Posted on 15 Mar, 2018 02:54 PM किसी भी वस्तु से जनित श्रव्य तरंगों को ध्वनि कहते हैं। जब ध्वनि की तीव्रता अधिक हो जाती है, तथा वह कर्ण प्रिय नहीं रह जाती तो उसे शोर कहते हैं, अर्थात अधिक ऊँची ध्वनि को शोर कहते हैं। ऊँची ध्वनि या आवाज को जो मन में विक्षोभ उत्पन्न करे ध्वनि प्रदूषण कहते हैं। इस प्रकार उच्च तीव्रता वाली ध्वनि अर्थात अवांछित शोर के कारण मानव तथा समस्त जीव वर्ग में उत्पन्न अशांति एवं बेचैनी की दशा को ध्वनि प्र
Posted on 12 Mar, 2018 05:15 PM Lucknow Metro-City: Air Pollution
पृथ्वी पर जीवों की उत्पत्ति का कारण उसके चारों ओर गैसों का घेरा है जिसे वायुमंडल कहते हैं। ‘‘पृथ्वी को चारों ओर से घेरने वाले अभिन्न अंगभूत गैसों के लिफाफे को वायुमंडल की संज्ञा दी जाती है यह सैकड़ों मील की ऊँचाई तक विस्तृत है।’’
Posted on 11 Mar, 2018 12:47 PM Lucknow Metro-City: Water Pollution
जल पर्यावरण का जीवनदायी तत्व है, जो जैवमंडल में विद्यमान संसाधनों में सर्वाधिक मुल्यवान है। जल मानव की आधारभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ भौतिक उन्नति में भी सहायक है। विद्युत उत्पादन, जल परिवहन, फसलों की सिंचाई, उद्योग धंधे, सफाई, सीवेज आदि के निपटान के लिये जल की महत्त्वपूर्ण आवश्यकता होती है।
Posted on 09 Mar, 2018 01:08 PM मृदा, भूमि या मिट्टी प्रकृति का सर्वाधिक मूल्यवान संसाधन है। उपजाऊ मृदा क्षेत्र सदैव से मानव के आकर्षण केंद्र रहे हैं। नदी घाटी के उपजाऊ मृदा क्षेत्रों में ही सभ्यताओं का उदय हुआ और आज भी सर्वाधिक उपजाऊ क्षेत्रों में ही सर्वाधिक जनसंख्या निवास करती है। मृदा का उपयोग मुख्यतः कृषि कार्य के लिये होता है। यह मिट्टी हमारे जीवन के भरण पोषण से जुड़ी हुई है। मिट्टी का महत्त्व हमारे और समस्त जीव-जगत
Posted on 04 Mar, 2018 06:21 PM पर्यावरण प्रकृति की सहज संरचना है। इस प्रकृति की स्वाभाविक दशा में हस्तक्षेप करके मनुष्य उसे प्रतिकूल बनाता है और प्रदूषण उत्पन्न करने में सहायक बनता है। वर्तमान समय में भौतिक सुख-सुविधाओं का भोगी मानव प्रदूषण की विभीषिका को दिन-प्रतिदिन अधिकाधिक गहन और विस्तृत बनाता जा रहा है जिसकी परिणति विभिन्न प्रकार की नवीन बीमारियों का लगातार बढ़ता प्रकोप, संक्रामक रोगों का विस्तार, जलवायु परिवर्तन, वर्
Posted on 03 Mar, 2018 05:57 PM पेयजल आपूर्ति जल संसाधन का द्वितीय प्रमुख उपयोग है। बिलासपुर जिले की कुल जनसंख्या 2,95,336 व्यक्ति (1981) है, जो नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में आवासित है। पेयजल आपूर्ति की दृष्टि से जिले की जनसंख्या का 70 प्रतिशत आज भी पेयजल की समस्या से ग्रसित है। यद्यपि विभिन्न योजनाओं के माध्यम से प्रशासन द्वारा पेयजल आपूर्ति की जा रही है तथापि जिले के 45 प्रतिशत ग्राम आज भी पेयजल की दृष्टि से समस्यामूलक