सुधीर पण्डित
शहर में एक भवन ऐसा भी है, जिसमें से 12 साल से कभी बाहर कचरा नहीं फेंका गया। हम बात कर रहे हैं, नगर निगम से कुछ दूरी पर बने मसीह विद्या भवन की। भवन से जो कचरा निकलता है, उसका उपयोग भवन में ही गैस बनाने के साथ छत पर बने गार्डन में खाद के रूप में किया जाता है। यहाँ काम करने वाले कर्मचारी भी घर से कचरा यहीं लाते हैं। भवन में इस पहल की नींव रखी थी फादर प्रसाद ने। हालाँकि फादर प्रसाद तो अब यहाँ से जा चुके हैं, लेकिन उनकी यह पहल आज भी अनवरत जारी है।
ऐसी है व्यवस्था
किचन, कागज व प्लास्टिक के रूप में निकलने वाले कचरे को अलग-अलग तरीके से एकत्र किया जाता है। कचरे को छत पर बने गैस प्लांट में डाल दिया जाता है। सड़को पर गाय के गोबर को भी उठाकर इसमें डाला जाता है। कागज और प्लास्टिक के कचरे को रीसाइकिल करते हैं।
छत पर ऑर्गेनिक खेती
गैस प्लांट से निकलने वाले खाद से छत पर ऑर्गेनिक खेती की जा रही है। गिलकी, लौकी, टमाटर, बैंगन, बालौर, प्याज, लहसुन, पालक उगाई जा रही है। छत पर खेती से गर्मी में भवन का तापमान भी 5 डिग्री कम रहता है।
कचरा बाहर फेंके ही क्यों
कचरा घर से बाहर निकलेगा ही नहीं तो गन्दगी होगी ही नहीं। हमने 12 साल से कचरा बाहर फेंका ही नहीं -फादर प्रसाद (अनूठी पहल की नींव रखने वाले)
कर्मचारी रीटा टोपो ने कहा, घर से निकलने वाले कचरे को हम यहाँ दे देते हैं। घर के कचरे का उपयोग यहाँ गार्डन में होता है। मनीषा विक्टर व दिनेश भाबर ने बताया हम भी ऐसा ही करते हैं - रीटा टोपो, कर्मचारी।
साभार : राजस्थान पत्रिका 19 जनवरी 2015
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