संजय त्रिपाठी
दिल्ली के सेंट्रल पार्क में बने विशाल तिरंगे के सभी रंगों ने माननीय प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी तथा सुलभ के स्वच्छता अभियान और हर घर में शौचालय जैसे गम्भीर मुद्दे को एक ऊँचाई दी। यूँ तो दिल्ली के कनॉट प्लेस स्थित सेंट्रल पार्क में किसी न किसी दिन कोई आयोजन होता रहता है, लेकिन सुलभ द्वारा आयोजित त्रिदिवसीय ‘विश्व शौचालय महोत्सव’ के पहले दिन यहाँ आयोजित समारोह का एक अलग ही नजारा था। सुबह 9 बजे से ही यह पार्क स्कूली बच्चों, वृन्दावन और बनारस की विधवाओं, अलवर, टोंक और गाजियाबाद की पुनर्वासित स्कैवेंजर महिलाओं, सुलभ द्वारा हर घर में शौचालय बनाकर उसे निर्मल गाँव का दर्जा दिलाने वाले हरियाणा के हिरमथला गाँव की महिलाओं, सुलभ कार्यकर्ताओं और पत्रकारों से भरने लगा। सुलभ संस्थापक डॉ. बिन्देश्वर पाठक के आते ही सेंट्रल पार्क स्वच्छता के साथ-साथ मोदी और सुलभ के नारे से गूँज उठा। दिल्ली के विभिन्न स्कूलों से आए सैकड़ों बच्चों, जो सुलभ स्कूल सेनिटेशन क्लब के सदस्य हैं, ने पूरे सेंट्रल पार्क को घेरकर मानव श्रृंखला बनाई। उसका उद्देश्य था लोगों को स्वच्छता और शौचालय के प्रति जागरूक करना।
विगत 45 साल से स्वतन्त्रता आन्दोलन चला रहे डॉ. बिन्देश्वर पाठक के कार्य के केन्द्र में शौचालय ही रहा है। सुलभ सार्वजनिक शौचालय से कौन परिचित नहीं होगा। अपने टू पिट शौचालय तकनीक के आविष्कार से दुनिया को चौंकाने वाली इस संस्था की शक्ति तब और बढ़ गई, जब देश के प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी ने हर घर में शौचालय जैसे मुद्दों को गम्भीरता से रखा। ‘पहले शौचालय फिर देवालय’ प्रधानमन्त्री श्री मोदी के इस नारे से सेंट्रल पार्क गूँजता रहा। जिस शौचालय की चर्चा करते हुए हम सिर्फ घृणा की ही कल्पना करते थे, आज उसी शौचालय के पॉट को सर पर रखकर सभी ने सेंट्रल पार्क का एक चक्कर लगाया। इसमें डॉ. पाठक के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी के माननीय सांसद (राज्यसभा) श्री विजय गोयल, डॉ. पाठक की धर्मपत्नी श्रीमती अमोला पाठक और उनका पूरा परिवार, अलवर, टोंक और नेकपुर की ‘नई राजकुमारियाँ’ वृन्दावन की विधवाएँ और हिरमथला की महिलाएँ शामिल थीं। साथ में थे स्वच्छता एवं शौचालय के नारों और स्लोगन के साथ विभिन्न स्कूलों से आए बच्चे।
इसके बाद माननीय सांसद श्री विजय गोयल ने डब्ल्यू.सी (शौचालय के पॉट) की एक विशाल प्रतिकृति का लोकार्पण किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि स्वच्छता और शौचालय की जब भी चर्चा होगी, सुलभ का नाम उसमें स्वत: जुड़ जाएगा। डॉ. पाठक का एक ही मिशन रहा है और वह है स्वच्छता एवं शौचालय। मोदी जी के इस अभियान में सुलभ का जुड़ना एक बड़ी बात है। स्वच्छता अब दिखने लगी है। इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है।
माननीय सांसद का स्वागत वृन्दावन की मानू घोष और अलवर की ऊषा चौमड़ ने पुष्पगुच्छ देकर किया। इस अवसर पर डॉ. बिन्देश्वर पाठक ने कहा कि देश में महात्मा गाँधी के बाद अगर किसी ने शौचालय जैसे मुद्दे को गम्भीरता से उठाया है तो वह है देश के वर्तमान प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी। लाल किले की प्राचीर से लेकर अमेरिका, जापान, नेपाल तक सभी जगह अपनी यात्रा में भी शौचालय की बात कर रहे हैं। केन्द्र की वर्तमान सरकार को जब भी और जहाँ भी सुलभ की जरूरत महसूस होगी, हम वहाँ होंगे। श्री विजय गोयल के जाने के बाद एन.डी.एम.सी के उपाध्यक्ष श्री करण सिंह तँवर भी सुलभ के इस कार्यक्रम में शामिल हो गए और बच्चों का उत्साह बढ़ाया। वे उस शपथ समारोह में भी शामिल हुए, जिसे डॉ. पाठक ने हजारों बच्चों को दिलाई। इस शपथ की मुख्य बात यह थी कि हम खुद को और अपने आस-पास के वातावरण को गन्दा नहीं होने देंगे।
18 नवम्बर के इस कार्यक्रम में बच्चों का स्वच्छता को लेकर उत्साह देखते ही बन रहा था। सेंट्रल पार्क कभी ‘घर-घर शौचालय बनाना है’ जैसे बुलन्द नारों से गूँज उठता तो कभी ‘मोदी-मोदी’ और ‘सुलभ-सुलभ’ के नारे से। मानो मोदी और सुलभ ने यह ठान लिया है कि सन 2019 तक गाँधी का वह सपना पूरा करना है और देश के हर घर में शौचालय बना कर रहेंगे। गुब्बारे उड़ाकर यह सन्देश दूर तक पहुँचाया गया। बच्चों ने यहाँ गीत और नाटकों के माध्यम से उपस्थित लोगों का न सिर्फ मनोरंजन किया, बल्कि यह भी बताया कि घर में सिर्फ एक शौचालय बन जाने से हम कितनी सारी परेशानियों से मुक्त हो सकते हैं और कैसे शौचालय के अभाव में हर दिन लाखों बच्चों की मृत्यु हो रही है।
सुलभ पब्लिक स्कूल सहित दिल्ली के आठ स्कूल के बच्चों ने इस आयोजन में भाग लिया। ये स्कूल हैं जे.एम. इंटरनेशनल, द्वारका; शिववाणी पब्लिक स्कूल, महावीर इन्क्लेव; माउंट कार्मेल, द्वारका; न्यू दिल्ली पब्लिक स्कूल, द्वारका; पूसा पब्लिक स्कूल, नियो कॉन्वेंट स्कूल, पश्चिम विहार और डी.टी.ई.ए, पब्लिक स्कूल, जनकपुरी। इस कार्यक्रम में उपस्थित सभी के लिए लंच पैकेट की व्यवस्था की गई थी।
साभार : सुलभ इण्डिया नवम्बर 2014
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