‘दरभंगा गरीब बस्ती’ दिल्ली के जखीरा इलाके में रेलवे लाईन के पास बसी हुई है। इस 60 साल पुरानी गरीब बस्ती में 600 झुग्गियाँ हैं।
वॉटर एड द्वारा जब यह प्रोजेक्ट -‘स्वच्छ दिल्ली स्वस्थ दिल्ली’ दरभंगा में शुरू हुआ, तो हमने वॉटर एड की चन्द्रा मैडम और शिप्रा जी के साथ एरिया विजिट किया और देखा:-
1. कच्ची नालियाँ
2. पीने का पानी नहीं था
3. रोड़ भी कच्ची थी
4. शौचालय था परन्तु बन्द पड़ा था
5. जगह-जगह पर कूड़े कचरे का ढेर लगा हुआ था
एरिया में जाने को मन नहीं करता था। वहाँ के सब लोग शौच करने रेलवे लाईन पर जाते थे। वहाँ रेलवे लाईन के ऊपर मैट्रो पिलर बन रहे थे। दिन रात वहाँ पर लेबर रहती जो महिलाओं के साथ बुरा व्यवहार करती। कई बार अचानक रेलगाड़ी आने के कारण वहाँ पर एक्सिडेंट भी होते थे। इसी कारण दरभंगा में काफी अधिक विक्लांगता भी है।
जब हमने वहाँ पहली मीटिंग ली तो सबसे पहले उन्होंने शौचालय खुलवाने की माँग की।
फोर्स ने समुदाय की इस जरूरत को पूरा करने का बीड़ा उठाया। सबसे पहले विश्व शौचालय दिवस के दिन समुदाय के लोगों के साथ एम.सी.डी स्लम विंग के दफ्तर के सामने एक रैली निकाली गई। फिर महिलाओं ने उस विभाग के एडिशनल कमिश्नर को शौचालय खुलवाने के लिए एक माँग पत्र दिया। यही माँग पत्र स्लम विभाग के जोनल ऑफिस में भी दिया गया परन्तु उसपर कोई सुनवाई नहीं हुई। निगम पार्षद से भी बात की गई परन्तु उन्होंने भी हाथ खड़े कर दिए।
सब कोशिशें नाकाम होने पर फोर्स ने समुदाय से एक आरटीआई डलवाई जिसमें हमने यह जानने की कोशिश की कि इस शौचालय में ऐसी कौन सी कमी थी जिस कारण यह खुल नहीं पा रहा था।
आरटीआई से पता चला कि शौचालय हर तरह से पूरा किया जा चुका था और उसके खुलने में कोई बाधा नहीं होनी चाहिए थी। और पूछताछ पर पता चला कि वहाँ की सीवर लाईन मैट्रो की कन्स्ट्रक्शन के दौरान टूट गई थी। उसे जोड़ा भी गया था परन्तु काम ठीक से नहीं किया गया था जिसके कारण शौचालय का मल उसमें नहीं बहाया जा सकता था।
इस जानकारी के साथ अब फोर्स और समुदाय के लोग मैट्रो के उच्च अधिकारियों से कई बार मिले और उन्हें आग्रह पत्र दिए। उनके अथक प्रयासों के कारण पुन: फण्ड सैंक्शन करके उस सीवर लाईन को फिर से बनवाया। समुदाय की एक समिति बनाई गई जो सीवर के बनने के समय निगरानी रखती थी। इसके अलावा वह अधिकारीयों को, सीवर को स्लम की जमीनी स्थिति के अनुसार प्रतिकूल बनाने के सुझाव भी देती थी। इन्हीं सुझावों के कारण सीवर की पाईप को अधिक स्लोप किया गया और उसमें ज्यादा मैनहोल बनाए गए ताकि उसकी सफाई में आसानी हो।
इस सब के बाद निगम पार्षद पर महिलाओं ने दबाव डाला कि वह इस शौचालय को विधिवत शुरू करवाए। निगम पार्षद ने जल्द ही एम.सी.डी के एक कर्मचारी को शौचालय चलाने के लिए नियुक्त कर दिया।
तब से दरभंगा गरीब बस्ती के सभी लोग शौचालय का ही प्रयोग करते हैं।
शौचालय के बनने से बदलाव
1. विक्लांगता का होना बहुत कम हो गया है। अब रेलवे लाईन पर कोई दुर्घटना नहीं होती।
2. रेलवे लाईन और आस-पास की जगहों पर सफाई रहती है।
3. लड़कियों को अब 12 साल की उम्र होते ही वापस गाँव नहीं भेजा जाता। वह यहाँ रहकर अपनी पढ़ाई पूरी करती हैं।
4. बस्ती में बीमारी होना कम हो गया है।
5. बस्ती के लोगों में सरकार और समाज के प्रति गुस्से की भावना कम हो गई है।
साभार : ब्लू टाइम्स दिसम्बर 2013
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