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पंचायत चुनाव लड़ना है तो घर में शौचालय होना जरूरी है। इसी अनिवार्यता से बंधे दावेदारी जताने वाले उम्मीदवार अपने घरों में शौचालय बनवाने में जुट गए हैं।
उल्लेखनीय है कि जिले में एक महीने पहले तक निर्मल भारत अभियान के तहत बढ़ाई गई राशि के बावजूद शौचालय निर्माण धीमी गति से चल रहा था, लेकिन पंचायतराज चुनाव में उम्मीदवारों के यहाँ शौचालय अनिवार्य होने के बाद इनका निर्माण बढ़ गया है, जबकि पहले अधिकारियों की पुरजोर कोशिशों के बावजूद अभियान के तहत शौचालयों का निर्माण नहीं कराया जा रहा था।
250 शौचालय बन रहे हैं
निर्मल भारत अभियान के तहत जिला परिषद ने गत वर्ष जनवरी से लेकर 20 दिसम्बर 2014 तक 8 हजार 100 शौचालय निर्माण की स्वीकृति जारी की थी।
चुनाव मैदान में उतरने वाले प्रत्याशी शौचालयों का निर्माण करवा रहे हैं। परिषद के पास 250 आवेदन आए थे। इनका निर्माण इन दिनों चल रहा है।- दामोदर बैरवा, जिला कार्यक्रम समन्वयक, निर्मल भारत अभियान जिला परिषद, टोंक
इनमें से 3 हजार की वित्तीय स्वीकृति जारी कर दी। बाकी शौचालय की एनओसी नहीं मिलने से भुगतान अटका पड़ा है, लेकिन दिसम्बर में लागू हुए शौचालय अनिवार्यता के चलते जिला परिषद के पास महज 20 दिन में ही 250 आवेदन आ गए। इन सभी का निर्माण इन दिनों चल रहा है।
इतनी मिलती है राशि
निर्मल भारत अभियान के तहत बीपीएल, विधवा, नि:शक्तजन, लघु व सीमांत किसान, एससी एवं एसटी वर्ग के लोगों को शौचालय निर्माण कराने के लिए सरकार की ओर से 12 हजार रुपए का अनुदान दिया जाता है।
इसमें निर्मल भारत अभियान के तहत 5 हजार 600 रुपए तथा मनरेगा के तहत 6 हजार 400 रुपए दिए जाते हैं।
साभार : राजस्थान पत्रिका 6 जनवरी 2015
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