/topics/droughts-and-floods
सूखा और बाढ़
उत्तर पूर्व हिमालय में भूकम्पलेखी (सिस्मोग्राफ) स्थापित करने का सफर : एक रोमांचक याद (A journey of Seismograph installation in North East Himalaya : An exciting Memoir)
Posted on 04 Oct, 2016 11:51 AMबात तब की है जब मैंने सन 1985 में रुड़की विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग से एम. टेक.
कमला नदी में उलटी दिशा में प्रवाह का खतरनाक संकेत
Posted on 01 Oct, 2016 04:30 PM(नदी संवाद यात्रा-1)
लहरों पर लहर (After sea wave, wave of agony)
Posted on 01 Oct, 2016 03:58 PMप्राकृतिक आपदाओं से अपने अस्तित्व को बचाना तब तक शायद न हो जब तक हम इन आपदाओं से अपने को
इण्डियन ओसन सुनामी - 26 दिसम्बर 2004 : एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण (Indian ocean Tsunami - 26 December 2014 : A scientific point of view)
Posted on 30 Sep, 2016 04:37 PMभारत सरकार ने शीघ्र ही आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का गठन करने और सुनामी की सूचना देने वाली प्
26 दिसम्बर 2004 की विनाशकारी सिन्धुतरंगे : सुनामी
Posted on 30 Sep, 2016 10:56 AMजब भी पृथ्वी पर ठोस चट्टानें अपने स्थान से अचानक हटती हैं या टूटती हैं तो पृथ्वी में कम्पन होता है, पृथ्वी की सतह पर इन कम्पन तरंगों का संचरण भूकम्प या भूचाल कहलाता है, पृथ्वी पर इन कम्पनों का मुख्य कारण महाद्वीपों या समुद्र तल की ठोस चट्टानों का अचानक भ्रंशतलों पर धँसना या खिसकना है जो महाद्वीपों की जमीन पर भूचाल या समुद्र में सुनामी (सिन्धुतंरगें) उत्पन्न करते हैं और ऐसे भूचालों को टैक्टोन
मानव निर्मित बाढ़ की विनाशलीला
Posted on 02 Sep, 2016 03:21 PMविगत 21 अगस्त 2016 की सुबह गंगा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ते हुए, पटना में 50.43 मीटर पर पहुँच गया। यानी वह पहले के उच्चतम बाढ़ स्तर 50.27 मीटर से 16 सेंटीमीटर ऊपर बह रही थी।
भविष्यवाणी जो सुनी नहीं गई
Posted on 02 Sep, 2016 10:41 AMदामोदर घाटी परियोजना को बने हुए अनेक वर्ष बीत चुके हैं। जिस समय यह परियोजना बन रही थी, उसी समय मैंने इसके दोषों और इससे होने वाले भयंकर परिणाम की जानकारी सबके सामने रखी थी। इसके कारण पश्चिम बंगाल के पानी को निकालने वाली मुख्य नदी हुगली भी जाएगी और फिर देश में भयानक बाढ़ आएगी।
इतनी बुरी भी नहीं बाढ़
Posted on 30 Aug, 2016 04:06 PM
बाढ़ के कारणों पर चर्चा के शुरू में ही एक बात साफ कर देनी जरूरी है कि बाढ़ बुरी नहीं होती; बुरी होती है एक सीमा से अधिक उसकी तीव्रता तथा उसका जरूरत से ज्यादा दिनों तक टिक जाना। बाढ़, नुकसान से ज्यादा नफा देती है। बाढ़ की एक सीमा से अधिक तीव्रता व टिकाऊपन, नफे से ज्यादा नुकसान देते हैं।
एक सीमा से अधिक वेग मिट्टी, पानी और खेती के लिहाज से बाढ़ वरदान होती हैै। प्राकृतिक बाढ़ अपने साथ उपजाऊ मिट्टी, मछलियाँ और अगली फसल में अधिक उत्पादन लाती है। यह बाढ़ ही होती है कि जो नदी और उसके बाढ़ क्षेत्र के जल व मिट्टी का शोधन करती है। बाढ़ ही भूजल भण्डारों को उपयोेगी जल से भर देती है। इस नाते बाढ़, जलचक्र के सन्तुलन की एक प्राकृतिक और जरूरी प्रक्रिया है। इसे आना ही चाहिए।