राधाकृष्ण
नई दिल्ली। राजधानी में यमुना किनारे के सभी घाट अपनी दुर्दशा और बदहाली के लिए छोड़ दिए गए हैं। त्योहार के इस सीजन में ये घाट गन्दगी की मार झेलने को मजबूर हैं। प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के सफाई अभियान का असर यहाँ देखने को नहीं मिल रहा है। यमुना किनारे मूर्ति विसर्जन को दो दिन हो चुके हैं। बावजूद इसके यहाँ सफाई का नामो-निशान नहीं हैं। पूजा सामग्री और पॉलीथीनों से घाट पटे पड़े हैं और अपनी दुर्दशा को स्वयं बयान कर रहे हैं। आलम ये है कि धार्मिक आस्था के नाम पर यमुना को गन्दा करने वालों पर कोई लगाम नहीं लगा पा रहा है।
सफाई अभियान का असर नहीं : यमुना के घाटों पर सफाई अभियान का असर देखने को नहीं मिल रहा है। सूर घाट, श्मशान घाट, कालिन्दी कुंज, गीता घाट, कुदेशिया घाट, सोनिया विहार हाथी घाट, गढ़ी मेंढूं घाट, चौहान पट्टी घाट और आईटीओ घाट मुख्य रुप से गन्दगी से पटे पड़े हैं। लोग पूजा सामग्री को पॉलिथीनों समेत यमुना में उड़ेल रहे हैं और उन्हें रोकने वाला कोई नहीं है। आईटीओ घाट पर बने मन्दिर के सेवादार महेश कुमार का कहना है कि यहाँ पालीथीनों पर पाबन्दी होनी चाहिए, लेकिन लोग खुले आम इन्हें यमुना में बहा रहे हैं। घाट पर ऐसे लोगों को रोकने वाला कोई नहीं है। पूजा सामग्री डालने के लिए अलग से कोई व्यवस्था नहीं की गई है।
गन्दगी फैलाने में बच्चों का सहारा : इतना ही नहीं, यमुना में गन्दगी फैलाने के लिए छोटे बच्चों का भी सहारा लिया जा रहा है। कुछ रुपए देकर छोटे बच्चों को यमुना में कूड़ा फेंकने के लिए मजबूर किया जा रहा है। ऐसे लोगों का तर्क है कि हम बच्चों को भीख नहीं, काम दे रहे हैं। इसमें किसी को आपत्ति क्यों होनी चाहिए। कई लोगों को यमुना किनारे की गन्दगी रास नहीं आती है, इसलिए खुद नाव में बैठकर नदी के बीचों-बीच पूजा सामग्री को विसर्जित करते हैं। ऐसे ही एक सज्जन विनय कुमार का कहना है कि पूजा सामग्री से गन्दगी नहीं फैलती है, बल्कि वह निर्मल होती है। नदी में पूजा सामग्री डालने आए राजकुमार का कहना है कि इतने नाले यमुना में बह रहे हैं, उन्हें तो कोई रोक नहीं रहा है। ऐसे में हमारी आस्था पर सवाल उठाना कहाँ तक जायज है।
पुलों पर लगी जालियों को काटा : यमुना में गन्दगी फैलाने के लिए कई पुलों का भी सहारा लिया जा रहा है। आलसी लोग घाटो पर जाना भी मुनासिब नहीं समझते हैं। वे सीधे पुल से ही पूजा का सामान यमुना में डाल देते हैं। आईटीओ पुल पर तो इसका नजारा रोज देखा जा सकता है। यहाँ बकायदा 10 फीट ऊँची लोहे की जाली लगाई गई है, लेकिन इनमें भी झरोखे खोल दिए गए हैं। लोग कारों में आते हैं और इन झरोखों से कूड़ा डाल जाते हैं। कई बार पुल पर अचानक गाड़ी रोकने की वजह से हादसे भी हो चुके हैं। बावजूद इसके लोग सबक नहीं लेते हैं और यमुना को प्रदूषित कर रहे हैं।
साभार : प्रजातन्त्र लाइव 7 अक्टूबर 2014
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