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जलवायु परिवर्तन
लद्दाख में पॉलीबैग के खिलाफ लड़ाई
Posted on 09 Nov, 2011 12:36 PMदेखा जाए तो पर्यावरण को हानि पहुंचाने में यदि कलकारखानों से निकलने वाले जहरीले धुएं जिम्मेदार हैं तो छोटी-छोटी वस्तुएं भी इसमें अहम भूमिका अदा कर रही है। बल्कि यूं कहें तो हमारे रोजमर्रा की जिंदगी में काम आने वाली वस्तुएं भी ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।
ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते खतरे का असर विश्व पर्यावरण पर नजर आ रहा है। कहीं बेमौसम बारिष, कहीं अचानक आई बाढ़ तो कहीं अकाल इसी की देन है। ये सारी परेशानियां किसी अन्य ग्रह के वासियों के कारण नहीं बल्कि पृथ्वी पर वास करने वाला सर्वश्रेष्ठ प्राणी मनुष्य के कारण उत्पन्न हुई है। विकास और औद्योगिकीकरण के अंधे दौड़ में पर्यावरण का जमकर विनाश किया गया। हालांकि पर्यावरण के बढ़ते खतरे से अन्य प्राणियों के साथ-साथ स्वंय मनुष्य भी प्रभावित हो रहा है। यही कारण है कि विश्व भर में पर्यावरण को बचाने के लिए कई स्तर पर प्रयास जारी है। देखा जाए तो पर्यावरण को हानि पहुंचाने में यदि कलकारखानों से निकलने वाले जहरीले धुएं जिम्मेदार हैं तो छोटी-छोटी वस्तुएं भी इसमें अहम भूमिका अदा कर रही है। बल्कि यूं कहें तो हमारे रोजमर्रा की जिंदगी में काम आने वाली वस्तुएं भी ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। !गहराता जलवायु संकट, झगड़ती दुनिया
Posted on 09 Nov, 2011 12:00 PMघर में अगर भाड़ जल रहा हो तो अगरबत्तियाँ बुझाने से धुआँ कम नहीं होता। दुनिया को इस बात का भी अह
जलवायु परिवर्तन के संकट का सामना कैसे करें
Posted on 09 Nov, 2011 11:15 AMसवाल उठता है कि बड़ी व विकट होती आपदाओं का सामना करने की तैयारी कैसे करें। यदि हम इन सवालों को एक मुख्य प्राथमिकता बनाएं व सरकार तथा प्रशासन भी इस प्राथमिकता के अनुकूल ही तैयार रहे, तो जलवायु बदलाव के प्रतिकूल दुष्परिणामों को चाहे पूरी तरह न रोका जा सके, पर इन दुष्परिणामों को काफी कम अवश्य किया जा सकता है।
जलवायु बदलाव की समझ रखने वाले अधिकांश विशेषज्ञ व संस्थान यह चुनौती दे रहे हैं कि इस संकट को नियंत्रित करने के लिए बहुत व्यापक प्रयास अभी नहीं हुए तो कुछ वर्षो में हालात हाथ से निकल जाएंगे। इसलिए अब समय आ गया है कि इन्हें बचाने की कोशिशें अभी से शुरू कर दी जाएं। कुछ कदम हैं, जो तुरंत ही उठाए जा सकते हैं। सबसे पहले तो वनों को बचाना बहुत जरूरी है। अनुमान है कि हमारी दुनिया से हर एक मिनट में तकरीबन 50 फुटबॉल मैदानों के बराबर ट्रॉपिकल या उष्ण कटिबंधीय वन नष्ट हो जाते हैं यानी प्रतिवर्ष 55 लाख हेक्टेयर। कई जगह इन्हें जलाकर नष्ट कर दिया जाता है और सिर्फ इसी वजह से धरती पर 20 प्रतिशत कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन होता है। कहीं इन वनों को काट दिया जाता है। कभी लकड़ी के लिए, कभी उद्योगों के लिए, तो कभी खेती के लिए।
वनों की रक्षा का कार्य सदा से महत्वपूर्ण रहा है। मिट्टी व जल संरक्षण, बाढ़ व सूखे के संकट को कम करने व आदिवासियों-गांववासियों की आजीविका की दृष्टि से वनों !
रेगिस्तान के रोचक तथ्य
Posted on 16 Sep, 2011 03:55 PMरेगिस्तान के विषय में कुछ रोचक तथ्य निम्नांकित हैं:
1. संपूर्ण पृथ्वी के इतिहास में रेगिस्तान की उपस्थिति सदैव रही है।
2. वैज्ञानिकों के अनुसार रेगिस्तान वह क्षेत्र हैं जहां वार्षिक वर्षा 250 मि.मी. से कम होती है।
3. विश्व में वर्षा की सर्वाधिक अनियमितता रेगिस्तानों में ही देखी गई है।
रेगिस्तानीकरण को किस प्रकार रोका जाए?
Posted on 16 Sep, 2011 02:02 PM‘‘रेगिस्तानीकरण एक धीमी प्रक्रिया है, जिसके परिणामस्वरूप धरती की उर्वरता शनैः शनैः समाप्त हो ज
ठंडे रेगिस्तान
Posted on 16 Sep, 2011 12:58 PM”अधिकतर रेगिस्तानों को गर्म क्षेत्र के रूप में जाना जाता है, लेकिन संभवतः सभी रेगिस्तानी जीवोम
रेगिस्तान के निवासी
Posted on 16 Sep, 2011 11:41 AM”प्राचीन काल से ही रेगिस्तान, निर्जन, कठिन व निष्ठुर स्थान के रूप में जाने जाते हैं। हममें से
रेगिस्तानी जीव
Posted on 16 Sep, 2011 10:37 AM”विशाल शुष्क रेगिस्तान किसी भी प्रकार से आबाद होने का अहसास नहीं कराते, किन्तु फिर भी यहां अन
रेगिस्तानी वनस्पतियां
Posted on 15 Sep, 2011 03:50 PM‘‘रेगिस्तान में मुख्यतः दो प्रकार की वनस्पतियां मिलती हैं; अस्थायी (एफीमेरलस) जो शुष्क स्थिति