तरुन चौधरी
करोड़ों रुपये की लागत से बना एसएन मेडिकल कॉलेज का बाल रोग विभाग वर्तमान में समस्याओं का मकड़जाल है। मरीज के साथ इलाज को आए तीमारदारों को यहाँ फैली अव्यवस्थाओं का सामना करना पड़ता है। मलमूत्र त्याग के लिए मरीज व उसके परिजनों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है। बाल रोग परिसर में फैली अव्यवस्थाओं से सम्बन्धित आलाधिकारी वाकिफ हैं, लेकिन इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
स्वास्थ्य अधिकारी नहीं कर रहे सुनवाई
एसएन मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग में खामियों का अम्बार है। बाल रोग विभाग में बीमार बच्चों के उपचार के लिए गरीब व कम आय वर्ग के लोग परामर्श को आते हैं। जिसमें इलाज के लिए चिकित्सकों का परामर्श तो मिलता है, लेकिन दवा व इंजेक्शन को ऊँचे दामों में खरीदना पड़ता है। बाल रोग विभाग का पुन: निर्माण पाँच वर्ष पूर्व कराया गया था, जिसमें बिल्डिंग के ढाँचे को जस का तस रख बाहर से लीपा पोती कर दुरुस्त किया गया है, लेकिन आज तक शौचालय व पानी की व्यवस्था परिसर में उपलब्ध नहीं है, जिससे बीमार बच्चे के साथ उपचार के लिए पहुँचे तीमारदारों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है। नाले के किनारे बनी इस बिल्डिंग में तीमारदारों को भयंकर दुर्गंध से गुजरना पड़ता है। एसएन प्रशासन को काफी समय पहले बाल रोग विभाग में फैली अव्यवस्थाओं से अवगत कराया गया है, लेकिन एसएन प्रशासन की अनदेखी के चलते अव्यवस्थाओं को सुधारने का प्रयास तक नहीं किया गया है।
छत पर लगा गन्दगी का अम्बार
बाल रोग विभाग के आस-पास मेडिकल वेस्ट का अम्बार है, चारों ओर खामियाँ फैली हुई हैं। विभाग के प्रथम तल पर जगह-जगह गन्दगी ही गन्दगी है। बच्चे मरीजों के साथ पहुँचे तीमारदारों को एक-एक दिन काटना मुश्किल हो जाता है। अव्यवस्थाओं के चलते कभी-कभी मरीज के साथ आये परिजन उसे लेकर मजबूरीवश अन्य हॉस्पीटल में शिफ्ट हो जाते हैं।
‘बाल रोग विभाग के लिए शासन से बजट भेजा गया है, परिसर में अव्यवस्थाओं को दुरुस्त करने की तैयारी की जा रही है, शीघ्र ही खामियों में सुधार किया जाएगा’-डॉ. अजय अग्रवाल, एसएन प्राचार्य
स्वास्थ्य सेवा, नाराज मंडलायुक्त
सर्किट हाउस में मंडलायुक्त प्रदीप भटनागर ने सोमवार को स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की थी। मंडल के जिलों से पहुँची प्रगति रिपोर्ट पर उन्होंने नाराजगी व्यक्त करते हुए स्वास्थ्य अधिकारियों को सुधरने की हिदायत दी है, लेकिन इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की कार्यशैली में सुधार नहीं है।
करोड़ों की बिल्डिंग, पीने का पानी नहीं
बाल रोग विभाग के निर्माण के लिए भले ही करोड़ों रुपये खर्च किये गये हों, लेकिन बिल्डिंग में पानी के लिए पाइप लाइन तक नहीं है, जिससे मरीजों व उसके साथ पहुँचे तीमारदारों को पीने के लिए पानी मिल सके। इससे तीमारदारों को मजबूरी के चलते बाहर से मिनरल वाटर की बोतल खरीदनी पड़ती है, जो उनकी हैसियत से बाहर है।
साभार : कल्पतरू एक्सप्रेस 25 जनवरी 2015
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