ईंट के भट्टे पर काम करते समय आए विचार ने उनका पूरा जीवन ही बदल दिया। राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले की नोहर तहसील के थालड़का गाँव निवासी रायसिंह दहिया ने कचरे से बिजली बनाने की मशीन का आविष्कार कर वैज्ञानिकों को भी आश्चर्यचकित कर दिया। दहिया भले ही पढ़े-लिखे नहीं हैं, लेकिन उनके दिमाग की उपज से बिजली पैदा करने की नई दिशा मिली है। कृषि उत्पादों से निकलने वाले वेस्ट से बिजली बनाने वाली इस मशीन का नाम ‘बायोमास गैसीफायर’ दिया है। इस मशीन में कृषि उत्पाद से निकलने वाले वेस्ट, लकड़ी, कूड़ा डालने से गैस उत्पन्न होती है और उस गैस के बल पर चलता है जनरेटर। इसके माध्यम से दस हॉर्स पावर क्षमता तक की मोटर को चलाया जा सकता है। जयपुर स्थित अपने प्लांट में उन्होंने इस तरह की सवा सौ से भी अधिक मशीन बना दी हैं।
साभार : राजस्थान पत्रिका 26 जनवरी 2015
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