सफलता की कहानियां और केस स्टडी

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मेहसाना, गुजरात में गंदे पानी का प्रबंधन
Posted on 02 Oct, 2009 08:38 AM गुजरात में, जिला-मेहसाना के अतर्गत ‘फतेपुरा´ गांव की कुल जनसंख्या 1200 और परिवार संख्या 214 है इस गांव के ग्राम प्रधान श्री जय सिंह भाई चौधरी हैं। इन्होंने इस गांव में धूसर जल (गांव का गंदा पानी) प्रबंधन का एक अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया है।

. मुख्य विशेषताएं
इस गांव के गहरे बोर का एक नलकूप है, जिसका व्यास 8’’ और गहराई 800 फीट है। 35 अश्वशक्ति वाले पम्प से पंप कर के जल को 40,000 लीटर क्षमता वाली उर्ध्वस्थ टंकी में ले जाया जाता है। यह कार्य दिन में चार बार किया जाता है। इसका अर्थ यह हुआ कि गांव में प्रतिदिन 1,60,000 लीटर जल का उपयोग किया जाता है। इसमें से 40,000 लीटर जल का उपयोग पशुओं के लिए हो जाता है। यद्दपि, वास्तव में धूसर जल (गांव का गंदा पानी) की पैदा कितनी मात्रा में होता है, इसका स्पष्ट हिसाब नहीं लगाया गया है, फिर भी, यह अनुमान किया जाता है कि कुल प्राप्त जल का 80 प्रतिशत धूसर जल (गांव का गंदा पानी) के रुप में निकल आता है। इस प्रकार, गांव में धूसर जल सृजन की अनुमानित मात्रा करीब 96,000 लीटर प्रतिदिन होती है।
जल संरक्षण में बालको की पहल
Posted on 27 Sep, 2009 08:00 AM

अब तो ग्रीष्म ऋतु की शुरूआत होते ही शहरों और गांवों में पानी के लिए हाहाकार मच जाता है। इस वर्ष भोपाल जैसे सूखा एवं जल समस्या से पीड़ित देश के अनेक हिस्सों में पानी के लिए लोगों के बीच झगड़े हुए। कुछ को तो जल समस्या की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। ये घटनाएं स्पष्ट रूप से इस बात की ओर संकेत है कि यदि हम अब भी न चेते तो फिर पछतावे के लिए भी समय न होगा।
शहडोल - तालाब ने बदल दी तकदीर
Posted on 11 Sep, 2009 07:02 AM

अनेक काश्तकार बलराम तालाब योजना की ओर आकर्षित हुए हैं । बलराम तालाब रामनारायण के पांच एकड़ खेतों की प्यास बुझाता है और साल में तीन फसलें होती हैं। रामनारायण डीजल पंप से अपने खेतों में सिंचाई करते हैं । खास बात यह है कि तालाब को नीचाई पर इस तरह बनाया गया है कि खेतों में दिया गया पानी अन्तत: बहकर वापस तालाब में ही जमा हो जाता है, जिससे तालाब खाली नहीं हो पाता । बलराम तालाब से पनपे खेतों से आज रामनारायण और उनके दो भाईयों यानि तीन परिवारों की बड़े मजे में आजीविका चल रही है । शहडोल, सितम्बर 09, जब पैंतीस वर्षीय रामनारायण कुशवाहा ने तमाम प्रयासों के बाद नौकरी नहीं मिलने पर दो वर्ष पूर्व शहडोल जिले के खेतौली गांव में अपने परिवार की पांच एकड़ जमीन के खेतों के बीच कृषि विभाग के अनुदान की सहायता से तालाब खुदवाने का फैसला किया, तो उन्हें जरा भी एहसास नहीं था कि वे बहुत जल्द लखपति बन जाएंगे । लेकिन बारवीं पास श्री रामनारायण की दो साल में उस तालाब ने तकदीर बदल दी ।

रामनारायण ने जब भी खेतों से अपना भविष्य बनाने की कल्पना की, वह परवान नहीं चढ़ सकी । सिंचाई की कमी उनके मार्ग में बाधा थी । सिंचाई के लिए खेत पूरी तरह वर्षा पर निर्भर होने के कारण खेती की ओर बढ़ते उनके कदम हमेशा डगमगाने लगते थे ।

अकाल पर सुकाल का टांका
Posted on 28 Aug, 2009 05:15 PM


पश्चिमी राजस्थान के थार में बीते सालों के मुकाबले इस साल सूखे की छाया ज्यादा काली है। इसके बावजूद गीले रहने की परंपरागत कलाओं से तरबतर कुछ गांवों में पानी की कुल मांग में से 40 प्रतिशत तक फसल उगाने की जुगत जारी है। बायतु, बाड़मेर से सुखद समाचार लेकर लौटे शिरीष खरे की रिपोर्ट -

सामाजिक पहल से खुला विकास का रास्ता
Posted on 24 Jun, 2009 02:42 PM


आमतौर पर बिना बिजली, बिना डीजल ईंजन और पशुधन की ऊर्जा के बगैर खेतों की सिंचाई करना मुश्किल है लेकिन सतपुड़ा अंचल के दो गांव के लोगों ने यह मुश्किल आसान कर दिखाई है। अपनी कड़ी मेहनत, कौशल और सूझबूझ से वे पहाड़-जंगल के नदी-नालों से अपने खेतों तक पानी लाने में कामयाब हुए हैं। जंगल पर आधारित जीवन से खेती की ओर मुडे आदिवासी भरपेट भोजन करने लगे हैं।

irrigation
पंजाब में “बाबा बलबीर” की पर्यावरण जागरण यात्रा…
Posted on 23 Apr, 2009 05:38 PM
पंजाब के प्रसिद्ध पर्यावरणवादी बाबा बलबीर सिंह सीचेवाल द्वारा निकाली जा रही “पर्यावरण बचाओ” यात्रा, बुरी तरह प्रदूषित हो चुकी “चिट्टी बेन” के किनारे स्थित गाँवों में अलख जगाती चली जा रही है। यात्रा के दूसरे चरण में अर्थात अपनी जनजागरण यात्रा के दौरान “बाबा” लगभग 12 गाँवों का दौरा करेंगे, यात्रा की शुरुआत कोटखुर्द गाँव से की जायेगी। प्रदूषित जलस्रोतों के किनारे रहने वाले ग्रामीणों को अपनी यात
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