ग्रामीण स्वच्छता और पेयजल पर ई-बुक

संविधान की ग्यारहवीं अनुसूची में पेयजल और स्वच्छता को 61 अन्य विषयों के साथ राज्य का मुद्दा बताया गया है। राज्यों की जिम्मेदारी के रूप में सूचिबद्ध होने के बावजूद केन्द्र सरकार को इन्हें लागू करवाने में मदद करनी पड़ती है।

पेयजल और स्वच्छता मन्त्रालय की यह जिम्मेदारी है कि भारत के हर गाँव-शहर तक साफ पानी और स्वच्छता सुविधाएँ पहुँचे। वर्तमान में पेयजल और स्वच्छता मन्त्रालय राज्य सरकारों को स्वच्छ भारत मिशन और ग्रामीण पेयजल प्रोग्राम के अन्तर्गत आर्थिक मदद दे रहा है।

2012 से 2022 में जो तीन लक्ष्य हमें हासिल करने हैं उनमें शामिल है- स्वच्छता सुविधाओं से परिपूर्ण वातावरण, बेहतर हाईजीन और ठोस तथा तरल अपशिष्ट का उचित निपटान।

पेयजल और स्वच्छता मन्त्रालय ने एक ई-बुक निकाली है जिसमें कि स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के सिद्धांत और ग्रामीण क्षेत्रों के सफल प्रयासों को शामिल किया गया है।

भारत के ग्रामीण क्षेत्र में स्वच्छता

राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठल (एनएसएसओ) द्वारा 2012 में किए गए सर्वेक्षण से पता चला है कि कुल 40 प्रतिशत ग्रामीण घरों में शौचालय हैं। जिसमें केरला पहले स्थान पर जबकि बिहार आखिरी पायदान पर काबिज है।

2012 से 2022 में जो तीन लक्ष्य हमें हासिल करने हैं उनमें शामिल है- स्वच्छता सुविधाओं से परिपूर्ण वातावरण, बेहतर हाईजीन और ठोस तथा तरल अपशिष्ट का उचित निपटान।

स्वच्छ भारत मिशन के अन्तर्गत केन्द्र सरकार निजी घरेलू शौचालय बनाने के लिए 12,000 में से 9,000 रुपए की प्रोत्साहन राशि प्रदान करता है। अपनी स्थापना के बाद से, पाँच लाख से अधिक घरों में व्यक्तिगत शौचालयों का निर्माण देश भर में किया गया है और इसका डेटा लगातार मन्त्रालय की वेबसाइट पर अपलोड किया जा रहा है।

ग्रामीण पेयजल
 

70 की शुरुआत से ही विभिन्न योजनाओं के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में पीने के लिए सुरक्षित और पर्याप्त पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु केन्द्र सरकार ने काफी प्रयास किए हैं। ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में सभी ग्रामीण परिवारों को जल संरक्षण योजना से जोड़ना है ताकि 2022 तक 90% परिवारों को पाइप जल आपूर्ति से जोड़ा जा सके।
 

पारम्परिक जल संचयन को महत्व दिया गया और ग्रामीण जल सुरक्षा को गाँव और दूर-दराज के क्षेत्रों में निरन्तर पानी की आपूर्ति सुनिश्चित की गई। एकीकृत सूचना प्रबन्धन प्रणाली को सही रखा गया और इसे कई राज्यों में भी शुरू किया गया।

 

पारदर्शिता और जवाबदेही

 

जब इस तरह की परियोजना को प्रस्तावित किया गया, सभी कोनों से फण्ड के उपयोग के विषय में सवाल आना लाजिमी था। नियमित समीक्षा बैठकों के अलावा, अधिकारियों से ऑनलाइन प्रगति का बही खाता बनाए रखने की भी उम्मीद की गई। इन ऑनलाइन डेटा प्रबन्धन प्रणाली के साथ ही तीसरे पक्ष के मूल्यांकनों द्वारा इसे पारदर्शी और जाँच के लिए खुला बनाए रखने में मदद मिली।

 

स्वच्छ भारत मिशन ने सोशल मीडिया में अपनी अच्छी पकड़ बनाई है। यह कार्यक्रम फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर लगातार अपलोड होती वीडियो और प्रयासों के माध्यम से लोगों तक पहुँच रहा है।

 

वाटसन द्वारा जागरूकता पैदा करना

 

विकास की प्रक्रिया में समुदाय के सहयोग के महत्व को देखते हुए मन्त्रालय ने किसी भी योजना के प्रारम्भ से पहले जागरूकता पैदा करने में काफी समय और प्रयास खर्च किया गया है। रैलियों और नुक्कड़ नाटकों के जरिये पानी जनित रोगों और सुरक्षित स्वच्छता के महत्व के बारे में लोगों को जागरूक किया जा रहा है।

 

स्वच्छ भारत मिशन ने सोशल मीडिया में अपनी अच्छी पकड़ बनाई है। यह कार्यक्रम फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर लगातार अपलोड होती वीडियो और प्रयासों के माध्यम से लोगों तक पहुँच रहा है।

 

जब से मन्त्रालय ने यह महसूस किया है कि विकासात्मक कार्यों से लोगों को जोड़ने में फायदा है तब से हर योजना को लागू करने से पहले काफी समय उसके विषय में जागरूकता पैदा करने में करता है। पानी से होने वाली बीमारियों और बेहतर स्वच्छता को समझाने के लिए नाटक और रैलियाँ की जा रही हैं।

 

मन्त्रालय की पहल, कामकाज में पारदर्शिता और नागरिक भागीदारी के मिश्रण से स्वच्छ भारत अभियान ग्रामीण भारत को बदलने की क्षमता रखता है। अब हम 2019 तक एक स्वस्थ, स्वच्छ और खुले में शौच मुक्त भारत की उम्मीद कर सकते है।

 

ई-बुक पढ़ने के लिए कृप्या नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करे

 

http://indiawater.gov.in/mdws_ebook/ebook.html#p=4

Path Alias

/articles/garaamaina-savacachataa-aura-paeyajala-para-i-bauka

Post By: iwpsuperadmin
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