जयपुर। सरकारी स्कूलों में बालिकाओं को साफ सुथरे शौचालय मुहैया कराने की हाईकोर्ट की मंशा को राज्य सरकार ने विफल कर दिया है। कोर्ट ने करीब सवा माह पहले स्कूलों में शौचालय निर्माण और निर्मित शौचालयों की दशा पर मॉनिटरिंग राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग अध्यक्ष को सौंपी थी, लेकिन अध्यक्ष नियुक्त करने के लिए तय एक माह की मियाद पूरी होने के बाद भी आयोग मुखिया को तरस रहा है।
हाईकोर्ट ने चार साल पहले आईएएस अधिकारी बीबी मोहन्ती को आयोग अध्यक्ष का चार्ज देने पर आपत्ति जताते हुए बच्चों के लिए कार्य करने वालों को ही अध्यक्ष व सदस्य बनाने का आदेश दिया था। उसके बाद एक बार तो अध्यक्ष नियुक्त हो गया, लेकिन जनवरी 2014 में अध्यक्ष पद से दीपक कालरा के इस्तीफा देने के बाद से आयोग में फिर से आईएएस राज आ गया है। सवा साल में तीन आईएएस अधिकारी अध्यक्ष का चार्ज ले चुके हैं। वर्तमान में महिला एवं बाल विकास विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव गुरजोत कौर के पास चार्ज है। स्थायी अध्यक्ष न होने से आयोग में नियमित सुनवाई की कोई व्यवस्था नहीं है।
यह कहा था हाईकोर्ट ने
20 फरवरी 2015- सरकारी स्कूलों में पेयजल, टॉयलेट और उनमें पानी व सफाई की व्यवस्था की राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग नियमित मॉनिटरिंग करे लेकिन ध्यान में आया है कि लम्बे समय से आयोग में अध्यक्ष नहीं है, ऐसे में एक माह के भीतर अध्यक्ष की नियुक्ति की जाए और दो माह में प्रगति रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जाए। अब सुनवाई 28 अप्रैल को होगी।
चल रही प्रक्रिया
अध्यक्ष नियुक्ति का प्रस्ताव विभाग ने आगे भेज दिया है, प्रक्रिया चल रही है। समय के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता- गुरजोत कौर, अतिरिक्त मुख्य सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग।
साभार : राजस्थान पत्रिका 6 अप्रैल 2015
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