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पेयजल और अन्य घरेलू उपयोग
सूखा क्षेत्र के लिए बना वरदान
Posted on 26 Sep, 2008 11:05 AMबांदा। दिल में अगर कुछ कर दिखाने का प्रशासनिक जज्बा हो तो अनेक दुरूह प्राकृतिक एवं भौगोलिक समस्या का निदान हो जाता है। कुछ यही जज्बा दिखाया है नरैनी तहसील के ज्वाइंट मजिस्ट्रेट (आईएएस) जुहैर बिन सगीर ने, इन्होंने जिले के भूगर्भ के गिरते जलस्तर को रिचार्ज करने के लिए अपनी एक अनोखी तरकीब को मूर्त रूप दिया है। इसका नाम रिचार्जिग रिंग वेल रखा है। प्रदेश में यह अपने आपमें अनोखी विधि का यह ईजाद माना
स्वास्थ्य सुरक्षा
Posted on 25 Sep, 2008 12:47 PMउद्देश्य-विशेषकर स्कूली बच्चों के लिए सुनिश्चित करना कि गांव में पैदल चलते समय वे हमेशा चप्पल पहनें। और महिलाओं को पेयजल निथारने की अच्छी तकनीकें सिखाना।
स्थिति-
स्वास्थ्य सुरक्षा
Posted on 24 Sep, 2008 07:43 PMउद्देश्य-विशेषकर स्कूली बच्चों के लिए सुनिश्चित करना कि गांव में पैदल चलते समय वे हमेशा चप्पल पहनें, और महिलाएं पेयजल को निथारने की अच्छी तकनीकें सीखें।
स्थिति-
जल जनित रोग और सावधानियाँ
Posted on 20 Sep, 2008 08:38 AMजल या पानी अनेक अर्थों में जीवनदाता है। इसीलिए कहा भी गया है। जल ही जीवन है। मनुष्य ही नहीं जल का उपयोग सभी सजीव प्राणियों के लिए अनिवार्य होता है। पेड़ पौधों एवं वनस्पति जगत के साथ कृषि फसलों की सिंचाई के लिए भी यह आवश्यक होता है। यह उन पांच तत्वों में से एक है जिससे हमारे शरीर की रचना हुई है और हमारे मन, वाणी, चक्षु, श्रोत तथा आत्मा को तृप्त करती है। इसके बिना हम जीवित नहीं रह सकते। शरीर में
हवा-पानी की आजादी
Posted on 17 Sep, 2008 02:50 PMआजादी की 62वीं वर्षगांठ, हर्षोल्लास के माहौल में भी मन पूरी तरह खुशी का आनन्द क्यों महसूस नहीं कर रहा है, एक खिन्नता है, लगता है जैसे कुछ अधूरा है। कहने को हम आजाद हो गए हैं, जरा खुद से पूछिए क्या आपका मन इस बात की गवाही देता है नहीं, क्यों?
सेटेलाइट से जल प्रबंधन
Posted on 14 Sep, 2008 08:22 AMभास्कर न्यूज/ जोधपुर: प्रदेश में तेजी से गिरते भूजल स्तर से अगले दो दशक में पानी के भीषण संकट की आशंका को देखते हुए इसरो के सेंट्रल रिमोट सेंसिंग सेंटर ने जल प्रबंधन की कवायद शुरु कर दी है। इसके लिए भूजल विभाग समेत अन्य संबंधित विभागों के लिए इंटीग्रेटेड मैनेजमेंट का प्रारुप तैयार किया जा रहा है।जल संसाधन परिचय
Posted on 10 Sep, 2008 09:11 PMसामान्य तथ्य: पृथ्वी के लगभग तीन चौथाई हिस्से पर विश्र्व के महासागरों का अधिकार है। संयुक्त राष्ट्र के अनुमानों के अनुसार पृथ्वी पर जल की कुल मात्रा लगミग 1400 मिलियन घन किलोमीटर है जो कि पृथ्वी पर 3000 मीटर गहरी परत बिछा देने के लिए काफी है। तथापि जल की इस विशाल मात्रा में स्वच्छ जल का अनुपात बहुत कम है। पृथ्वी पर उपलब्ध समग्र जल में से लगभग 2.7 प्रतिशत जल स्वच्छ है जिसमें से लगभग 75.2 प
भारत में औसत वार्षिक जल संसाधन क्षमता का मूल्यांकन
Posted on 10 Sep, 2008 02:56 PMछत्तीसगढ़ न्यूज/ देश में सतही और उप-सतही स्रोतों से जल की उपलब्धता का समुचित मूल्यांकन उचित आयोजना, विकास और प्रबंधन का आधार है। जल संसाधनों की आयोजना, विकास और प्रबंधन को बहु-क्षेत्रीय, बहु-विभागीय और भागीदारीपूर्ण दृष्टिकोण के साथ ही राष्ट्रीय जल नीति, 2002 के अनुसार समन्वित गुणवत्ता, संख्या और पर्यावरण संबंधी पहलुओं पर आधारित एक जलविज्ञान इकाई के आधार