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झीलें, तालाब और आर्द्रभूमि
शीतल जल मत्स्य उद्योग एक सम्भावना
Posted on 03 Mar, 2016 04:06 PMमत्स्य उद्योग विश्व के प्राचीनतम उद्योगों में से एक है। मानव सभ्यता के प्रारम्भिक चरण में
सबका सपना - अपना तालाब
Posted on 18 Feb, 2016 12:12 PMस्थानीय किसान इस बात से खासे उत्साहित हैं कि एक तालाब बनाने में कमोबेश उतना ही खर्च आता है जितना एक पक्का कुआँ बनाने मेंं। और यहाँ तो सरकार तालाब बनाने के लिये आधी मदद देने को भी तैयार है। एक औसत तालाब में 12 से 15 हजार घन फीट पानी आता है। इस पानी से लगभग 10-12 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली फसल को कम-से-कम दो बार सींचा जा सकता है। महोबा के तत्कालीन कलेक्टर अनुज कुमार झा की उत्सुकता और उत्साह ने इस अभियान की नींव डाली और मौजूदा कलेक्टर वीरेश्वर सिंह ने भी राज्य सरकार को पत्र लिखकर इस मॉडल की सफलता का किस्सा उसके साथ साझा किया। उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश के बुन्देलखण्ड इलाके में 2,000 तालाब खुदवाने की घोषणा की है। शासकीय मदद से होने वाले इस काम को अपना तालाब अभियान का भी सहयोग हासिल है।
कमजोर मानसून ने यूँ तो पूरे देश को किसी-न-किसी तरह प्रभावित किया है लेकिन पारम्परिक रूप से सूखा पीड़ित बुन्देलखण्ड इलाके पर इसकी मार बाकी क्षेत्रों की तुलना में कुछ ज्यादा ही पड़ती है। हालात की गम्भीरता को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने क्षेत्र में 2,000 तालाब खुदवाने की घोषणा की है। इस योजना के तहत तालाब खुदवाने में आने वाले खर्च का 50 फीसदी हिस्सा सरकार देगी जबकि बाकी खर्च खुद किसानों को वहन करना होगा।
इस योजना पर शीघ्र कार्रवाई के क्रम में ही गत 12 फरवरी को बांदा के मयूर भवन में अपना तालाब योजना को लेकर मंडलीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
तालाब एक उम्मीद का नाम भी है
Posted on 18 Feb, 2016 11:53 AMपंकज अपनी जमीन पर एक तालाब खुदवा रहे हैं उनको यकीन है कि यह तालाब न केवल उनकी तकदीर बदलेगा बल्कि गाँव के लोगों को नई राह भी दिखाएगा। तालाब खुदाई के वक्त आयोजित समारोह में जब उमाकान्त उमराव ने पंकज को इस क्षेत्र का भगीरथ बनने की प्रेरणा दी तो दरअसल इसमें एक गहरा निहितार्थ छिपा था। भगीरथ जहाँ गंगा को स्वर्ग से धरती पर लाये थे वहीं पंकज के सामने चुनौती है दशकों से सूखे की मार झेल रहे इस क्षेत्र को हरियाली से आच्छादित करने की। बुन्देलखण्ड का एक इलाका ऐसा भी है जिसे बुन्देलखण्ड के बुन्देलखण्ड का नाम दिया जा सकता है। यहाँ पानी का संकट कल्पना से परे है। यहाँ के लोगों की सारी उम्मीदें एक तालाब की सफलता पर टिकी हैं। पिछले दिनों बांदा के जिलाधिकारी सुरेश कुमार और मध्य प्रदेश के वाटरमैन के नाम से जाने जाने वाले आईएएस उमाकान्त उमराव ने जब यहाँ तालाब की खुदाई के लिये कुदाल चलाई तो दरअसल एक साथ कई उम्मीदों के बीजों ने अंकुरित होने के लिये अंगड़ाई भरी।
यह गाँव है बुन्देलखण्ड के बांदा जिले के बड़ोखर खुर्द विकासखण्ड का खहरा गाँव। खहरा के रहने वाले पंकज सिंह भारतीय रेल में सहायक प्रबन्धक की नौकरी छोड़कर वापस गाँव लौट आये हैं।
देश भर में ऐसे लोगों के नाम अंगुलियों पर गिने जा सकते हैं जो जमी-जमाई तय आय वाली नौकरी छोड़कर दोबारा गाँव लौटते हैं। जो अपने खेत, अपने गाँव और अपने पूरे इलाके के लिये कुछ करने की मंशा रखते हैं।
बुन्देलखण्ड का कश्मीर है चरखारी
Posted on 14 Feb, 2016 04:12 PMपंत जी ने चरखारी को कश्मीर यूँ ही नहीं कह दिया था। राजमहल के चारों तरफ नीलकमल और पक्षियों
काँवर झील : प्राकृतिक विरासत को गँवा रहा है बिहार
Posted on 11 Feb, 2016 10:36 AM
काँवर झील के दिन फिरने के आसार हैं। राज्य सरकार को अपने सारे अधिकारों का प्रयोग करके झील का संरक्षण करने और निगरानी रखने का आदेश पटना हाईकोर्ट ने दिया है। गंगा और बूढ़ी गंडक नदियों के बीच बेगूसराय जिले में करीब एक हजार एकड़ में फैला ‘काँवर झील पक्षी-विहार’ सैकड़ों प्रवासी पक्षियों और असंख्य जीव-जन्तुओं का निवास स्थल है।
हाईकोर्ट ने आदेश में कहा है कि संरक्षण उपायों से इसकी जैव-विविधता बच सकेगी। इसमें लगभग 140 किस्म के पेड़ पौधे, 170 नस्ल के पक्षी जिसमें 58 प्रवासी पक्षी हैं, 41 तरह की मछलियाँ और अनेक तरह के कीड़े मकोड़े-अथ्रोपोडस, मुलस और फाइटो प्लैन्कोटस आदि के अलावा अनेक तरह की वनस्पति व जैविक प्रजातियों का वास है जिनका खोज होना अभी बाकी है।
पार्क संस्कृति में घटते तालाब
Posted on 07 Feb, 2016 03:27 PM
‘पक्का तालाब’, जम्मू के वार्ड नम्बर तेरह में अब एक मोहल्ला बन गया है। यहाँ जाने पर यह सवाल किसी के मन में कौंध सकता है कि मोहल्ले के अन्दर पक्का तालाब कहाँ है? जिसके नाम पर यह काॅलोनी ‘पक्का तालाब’ कहलाती है।
खेती + लाभ + खुशहाली = प्रेमसिंह
Posted on 06 Feb, 2016 12:22 PMजल संकट, अल्प वर्षा, सूखा और तमाम प्राकृतिक तथा मानव जनित समस्याओं से ग्रस्त बुन्देलखण्ड में कुछ चेहरे ऐसे भी हैं जिनको देखकर भविष्य को लेकर आश्वस्ति होती है। ऐसे ही एक शख्स हैं बुन्देलखण्ड के बांदा जिले के बड़ोखर खुर्द गाँव के 51 वर्षीय किसान प्रेम सिंह।
भोपाल का बड़ा तालाब यानी अन्तरराष्ट्रीय आर्द्रभूमि (वेटलैण्ड) खतरे में
Posted on 31 Jan, 2016 12:01 PMयूँ तो झीलों की नगरी भोपाल में 18 तालाब और एक नदी है। इसीलिये इसे ‘सिटी ऑफ लेक’ कहा जाता है। अगर पूरे मध्य प्रदेश की बात करें, तो यहाँ लगभग 2400 छोटे-बड़े तालाब हैं।
इनमें भोपाल का बड़ा तालाब अन्तरराष्ट्रीय वेटलैण्ड के रूप में जाना जाता है। यह तालाब जलसंग्रहण की पुरानी तकनीक का बेहतरीन नमूना है और मनुष्यों द्वारा निर्मित यह तालाब एशिया का सबसे बड़ा तालाब है। इस तालाब का कैचमेंट क्षेत्र 361 किलोमीटर और पानी से भरा क्षेत्र 31 वर्ग किलोमीटर में फैला है।
आज भी सारे शहर की प्यास यह तालाब बुझा रहा है। लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार यहाँ पानी बी. कैटेगरी का है और यह पीने योग्य नहीं है। वर्तमान में इस तालाब के चारों ओर अवैध कब्ज़ा हो चुका है।