धर्मगुरुओं ने ठानी गन्दगी से जंग

कुमार कृष्णन

 

मौजूदा दौर में जहां आसाराम और रामपाल जैसे धर्मगुरुओं के कारण समाज में वितृष्णा का दौर जारी है, ऐसे में उत्तराखण्ड के ऋषिकेश स्थित परमार्थ निकेतन के प्रमुख स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज की पहल न केवल सराहनीय है बल्कि अनुकरणीय भी है। उनके प्रयास से अभी हाल में ऋषिकेश में गंगा के पावन तट पर यूनिसेफ की मदद से ग्लोबल इंटरफेथ वॉश एलायंस (जीवा) और गंगा एक्शन परिवार की ओर से परमार्थ निकेतन में आयोजित 'आराधना से स्वच्छता की ओर' अभियान पर केन्द्रित शिखर सम्मेलन में देश और दुनिया से आईं विभिन्न धर्मों की महिला गुरुओं ने जोर दिया कि साफ-सुथरे माहौल में सबसे ज्यादा जरूरी महिलाओं के लिए शौचालय उपलब्ध कराना है।

 

समवेत रूप से महिला धर्मगुरुओं ने इस बात पर गहरी चिंता जताई कि भारत में आज भी 30 करोड़ से ज्यादा महिलाओं को शौच के लिए बाहर जाना पड़ता है, जो उनके लिए सुगम कम और खतरनाक ज्यादा है।


इस मौके पर जीवा के संस्थापक स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने मौजूद सभी धर्मों के प्रमुख सहित समाज सेवकों और आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे स्वच्छता अभियान के साथ हरेक के लिए शौचालय उपलब्ध कराने के लिये एकजुट हो जाएं। उनका स्पष्ट मानना है कि अब तक धार्मिक संस्थानों में गुरुओं के गले का अभिषेक बहुत हो गया, अब गलियों का अभिषेक हो। गलियाँ साफ होंगी तो देश भी स्वच्छ होगा। दो दिनों के इस शिखर सम्मेलन से यह कामयाबी हासिल हुई है कि वे स्वच्छता के लिए एक मंच पर एकजुट हुए हैं।

 

सभी महिला धर्मगुरुओं और साध्वियों को चाहिए कि वे अपने प्रवचनों में दूसरे धर्म के  बारे में भड़ास निकालकर नफरत फैलाने के बदले मिठास घोलें और सभी धर्मों के धर्मगुरु वंचित लोगों के कल्याण की बात करें। भारत में कोई नया मन्दिर तब तक नहीं बने जब तक हरेक व्यक्ति के लिए शौचालय सुनिश्चित न हो जाए। कण-कण में भगवान की जगह हमने मन-मन के कूड़े कचरे जमा कर रखे हैं। देश के करोड़ों लोग धर्मगुरुओं के निर्देश पर अपने जीवन को संचालित करते हैं। यदि वे देश-दुनिया के लोगों को सफाई के लिए संकल्प लेने की अपील करेंगे तो इसका जादुई असर होगा। अब मन्दिरों में पेड़े की जगह पेड़ वितरित होना चाहिए। जहां गंदगी है, वहां बंदगी नहीं हो सकती है। मन्दिरों-मस्जिदों और गिरिजाघर इंसानों के लिये हैं, यदि सभी मिलकर सफाई के प्रति चेतना जगाने का काम करेंगे तो न सिर्फ विविधता का सम्मान होगा बल्कि वर्शिप टू वॉश का अभियान भी कारगर तरीके से कामयाब होगा।

 

नारी शक्ति देवी शक्ति है। वह लोक कल्याण की विधायिका है, पथ प्रदर्शिका है और वह प्रभावशाली संरक्षिका शक्ति है। माता, बहन, पुत्री, पत्नी आदि के रूप में अनेकों धर्म व कर्तव्य का निर्वहन करने वाली, साथ ही पुरुष समुदाय की पूरक सत्ता दुनिया की आधी आबादी कही जाने वाली मातृ शक्ति भारत ही नहीं बल्कि विश्व को शुद्ध पेयजल एवं हानिरहित पर्यावरण के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। जरूरत है उन्हें शिक्षित करने की, उनके गौरव का स्मरण कराने की, उनको पीछे की पंक्ति से आगे की लाइन में लाने की। जिस दिन ऐसा हुआ तो वह दिन दूर नहीं जब इस शक्ति से वैश्विक चिन्ता का समाधान होते देर न लगेगी।

 

ग्लोबल इंटरफेथ वॉश एलायंस की महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती का कहना है कि सम्मेलन में विभिन्न धर्मगुरुओं ने सफाई और शौचालय के लिए जैसी एकजुटता दिखाई उससे यूनिसेफ भी उत्साहित हुआ है। लड़कियों का जैसा जीवनचक्र है, उसको देखते हुए शौचालय की उपलब्धता अत्यंत जरूरी है। स्कूलों में शौचालय नहीं रहने की वजह से 24 फीसदी बालिकाएं आगे की शिक्षा हासिल करने से वंचित हो जाती हैं। गांवों मे शौचालय नहीं रहने की वजह से महिलाओं को शौच के लिए बाहर जाना पड़ता है और इसके लिए अंधेरा घिरने का इंतजार करना पड़ता है। उनकी इस मजबूरी का फायदा बदमाश उठाते हैं। नतीजतन आए दिन महिलाएं बलात्कार का शिकार होती हैं और मारी जाती हैं।

 

भारत में हररोज 1200 से ज्यादा बच्चे मौत के मुंह में समा जाते हैं इसकी बड़ी वजह साफ पानी का नहीं मिलना है। छह करोड़ से ज्यादा लागों का शारीरिक और मानसिक विकास सफाई की कमी से नहीं हो पाता है। जीवा दुनिया की पहली ऐसी मुहिम है जिसने विभिन्न धर्मों के गुरुओं को जोड़कर साफ पानी और स्वच्छता पर काम शुरू किया है। इसकी शुरुआत 25 सितंबर को यूनिसेफ मुख्यालय में आयोजित संयुक्त राष्ट्र महासभा सप्ताह के दौरान हुई है।


शिखर सम्मेलन में मौजूद महिला धर्मगुरुओं, महिला समाजसेवी संस्थाओं की प्रमुखों, महिला पत्रकारों, महिला विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों, महिला राजनेताओं एवं महिला उद्यमियों साथ ही स्वयंसेविकाओं ने एकमत होकर कहीं। भारत सहित विश्व के अनेक देशों की अग्रणी महिलाओं ने नारी-शक्ति को कामिनी रमणी व भोग्या की जंजीरें तोड़कर घर को संस्कार व स्वच्छता देने के साथ-साथ सेवा के अनछुए क्षेत्रों को तलाशने और उनमें अपनी सेवाएं देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हर क्षेत्र में खरी उतरी जननी पर्यावरण संरक्षण के सेवा कार्य में भी खरी उतरेगी।

 

आध्यात्मिक कथाओं एवं कन्या शिक्षा के माध्यम से देश-दुनिया में जागरूकता का संदेश दे रहीं गुरु मां आनन्दमयी ने शिक्षित नारी के बढ़ते महत्व को रेखांकित किया और अपनी संस्था की ओर से स्वर्गाश्रम और गोमुख-गंगोत्री को स्वच्छ व सुन्दर बनाने हेतु योजनाबद्ध काम करने की घोषणा की। वहीं हरिद्धार से आईं महामंडलेश्वर संतोषी माता ने कहा कि महिलाएं नींव की पत्थर बनने को अपना सौभाग्य समझें। ममता, वात्सलय और शुचिता की प्रतीक मां के आगे बढ़ने से राष्ट्र में बड़ी क्रांति हो सकती है। विधायक विजया बड़थवाल ने गंगा एक्शन परिवार एवं जीवा द्वारा चलाए जा रहे अभियान में हर तरह के सहयोग का यकीन दिलाया। मीडिया विशेषज्ञ डॉ. वर्तिका नंदा ने सम्मेलन का संचालन किया।

 

शिखर सम्मेलन में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की किरनजोत कौर, हरिद्वार की महामंडलेश्वर साध्वी मैत्रेयी गिरि, साध्वी शक्ति परिषद की अध्यक्ष महामंडलेश्वर कमलेश भारती, कोटा-राजस्थान की महामंडलेश्वर हेमलता माता, ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की बीके आरती बहिन, जैनुअल आबदीन दीवान अजमेर शरीफ दरगाह, मौलाना डॉ. कल्वे सादिक उपाध्यक्ष मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, अब्दुल मलिक मुजा हिरने अध्यक्ष पार्लियामेंट आफ वर्ल्ड रिलीजन, आचार्य लोकेश मुनि प्रेसीडेंट अममिसा विश्व भारती, किरण बाली अमेरिका, मौलाना लुकमान तारापुरी रीजनल प्रेसीडेंट ऑफ ग्लोबल इमाम काउंसिल, रब्बी इजेकिय लई साक मालेकर, फादर डॉमनिक प्रवक्ता कैथोलिक डिकोस्के, सरदार मंजीत सिंह पूर्व मुख्य जत्थेदार अकाल तख्त, लुईस जार्जेज भारत में यूनिसेफ प्रतिनिधि, आर्च विशप थाबो मकगोबा कैपटाउन साउथ अफ्रीका, महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद हरिद्वार, महामंडलेश्वर महंत ईश्वरदास, पत्रकार राहुल देव, नेपाल की दीपिका सिंह, जीवा प्रतिनिधि स्वामिनी लक्ष्मी सरस्वती, परमार्थ की साध्वी आभा सरस्वती, किरण बाली, यूनिसेफ प्रतिनिधि मनीषा मिश्रा, हुस्ना अहमद और शालिनी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। उत्तराखण्ड के विभिन्न क्षेत्रों से आईं आंगनबाड़ी एवं आशा कार्यकर्ताओं तथा भारतीय ग्रामोत्थान संस्था अदि की महिला कार्यकर्ताओं ने सम्मेलन की चर्चाओं को उपयुक्त बताया।


इस मौके पर मौजूद मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि सभी पंथ और धर्म गुरु एक मंच पर आए हैं, जो भारत की तस्वीर है। गंगा किसी धर्म को नहीं जानती, वह तो सबको जीवन देती है। गंगा को धर्मनिरपेक्ष नदी बताते हुए कहा कि वह सभी धर्मों और कौमों के लिए है। उत्तराखण्ड के नैसर्गिक गुण को सभी धर्मों के गुरु आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। गंगा को लेकर नीति निर्धारण में यह सम्मेलन सरकार के लिए सहायक बनेगा। उन्होंने उत्तराखण्ड की परिस्थिति के अनुरूप गंगा एक्शन प्लान बनने की आवश्यकता बताई।


इस्लाम धर्म के जाने-माने विद्वान और नेता डॉ. कल्बे सादिक ने कहा कि जिस तरह यहां से निकली  गंगा देश के विभिन्न राज्यों से गुजरते हुए सागर में समाती है वैसे ही  वरशिप टू वॉश अभियान देश-दुनिया में छाएगा और दुनिया के लिए एक मिशाल बनेगा। ग्लोबल इमाम काउंसिल के अहमद मौलाना लुकमान तारापुरी ने अभियान को देश के शानदार भविष्य के लिए जरूरी बताते हुए कहा कि कि बच्चों को साफ और स्वस्थ रहने की नसीहत देना चाहिए साथ ही उनके सामने खुद उदाहरण भी पेश करना चाहिए।

 

पार्लियामेंट ऑफ वर्ल्ड रिलिजन के अहमद डॉ. अब्दुल मुजाहिद ने हिन्दी के अपने भाषण में कहा कि मैं जीवन में पहली बार हिमालय की गोद गंगा तट पर आया हूं और पहली बार किसी आश्रम में रात बिताई है। यहां की अनुभूति मेरे लिए और मेरे साथियों के लिए दिव्य है। शिकागो में स्वामी विवेकानन्द के प्रथम भाषण स्थल के समीप सेवारत मलिक ने कहा कि जीवा व गंगा एक्शन परिवार-परमार्थ निकेतन की पहल पर यहां से उठे संदेश केवल ऋषिकेश या उत्तराखण्ड ही नहीं बल्कि दुनिया भर में पहुंचेगा।

 

हरिद्वार से आए महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद ने कहा कि अंतिम व्यक्ति तक का जीवन स्तर सुधार दिए जाने से स्वच्छता का सपना अपने आप पूरा हो सकता है। ऑल  इंडिया इमाम काउंसिल के अध्यक्ष इमाम उमर इलयासी ने सफाई को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से की गई अपील की सराहना की और कहा कि यह अभियान साढ़े पांच लाख मस्जिदों, साढ़े सात लाख मन्दिरों और गुरुद्वारों और गिरिजाघरों से शुरू होकर देश के अवाम तक पहुँचे बिना नहीं रह सकता है। वहीं गुजरात स्थित स्वामी नारायण मन्दिर के प्रमुख माधवप्रिय ने अब धर्मगुरुओं के एक हाथ में माला और दूसरे हाथ में झाड़ू होना चाहिए। वे बहुत जल्द ही गुजरात में 108 गांवों के स्कूलों में सफाई अभियान आरंभ करेंगे।

 

स्वच्छता के मॉडल को महात्मा गाँधी ने काफी पहले अपने आश्रमों में किया था। उनके आश्रम में सफाई के काम को आश्रम के अंत:वासी अंजाम देते हैं। गाँधी के इस मॉडल को स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने अपनाया। 50 वर्ष पूर्व स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने गाँधी के जिस मॉडल को अपनाया था, आज उसे संयुक्त राष्ट्र में अपनाया जा रहा है।

 

गंगा के पावन तट पर दुनिया के विभिन्न देशों से आए अलग-अलग धर्मों के गुरुओं, समाजसेवकों और राजनेताओं ने स्वच्छ जल की उपलब्धता के साथ जर्रे- जर्रे की सफाई और हरेक व्यक्ति के लिए लगातार 'आराधना से स्वच्छता की ओर' (वर्शिप टू वॉश) अभियान चलाने का संकल्प लिया। यह संकल्प परमार्थ निकेतन के प्रांगण में उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री हरीश रावत की मौजूदगी में यूनिसेफ की मदद से जीवा द्वारा आयोजित शिखर सम्मेलन में लिया। बौद्ध प्रार्थना के साथ आरंभ हुए अपने तरह के पहले शिखर सम्मेलन में खास तौर से ढाई सौ से ज्यादा की संख्या में हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई, जैन, यहूदी, पारसी, वहाई और  बौद्ध धर्म के गुरुओं के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय इंटरफेथ संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। हजारों लोगों की मौजूदगी में अभियान की कामयाबी के लिए शपथ पर भी धर्मगुरुओं ने हस्ताक्षर किए।

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