सफलता की कहानियां और केस स्टडी

Term Path Alias

/sub-categories/success-stories-and-case-studies

कोंकण में गोकुल का गौरव
Posted on 10 Dec, 2009 05:08 PM कोंकण महाराष्ट्र का तटीय क्षेत्र है जिसकी एक ओर पश्चिमी घाटों का वन प्रदेश है और दूसरी ओर अरब सागर। यह पट्टीनुमा प्रदेश है जिसकी चौड़ाई कहीं 20 किमी. है तो कहीं 40 किमी.। यहां औसत सालाना बरसात 2,500 से 5,000 मिमी.
farm pond
पंजाब के गिरते भूजल को लगी ब्रेक
Posted on 26 Nov, 2009 07:36 AM

करीब दो दशक से लगातार गिर रहे पंजाब के भूजल स्तर में अब के वर्ष ब्रेक लग गई है। केंद्रीय पंजाब के कई क्षेत्रों में भूजल का स्तर तीन से दस फीट तक ऊपर आया है। इसका श्रेय प्री मानसून के तहत करीब 15 दिन पहले आरंभ हुई बरसात के साथसाथ पंजाब सरकार द्वारा धान की रोपाई के लिए तय की गई 10 जून की समय सीमा को जाता है।मालवा के संगरूर,सुनाम, लहरागागा, दिड़बा, धनौला, बुढलाडा, बरनाला आदि क्षेत्रों से मिली जानक

हिमालय के लिए जुटे हिमालयी हिम्मत वाले लोग
Posted on 22 Nov, 2009 08:10 AM अवैध कटाव की जानकारी सरकार में ऊपर तक पहुंचाई गई व साथ ही मीडिया को भी उपलब्ध करवाई गई इसी के समानांतर
भागलपुर के भगीरथ
Posted on 19 Nov, 2009 07:55 AM अब भागलपुर प्यासा नहीं है, उसको अपने भगीरथ मिल गए हैं, बूढ़ी महिलाओं को पानी के लिए लम्बी दूरी तय नहीं करनी पड़ती, और न ही गरीब दिहाड़ी मजदूरों को काम पर जाने के बजाय दिन भर पानी ढोना पड़ता है। एक ऐसे प्रदेश में जहां लोग बाढ़ से मरते हैं या फिर प्यास से, राजेश श्रीवास्तव के एकल प्रयास ने एक पूरे क्षेत्र की तस्वीर बदल कर रख दी है, आज उनकी संस्था 'सांई सेवा संस्थान' का मिनरल वाटर संयंत्र से शोधित
आदिवासी जानते हैं पानी की समस्या से निपटना !
Posted on 14 Nov, 2009 09:31 AM स्वजलधारा कार्यक्रम में जनभागीदारी के उदाहरण गुजरात में अनूठे रहे हैं। स्वजलधारा कार्यक्रम के तहत गुजरात सरकार का आर्थिक योगदान 224.60 करोड़ रुपयों का है। जब की जन भागीदारी से राज्य में कुल 45.0967 करोड़ रुपये एकत्र किये गये हैं। गुजरात के वलसाड जिल्ले का धरमपुर तालुका के आदिवासी इलाके के एक गांव के लोगों को सरकार के स्वजलधारा कार्यक्रम का पता चला और उन्होंने ठान लिया कि कुछ कर गुजरना है . . .
जब शौच से उपजे सोना
Posted on 28 Oct, 2009 11:46 AM जब कोई युवा पढ़ाई- लिखाई करके शहरों की ओर भागने की बजाय अपनी शिक्षा और नई सोच का उपयोग अपने गाँव, ज़मीन, अपने खेतों में करने लगे तो बदलाव की एक नई कहानी लिखने लगता है, ऐसे युवा यदि सरकार और संस्थाओं से सहयोग पा जाएं तो निश्चित ही क्रान्तिकारी परिवर्तन ला देते हैं। ऐसी ही एक कहानी है ‘जब शौच से उपजे सोना’ की और कहानी के नायक हैं युवा किसान श्याम मोहन त्यागी......
श्याम मोहन त्यागी का इकोसैन
सूझबूझ का पानी
Posted on 02 Oct, 2009 09:54 AM
दोनों गांववालों ने अपने-अपने गांव के प्रतिनिधि चुनकर एक समिति बनाई जो इस का हल खोज सके। गांवों के प्रतिनिधि नारायणी माता गांव स्थित ‘चेतना’ संस्था के पास अपनी समस्या लेकर गए। यह संस्था कासा से मिलने वाली आर्थिक सहायता से आसपास के क्षेत्र में सामाजिक आर्थिक विकास के कार्य करती है। संस्था के सचिव दीन दयाल व्यास के मुताबिक वर्ष 99 उनके कार्यकत्र्ताओं ने दोनो गांव के लोगों के साथ बैठकें की और समस्या के हल पर विचार किया गया। आखिर नाले पर छोटा सा पक्का बांध बनाने पर सहमति हुई।
14 वर्षीय विनीत की बेमिसाल पहल
Posted on 02 Oct, 2009 09:17 AM
जहां देश में सूचना कानून के बारे में जानने वाले लोगों की संख्या एकदम सीमित है, वहीं दूसरी तरफ़ विनीत पटेल जैसे बच्चे भी हैं जिन्होंने सूचना के अधिकार को इस्तेमाल कर अधिकारियों के कान खडे़ कर दिए हैं। गुजरात के मेहसाना के विसनगर में रहने वाला विनीत सहजानंद सेकेन्डरी स्कूल में आठवीं कक्षा में पढ़ता है। अपने पिता से सूचना के अधिकार के बारे में जानने और चाचा की मदद के बाद विनीत से सूचना के अधिकार का इ
वेल्लौर, तमिलनाडु में शून्य अपशिष्ट प्रबंधन
Posted on 01 Oct, 2009 09:20 AM शहरीकरण से संपन्नता तो आती है, पर यह अपने साथ पर्यावरणीय समस्यांए भी लाता है, यथा- प्रदूषण, ठोस अपशिष्ट का जमाव और सफाई एवं स्वच्छता का अभाव। टेट्रापैक, प्लास्टिक के प्लेट, कप और थैले, टिन-कनस्तर और ऐसी ही फेंक दी जाने वाली चीजों का उपयोग पिछले दशक में काफी बढ़ा है। इसी तरह जैविक अपशिष्ट में भी काफी बढ़ोतरी हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी शहरी क्षेत्रों की तरह ठोस अपशिष्ट का सृजन बढ़ रहा है। शहरी
किसान 100 तालाब 110
Posted on 27 Sep, 2009 12:12 PM
यह मिसाल प्रदेश के देवास जिले के धतूरिया गांव के किसानों ने पेश की है। यहां छोटे-बड़े करीब सौ किसान हैं। इन सबने पानीदार बनने की धुन में अपनी निजी जमीन पर बरसात के पहले तक 110 तालाब बना लिए हैं। इस काम को पूरा होने में दो साल लग गए।भोपाल। मध्य प्रदेश के देवास जिले की एक पंचायत के किसानों ने निजी जमीन पर 110 तालाब बनाकर एक अनूठा कीर्तिमान बनाया है। पंचायत के सौ किसानों में से कुछ ने तो दो या अधिक तालाब भी बना दिए हैं। इन्हें उम्मीद है कि जलसंकट और पानी के खारेपन से निजात मिलने के साथ खेती में अच्छी उपज भी मिलेगी। इनका उत्साह देख केन्द्रीय भूमि जल बोर्ड ने पंचायत को पुरस्कृत कराने राष्ट्रपति को प्रस्ताव भेजा है।

यह मिसाल प्रदेश के देवास जिले के धतूरिया गांव के किसानों ने पेश की है। यहां छोटे-बड़े करीब सौ किसान हैं।
×