संजय त्रिपाठी
अलवर, टोंक तथा गाजियाबाद की पुनर्वासित स्कैवेंजर महिलाओं, वृन्दावन की विधवाओं, सुलभ वोकेशलन ट्रेनिंग सेन्टर के छात्र-छात्राओं, सुलभ पब्लिक स्कूल के अलावा सुलभ स्कूल सैनिटेशन क्लब के सदस्यों और अन्य गण्यमान्य व्यक्तियों से खचाखच भरे दिल्ली के फिक्की-सभागार में लोगों की दृष्टि मंच के एक कोने में रखे विशाल केक से हट नहीं रही थी। फोटो जर्नलिस्ट के अलावा हर कोई इस केक को अपने मोबाईल/कैमरे में कैद करने को आतुर थे। सुलभ-द्वारा प्रस्तावित एवं संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित 19 नवम्बर को ‘विश्व शौचालय दिवस’ के अवसर पर सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस ऑर्गनाइजेशन द्वारा 250 किलोग्राम वजनी केक तैयार किया गया था। 16 फुट लम्बे, 10 फुट चौड़े इस केक को बनाने में 40 किलोग्राम मक्खन, 40 किलोग्राम चीनी, 1000 अण्डे, 48 किलोग्राम आटा और 20 किलोग्राम चॉकलेट का इस्तेमाल किया गया।
यह सच है कि आज भी भारत में करोड़ों लोगों के पास अपना शौचालय नहीं है, वे खुले में शौच जाने के लिए विवश हैं। बावजूद इसके शौचालय के प्रति लोगों में जागरूकता आई है। यह सुलभ के संस्थापक का ही प्रयास रहा कि जिस शौचालय के नाम पर पहले लोग नाक-भौं सिकोड़ते थे, आज उसी शौचालय की चर्चा लोगों के ड्राइंग रूप और डाइनिंग टेबल पर होने लगी है। अपने घर के शौचालय को साफ रखना भी लोग सीख रहे हैं। टी.वी. पर एक विज्ञापन आता था कि लड़की को देखने घर पर लड़के की माँ आती है तो सबसे पहले वह घर का शौचालय देखती है। आज घर का शौचालय उस घर की स्वच्छता और संस्कृति का प्रतीक बन गया है।
इस अवसर पर सुलभ संस्थापक डॉ. विन्देश्वर पाठक ने कहा कि ‘यह केक भले ही हास्यापद लगे, लेकिन इसका मकसद बहुत ही गम्भीर है। इससे लोगों में एक जागरूकता आएगी कि शौचालय हमारे लिए कितना महत्वपूर्ण है। इस केक के कटने के साथ ही देश में शौचालयों के लिए सुलभ का आंदोलन शुरू हो जाएगा।’ डॉ. पाठक ने कहा कि दिल्ली के पाँच सौ स्कूली बच्चों और पूर्व में सर पर मैला ढोने वाली स्कैवेंजरों की मदद से इस अभियान को सफल किया जाएगा।’
अंततः ‘हैप्पी बर्ड डे टू शौचालय’ गीत के साथ इस विशाल केक को काटा गया तो सभागार में उपस्थित सभी लोगों ने खड़े होकर जोरदार तालियों से इस आन्दोलन का स्वागत किया। स्कूली बच्चों के धैर्य की सीमा टूट गई और वे मन्च तक चले आए। संस्थापक महोदय ने सभी बच्चों को अपने हाथों से केक खिलाया। पूरे आयोजन का यह सबसे लम्बा सत्र था। इस केक को दिल्ली के मशहूर शेफ वीरेन्द्र दत्ता ने घण्टों परिश्रम के बाद बनाया था।
साभार : सुलभ इण्डिया नवम्बर 2013
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