देश के प्रदूषित शहरों में शामिल है हॉट सिटी

गाजियाबाद, 9 जुलाई (ब्यूरो) : देश के जिन पाँच शहरों में सबसे अधिक वायु प्रदूषण है उनमें से हॉट सिटी भी एक है। इसका 2010 में डब्ल्यूएचओ और ग्लोबल बर्डन डिसीज के सर्वे से पता चल गया था, बावजूद इसके प्रदूषण विभाग की ओर से इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।

 

गुरुवार को अपार्टमेन्ट ऑनर एसोसिएशन फेडरेशन का एक प्रतिनिधि मण्डल फेडरेशन के अध्यक्ष कर्नल तेजेन्द्र पाल त्यागी के नेतृत्व में प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड के निदेशक पारस नाथ से मुलाकात कर यह जानकारी दी तथा इस बारे में ठोस कदम उठाने की माँग की। निदेशक ने उन्हें उचित कदम उठाने का आश्वासन दिया।

 

उन्होंने बोर्ड के निदेशक को बताया कि वायु प्रदूषण में पीपीएम 2.5 पीएम 10 से अधिक खतरनाक है। यह भी पता चला कि पीपीएम 2.5 से कैंसर होता है जो फेफड़ों की क्षमता को कम करता है। इतनी ही नहीं एक बार फेफड़ों की क्षमता कम हुई तो उसे ठीक नहीं किया जा सकता। दिल्ली के 44 फीसदी बच्चों के फेफड़ों की क्षमता पीएम 2.5 के कारण कम पाई गई है। इस बारे में फेडरेशन में पहले भी आवाज उठाई थी लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए।

 

पीपीएम 2.5 से कैंसर होता है जो फेफड़ों की क्षमता को कम करता है। इतनी ही नहीं एक बार फेफड़ों की क्षमता कम हुई तो उसे ठीक नहीं किया जा सकता। दिल्ली के 44 फीसदी बच्चों के फेफड़ों की क्षमता पीएम 2.5 के कारण कम पाई गई है।

 

फेडरेशन के अध्यक्ष ने बताया कि अब संज्ञान में आया है कि पीएम एक कण और ज्यादा सूक्ष्म और खतरनाक होते हैं। ये कण फेफड़ों से भी आगे निकलकर रक्त की धारा में मिल जाते हैं। चिन्ता का विषय यह है कि वर्षा होने पर जब अन्य वायु प्रदूषण के कण धुल जाते हैं पीपीएम एक तब भी वायु में बने रहते हैं। उन्होंने माँग की कि पीपीएम-एक को नापने वाला यन्त्र मुहैया कराया जाए ताकि इस खतरनाक कण पर रोक लगाई जा सके। प्रतिनिधिमण्डल में एओए फेडरेशन के सचिव मुकेश अग्रवाल, सिटी जोन के सचिव आर.के शर्मा, वसुन्धरा जोन के सचिव पी.एस सिंह, मोहन नगर जोन के राजेश कौल, वसुन्धरा के कोर्डिनेटर संजय गुप्ता ने माँग की कि पीएम-1 को नापने वाले उपकरण तुरन्त मँगवाये जायें। उन्होंनेे बताया कि पीपीएम-1 की रोकथाम के लिए सीएनजी बसें चलवाई जाए।

 

कांटीनेन्टल कार्बन फैक्टरी टायर इण्डस्ट्रीज एवं अन्य वायु प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्रियों के ईटीपी की जाँच नियमित स्तर पर हो और उसके परिणाम सिविल सोसायटी को बताये जाये। पीपीएम-1 को नापने के सैम्पलर तुरन्त मँगवाये जाए। निदेशक पारस नाथ ने वादा किया कि कमिश्नर मेरठ और अपने वरिष्ठ अधिकारियों को पीएम-1 और सिटी बसों की उपलब्धता के बारे में लिखा जायेगा और प्रदूषण फैलाने वाली फैक्टरियों को नोटिस दिये जाएंगे।

 

साभार : नवोदय टाइम्स 10 जुलाई 2015

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