से बिजली और खाद बनाने की सम्भावनाएँ तलाशी जा रही हैं। दूसरी ओर शक्ति नगर से नगर निगम ने घर-घर जाकर कूड़ा एकत्र करने के पायलेट प्रोजेक्ट की शुरुआत की है।
तेजी से विकसित हो रहे शहरों में उचित कूड़ा प्रबंधन नहीं होने से शहर के बाहर कूड़े के पहाड़ खड़े हो गए हैं, जो जल, जंगल और जमीन को जहरीला बना रहे हैं। इसे लेकर भारत सरकार ही नहीं संयुक्त राष्ट्र तक चिन्तित है। इसके लिए संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम और स्वच्छ भारत मिशन के जरिए कूड़े के उचित निस्तारण का रास्ता खोजने की कोशिश शुरू हो गई है। दोनों कार्यक्रमों में कोटा को शामिल करते हुए अन्तरराष्ट्रीय स्वयंसेवी संगठन आईसीएलईएई-साउथ एशिया को इसके निस्तारण का रास्ता सुझाने की जिम्मेदारी दी है। एनजीओ के प्रतिनिधि शहर से उत्सर्जित कूड़े की प्रकृति पता कर उससे बिजली बनाने की सम्भावनाएँ तलाश रहे हैं।
एनजीओ की प्रोग्राम कॉर्डिनेटर (एनर्जी एण्ड क्लाईमेट) सौम्या और उनकी सहयोगी डॉ. हेमलता गाँधी शनिवार को नान्ता रोड स्थित ट्रेचिंग ग्राउण्ड पहुँचे। जहाँ उन्होंने कूड़े के नमूने लिए। उन्होंने बताया कि कोटा में कूड़े के साथ प्लास्टिक बड़ी मात्रा में आ रहा है। इसके चलते यहाँ मीथेन एनर्जी पावर प्लांट लगाने की अच्छी सम्भावनाएँ है। उन्होंने बताया कि शहर में किस मोहल्ले से कैसा कूड़ा आ रहा है, उसके भी सैम्पल ले रहे हैं, ताकि विस्तृत रिपोर्ट बन सके। एनजीओ दिसम्बर में अपनी रिपोर्ट नगर निगम और राज्य सरकार को सौंप देगी।
शुरू हुआ डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन
सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का एक्शन प्लान बनाने के साथ ही डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन का पायलेट प्रोजेक्ट शुरू करने की जिम्मेदारी भी यही एनजीओ उठा रहा है। उन्होंने बताया कि शक्ति नगर से घर-घर कूड़ा जमा करने की शुरुआत कर दी गई है। जल्द ही दूसरे मोहल्लों में भी इसे शुरू किया जाएगा।
कूड़े से बन सकेगी खाद
सौम्या ने बताया कि सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट की कोटा में तत्काल जरूरत है। इसके लिए कूड़े का उचित निस्तारण हो सकेगा और खाद भी बनाई जा सकेगी। इसे रासायनिक खाद की जगह इस्तेमाल किया जा सकेगा। खाद की उपयोगिता पता करने के लिए भी एनजीओ सैम्पलिंग कर रहा है।
साभार : राजस्थान पत्रिका 28 सितम्बर 2015
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