प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किए गए ‘स्वच्छ भारत अभियान’ का असर देश के कोने-कोने में देखने को मिला। दिल्ली की गलियों में इसके असर तथा एमसीडी के अन्य मुद्दों पर न्यूज बेंच संवाददाता सन्तोष दूबे ने नॉर्थ एमसीडी के स्थाई समिति के अध्यक्ष से विस्तृत बातचीत की। पेश हैं बातचीत के अंश.......
स्वच्छ भारत अभियान को आप किस रूप में देखते हैं?
‘स्वच्छ भारत अभियान’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की एक अनोखी पहल है। इसकी शुरुआत बहुत पहले की जानी चाहिए थी। कौन नहीं चाहता कि उसका देश, गाँव, कस्बा तथा घर साफ-सुथरा रहे। प्रधानमंत्री ने स्वच्छ भारत अभियान नामक सराहनीय कदम उठाकर लोगों को एक दिशा प्रदान की है। अभियान के तहत देश के कोने-कोने में साफ-सफाई का कार्यक्रम शुरू हो गया है।
इस अभियान को आप अपने जोन में कैसे लागू करेंगे ?
स्वच्छ भारत अभियान को हम एक पवित्र कदम के रूप में अपने क्षेत्र में लागू कर रहे हैं। हम इस अभियान को अपने रोजमर्रा के जीवन में शामिल करे स्थाई और मजबूत बनाएंगे। साफ-सफाई हर क्षेत्र के लिए जरूरी होती है। वैसे भी हमारे जोन में सफाई पर पूरा ध्यान दिया जाता है। निगम की गाड़ियों, कर्मचारियों व अन्य सुविधाओं के माध्यम से दिल्ली को स्वच्छ व सुन्दर बनाने का हमारा प्रयास लम्बे समय से चल रहा है लेकिन अब जब प्रधानमंत्री ने विशेष पहल की है, तो निश्चित रूप से इसे और ताकत के साथ लागू किया जाएगा। निगम के अन्दर आने वाली हर गली स्वच्छ होगी। दिल्ली की जनता को और भी स्वच्छ और सुन्दर माहौल में साँस लेने का अवसर मिलेगा। हम इस अभियान को सफल बनाने के लिए लोगोंं तथा निगम के कर्मचारियों में जागरूकता फैलाने के साथ-साथ सख्त कदम भी उठाएंगे ताकि किसी तरह की कोई चूक न रह जाए।
आपके जोन के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों जैसे चाँदनी चौक, नई सड़क, जामा मस्जिद, कमला नगर, शक्ति नगर तथा अन्य इलाकों में अवैध निर्माण की शिकायतें हैं। नॉर्थ एमसीडी क्या कर रही है?
हाँ, हमारे क्षेत्र के कुछ इलाकों में अवैध निर्माण की शिकायतें जरूर हैं। इन शिकायतों पर हमारी पूरी नजर है। किसी भी तरह के अवैध निर्माण के खिलाफ कार्यवाई अवश्य की जाएगी। हम शिकायतोंं पर अमल कर रहे हैं। जल्द से जल्द ही इन्हें हटाने तथा इनकी पुनरावृत्ति रोकने के लिए कठोर कदम उठाए जाएंगे।
कुछ दिनों पहले नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने आपके क्षेत्र नरेला के व्यापारियों को प्रदूषण के मुद्दे पर समन भेजा था। उन व्यापारियों के कारोबार को क्यों प्रभावित किया जा रहा है?
देखिए, बात किसी के कारोबार को प्रभावित करने की नहीं है। क्षेत्र में रह रहे सभी निवासियों व कारोबारियों का ख्याल रखना हमारा धर्म है, परन्तु कानून का पालन कराना भी तो हमारा ही धर्म है। इस मामले में हम किसी तरह की कोई लापरवाही नहीं बरत सकते। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की गाइडलाइन के अनुसार, जो नियम-कानून बनाए गए हैं, उन्हें हर हाल में पालन करना हमारी जिम्मेदारी है। क्षेत्र के छोटे-बड़े सभी कारोबारियों को ट्रिब्यूनल के नियमों के अन्दर ही काम करना होगा।
अभी हाल में एमसीडी में कितने सफाई कर्मचारियों को नियमित किया गया है तथा जरूरत कितनी है?
फिलहाल हमने कुल 2,890 सफाई कर्मचारियों को नियमित किया है। ये वर्ष1998 तक के कर्मचारी हैं। अब इन कर्मचारियों को 16-17 हजार रूपए का वेतन मिलेगा। अब वे एमसीडी के नियमित कर्मचारी बन गए हैं। और जहाँ तक जरूरत की बात है तो फिलहाल एमसीडी को काफी संख्या में कर्मचारियों की आवश्यकता है।
शीला दीक्षित सरकार के दौरान एमसीडी से कुछ अधिकार वापस लेकर विधायक को सौंप दिए गए थे, जिससे स्थानीय समस्याओं का निपटारा मुश्किल हो गया है। ऐसे में एमसीडी का क्या औचित्य रह जाता है?
जी हाँ, उस शासन के दौरान एमसीडी से कुछ अधिकार जैसे साठ फुटा रोड का अधिकार तथा सीवर इत्यादि को एमसीडी के दायरे से बाहर निकालकर विधायक को सौंप दिया गया था। इस वजह से स्थानीय निवासियों को परेशानी हुई क्योंकि सब तो विधायक के पास नहीं जाते और न ही विधायक हर वक्त उपलब्ध रहते हैं। इस समस्या के समाधान के लिए मैं प्रयासरत हूँ। मैंने शहरी विकास मन्त्री वेंकैया नायडू तथा केन्द्रीय गृहमन्त्री राजनाथ सिंह से मुलाकात कर उन्हें इस समस्या से अवगत करा दिया है। उम्मीद है कि वापस लिए गए कार्यक्षेत्रों को दोबारा एमसीडी को दे दिया जाएगा। हम भी चाहते हैं कि ये कार्यक्षेत्र एमसीडी के अंतर्गत ही रहें ताकि जनता को परेशानी का सामना न करना पड़े। इस आड़ में भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा मिलता है। मैं आपको बता दूँ कि जब यह कार्य एमसीडी के अन्दर थे, तब हमें केवल 120 करोड़ रुपए मिलते थे और विधायक कोटे में जाते ही इसके लिए 1,500 करोड़ रुपए मिलने शुरू हो गए। हमारी पूरी कोशिश है कि हम इन क्षेत्रों को वापस अपने अधिकार में लाकर क्षेत्र के विकास की गति तेज कर सकें।
जे जे कालोनियों तथा अनधिकृत कालोनियों की समस्याओं के बारे में आप क्या कहेंगे?
ये परेशानियाँ काफी वास्तविक प्रवृत्ति की हैं। जेजे कालोनियों तथा अनधिकृत कालोनियों को बिजली, पानी, साफ-सफाई तथा अन्य कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मेरे ख्याल से लगभग 1,639 कालेनियों में रह रहे लोगों को इस वजह से परेशान होना पड़ रहा है। इस दिशा में हमने एलजी साहब से सम्पर्क कर अनुरोध किया है कि इन कालानियों के क्लस्ट को निगम के अंतर्गत कर दिया जाए तथा इनके विकास पर ध्यान दिया जाए। इसके अलावा गाँवों की विस्तारित आबादी को भी विकास के दायरे में लाने की जरूरत है। हमने इन्हें भी एनसीडी के अंतर्गत लाने पर बल दिया है।
एमसीडी नॉर्थ जोन की तत्कालीक विकास योजनाएँ क्या-क्या हैं तथा इन योजनाओं पर कितनी राशि खर्च की जाएगी?
दिल्ली को एक आदर्श राजधानी बनाने के लिए जिन-जिन चीजों की आवश्यकता है, उन सबको मैंने प्राथमिकता में शामिल किया है। हम स्कूल, कॉलेजों, अस्पतालों, रोजगार, नियुक्तियाँ, स्वच्छता, स्वास्थ्य, सड़कें, कॉरपोरेशन के फ्लाई-ओवर के सफल संचालन तथा विकास पर ध्यान देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके अलावा लीज होल्डरों को उनका मालिकाना हक देने की कोशिश की जाएगी। इस पहल से कर इकट्ठा होगा, जिससे विकास कार्य को गति मिलेगी। इन योजनाओं पर खर्च करने के लिए 4,500 करोड़ की रकम आवंटित की गई है।
साभार : न्यूज बेंच 10-16 अक्टूबर 2014
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