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सफलता की कहानियां और केस स्टडी
पैड वुमेन माया विश्वकर्मा महिलाओं के लिए मिसाल
Posted on 04 May, 2019 12:50 PMमेरी नजर में एक महिला तभी सशक्त होगी जब वह शिक्षित एवं स्वस्थ हो और उसके पास रोजगार के साधन उपलब्ध हों। क्योंकि जब महिला शिक्षित होगी तो उसमें आत्मविश्वास होगा और फिर वह जीवन मे किसी भी प्रकार की परिस्थितियों का सामना करने के लिए हरदम तैयार होगो। वहीं यदि महिला सशक्त है तो फिर किसी एक दिन महिला दिवस मनाने की जरूरत ही नहीं होगी बल्कि हर दिन महिला सशक्तिकरण का होगा। यह मानना है महिला सशक्तिकरण का
पंढरी गांव ने दी सूखे और खुले में शौच को मात
Posted on 29 Apr, 2019 04:09 PM‘मेरा किसान आलसी हो सकता है लेकिन मेरा किसान भिखारी नहीं हो सकता, वो किसी से भीख नहीं मांगेगा’
सामूहिक प्रयास से तीन सौ साल पुरानी बावड़ी को सहेजा
Posted on 27 Apr, 2019 03:31 PMमध्यप्रदेश के देवास शहर की पहचान पूरे देश में भयावह जल संकट वाले शहर के रूप में रही है। अस्सी के दशक से लेकर अब तक बीते चालीस सालों में यहाँ हर साल पानी की जबर्दस्त किल्लत बनी रहती है। कभी ट्रेन से तो कभी सवा सौ किमी दूर नर्मदा नदी से और कभी 65 किमी दूर गंभीर नदी से यहाँ के लोगों की प्यास बुझाने की कोशिशें की जाती रही है। जल संकट से परेशान हो चुके यहाँ के लोगों को अब बूँद-बूँद पानी की कीमत समझ
गाँव ने रोका अपना पानी
Posted on 03 Dec, 2018 08:37 PM'खेत का पानी खेत में' और 'गाँव का पानी गाँव में' रोकने के नारे तो बीते पच्चीस सालों से सुनाई देते रहे हैं, लेकिन इस बार बारिश के बाद एक गाँव ने अपना पानी गाँव में ही रोककर जलस्तर बढ़ा लिया है। इससे गाँव के लोगों को निस्तारी कामों के लिये पानी की आपूर्ति भी हो रही है और ट्यूबवेल, हैण्डपम्प और कुएँ-कुण्डियों में भी कम बारिश के बावजूद अब तक पानी भरा है। यह काम किसी सरकारी योजना के अन्तर्गत नहीं हुआ
अनूठा पर्यावरण प्रेमी
Posted on 29 Oct, 2018 08:11 PMदावा है कि कभी आपने ऐसा पुलिस अफसर नहीं देखा होगा, आज तक आपने जितने भी पुलिस अफसर देखे होंगे, अपराधों पर सख्ती से अंकुश लगाने या नरम-गरम छवि की वजह से पहचाने जाते रहे हैं। आमतौर पर खाकी वर्दी और रौब झाड़ना ही पुलिस की पहचान होती है लेकिन एक आईपीएस अफसर ने इस धारणा को पूरी तरह से बदल दिया।
पुनर्जीवित हुआ ढाई सौ साल पुराना तालाब
Posted on 12 Oct, 2018 02:31 PM"जिस दौर में ये तालाब बने थे, उस दौर में आबादी और भी कम थी। यानी तब जोर इस बात पर था कि अपने हिस्से में बरसने वाली हरेक बूँद इकट्ठी कर ली जाये और संकट के समय में आसपास के क्षेत्रों में भी उसे बाँट लिया जाये। वरुण देवता का प्रसाद गाँव अपनी अंजुली में भर लेता था।
पानी की महत्ता का स्मारक बाला तालाब
Posted on 22 Sep, 2018 06:38 PMएक समाज ने अपना तालाब सहेजकर पानी के संकट की आशंका को हमेशा-हमेशा के लिये खत्म कर दिया। इस एक तालाब से आसपास के करीब 25 गाँवों में भूजलस्तर काफी अच्छा है। आज जबकि यह पूरा इलाका पानी के संकट से रूबरू हो रहा है तो ऐसे में यह तालाब और यहाँ का समाज एक मिसाल है, पानी को रोककर जमीनी पानी के स्तर को ऊँचा उठाने में। आसपास पहाड़ियों से घिरे होने की वजह से थोड़ी-सी भी बारिश में यह लबालब भर जाता है और अमूमन
आदिवासियों ने सहेजे माता नु वन
Posted on 03 Sep, 2018 02:32 PMमध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में अपढ़ समझे जाने वाले आदिवासी समाज ने अपने जंगल को सहेजकर पढ़े-लिखे समाज को एक बड़ा सन्देश दिया है। जिले के 110 गाँवों में खुद आदिवासियों ने अपने बूते आसपास के जंगलों को न सिर्फ सहेजा, बल्कि वहाँ 41 हजार नए पौधों को रोपकर घना जंगल खड़ा करने के लिये भी जतन शुरू कर दिया है।
इजराइली तरीके से बारिश का पानी तिजोरी में
Posted on 07 Aug, 2018 04:14 PMआपने शायद ही कभी सुना होगा कि बारिश के पानी को तिजोरी में रखा जाता हो, लेकिन मालवा के किसान अपने खेतों पर इसे साकार कर रहे हैं। उन्होंने इसके लिये बाकायदा जमीन पर लाखों की लागत से पॉलिथीन बिछाकर बारिश से पहले ही इस पानी को इजराइली तरीके से अपनी तिजोरी में स्टोर करने की पूरी तैयारी कर रखी थी। इस बारिश का करोड़ों लीटर पानी अब इसमें संग्रहित हो चुका है, जो गर्मियों में भी फसल लहलहाएगा। मालवा के कई