नई दिल्ली। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने बवाना-नरेला मार्ग पर कचरा प्रसंस्करण संयंत्र को दो साल में पूरा कर परिचालन में लाने का निर्देश दिया है और दिल्ली राज्य औद्योगिक एवं ढाँचागत विकास निगम लिमिटेड (डीएसआईआईडीसी) से हलफनामा माँगा है।
एनजीटी प्रमुख न्यायाधीश स्वतन्त्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने डीएसआईआईडीसी के प्रबंध निदेशक से हलफनामा देने को कहा है कि यह सारी परियोजना दो साल में पूरी कर ली जाएगी। यह परियोजना हानिकारक कचरे के लिए शोधन भण्डारण व निपटान सुविधा (टीएसडीएफ) से जुड़ी है।
उत्तर दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) ने यह संयंत्र स्थापित करने के लिए 13 मई को 14 एकड़ से अधिक जमीन डीएसआईआईडीसी को सौंपी थी। उल्लेखनीय है कि पीठ बलम सिंह रावत की एक याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसमें मुंडका गाँव में हानिकारक कचरे के निपटान की इकाई लगाने की चुनौती दी थी क्योंकि इसके लिए कथित रूप से पर्यावरणीय मंजूरी नहीं ली गई।
साभार : नेशनल दुनिया 25 जुलाई 2015
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