शोध पत्र

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एक अध्ययन: पंचायत समिति भोपालगढ़ की भूजल स्थिति
Posted on 30 Oct, 2015 01:16 PM
पंचायत समिति, भोपालगढ़ (जिला जोधपुर) अतिदोहित (डार्क) श्रेणी में वर्गीकृत

हमारे पुरखों ने सदियों में बूँद-बूँद पानी बचाकर भूजल जमा किया था। वर्ष 2001 में भूजल की मात्रा जोधपुर जिले में 7098 मिलियन घन मीटर थी जो अब 5610 मिलियन घन मीटर रह गई है। भूजल अतिदोहन के कारण पानी की कमी गम्भीर समस्या बन गई है।
एक अध्ययन : पंचायत समिति बालेसर की भूजल स्थिति
Posted on 30 Oct, 2015 12:43 PM
पंचायत समिति, बालेसर (जिला जोधपुर) अतिदोहित (डार्क) श्रेणी में वर्गीकृत

हमारे पुरखों ने सदियों से बूँद-बूँद पानी बचाकर भूजल जमा किया था। वर्ष 2001 में भूजल की मात्रा जोधपुर जिले में 7098 मिलियन घन मीटर थी जो अब घटकर 5610 मिलियन घन मीटर रह गई है। भूजल अतिदोहन के कारण पानी की कमी गम्भीर समस्या बन गई है।
हसदेव नदी के सिंचाई और औद्योगिक जल उपयोग का परिदृश्य (Agriculture and Industrial water use in the Hasdeo sub-basin and command)
Posted on 28 Aug, 2015 12:12 PM
महानदी की सहायक नदी है हसदेव। यह नदी छत्तीसगढ़ में बहती है। महानदी में यह नदी बिलाईगढ़ के पास हसदेव बांगो बाँध के नजदीक मिलती है। हसदेव नदी का उद्गम छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के सोनहट से दस किलोमीटर की दूरी पर स्थिति है। उद्गम स्थान की ऊँचाई समुद्र तल से 910 मीटर ऊपर है। 333 किलोमीटर लम्बी यह नदी का कैचमेंट एरिया 9856 वर्ग किलोमीटर है। हसदेव की मुख्य सहायक गेज नदी है। हसदेव नदी पर बने ‘हसद
जल संसाधन के क्षेत्र में समस्थानिक तकनीकों का प्रयोग-एक नवीन युक्ति
Posted on 28 Dec, 2011 04:55 PM
समस्थानिक ऐसे तत्वों के परमाणु होते हैं जिनकी परमाणु संख्या समान होती है लेकिन परमाणु भार भिन्न होते हैं। समस्थानिक रेडियोएक्टिव एवं स्थायी प्रकृति के हो सकते हैं। आजकल, पर्यावरणीय समस्थानिक (स्थायी एवं रेडियोएक्टिव) का जल विज्ञानीय अन्वेषणों के लिए काफी उपयोग हो रहा है। समस्थानिक जलविज्ञान जल संसाधन विकास एवं प्रबंधन में ट्रेसर्स के अनुप्रयोग का विज्ञान है।
घेराकार संग्राहक कुंआ-पेयजल का एक वैकल्पिक स्रोत
Posted on 28 Dec, 2011 12:20 PM

लगातार जनसंख्या वृद्धि एवं जल संसाधनो के असमान वितरण के कारण एक निरन्तर एवं टिकाऊ जल स्रोत की खोज के लिए जल से जुड़े वैज्ञानिकों एवं निर्णायकों को मजबूर व चिंतित किया हुआ है। देश के बहुत सारे भागों में सतही स्रोतों के दूषित, असुरक्षित एवं अशुद्ध होने के कारण जल से जुडे लोग भूजल से सम्बन्धित स्रोतों को जलापूर्ति के लिए एक टिकाऊ व निरन्तर स्रोत समझने लगे

भूजल प्रबंधन- वर्तमान एवं भविष्य की महती आवश्यकता
Posted on 28 Dec, 2011 11:59 AM
पृथ्वी पर पाये जाने वाले प्रत्येक जीव का जीवन जल पर ही निर्भर होता है। अतः इसकी उपलब्धता नितान्त आवश्यक है। पानी को हम प्रकृति का मुफ्त या निशुल्क उपहार समझते हैं, जब वस्तुस्थिति यह है कि पानी प्रकृति का मुफ्त नहीं वरन् बहुमूल्य उपहार है। अतः यदि हमने जल का विवेकपूर्ण ढंग से उपयोग एवं संरक्षण नहीं किया तो हमारे अस्तित्व को ही खतरा उत्पन्न हो जाएगा। प्रकृति ने हमें सभी वस्तुएं पर्याप्त मात्रा
भूजल में बढ़ते नाइट्रेट एवं फ्लोराइड का कहर एवं उसका प्रबंधन
Posted on 26 Dec, 2011 04:54 PM
सृष्टि की संरचना में जल का अपना अलग ही वैशिष्टय है। यह पंचमहाभूतों में एक महत्वपूर्ण घटक है। प्रत्येक जीव की सभी शारीरिक क्रियाएं जलाधारित होने के कारण जल को जीवन की दी गई है। जल के उभयचारी रूप हैं- रोगकारक एवं रोगशामक। विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिवेदन के अनुसार लगभग 80 प्रतिशत रोगों का कारण भी जल है। इसी प्रकार आयुर्वेदानुसार जल कई रोगों का शामक है। बढ़ती हुई जनसंख्या, शहरीकरण तथा औद्योगि
जल संसाधन के प्रबंधनः वाघाड़ परियोजना (वाघाड़ महासंघ जिला-नासिक, महाराष्ट्र) का अध्ययन
Posted on 26 Dec, 2011 01:08 PM
हिन्दुस्तान में सहभागी सिंचाई की परंपरा है। किसान भाई जल स्रोतों का रखरखाव और परिचालन अपनी भागीदारी से करते हैं। महाराष्ट्र के माल गुजारी तलाब फड़ पद्धति राजस्थान की वाराबंदी लोक सहभाग से सिंचाई के उत्तम उदाहरण है। मुगलों के जमाने में भी जल सिंचाई परियोजना बनाई जाती थी जिसे प्रबंधन हेतु किसानों के हाथों सौप दिया जाता था। उस वक्त किसानों में उन योजनाओं के प्रति अपनेपन की भावना थी। इसी भावना स
भारतवर्ष में जल क्षेत्र में संवैधानिक प्राविधान तथा अन्तर्राष्ट्रीय एवं अन्तर्राज्यीय जल मतभेद
Posted on 26 Dec, 2011 10:48 AM
भारतवर्ष में जल का उपयोग राज्यों के कार्यक्षेत्र के अन्तर्गत आता है। यह सम्भव है, कि किसी राज्य में पूर्णतः प्रवाहित होने वाली नदी के पर्यावरणीय, एवं सामाजिक प्रभाव उदाहरणतः जल संभरण, जल ग्रसनता इत्यादि दूसरे राज्य पर पड़ें। इसके अतिरिक्त किसी राज्य में होने वाली भू-जल निकासी का प्रभाव निकटवर्ती राज्य पर पड़ सकता है। किसी राज्य में प्रवाहित होने वाली नदी पर बनने वाले बाँध के जल प्लावन क्षेत्
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