शोध पत्र

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राजस्थान में जल संसाधन संरक्षण एवं विकास
राज्य के पश्चिम में अन्तराष्ट्रीय सीमा रेडक्लिफ रेखा जो पाकिस्तान से लगती है। इस सीमा की राज्य में कुल लम्बाई 1070 कि.मी. है। राज्य के बीचों-बीच दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर अरावली पर्वतमाला विद्यमान है जो विश्व की प्राचीनतम पर्वतमाला है Posted on 12 Oct, 2023 01:51 PM

सारांश

राजस्थान राज्य एशिया महाद्वीप के दक्षिण में स्थित भारत देश के उत्तर-पश्चिम में स्थित है जो क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान का सबसे बड़ा राज्य माना जाता है। राजस्थान का अंक्षाशीय विस्तार 23°30" उत्तरी अंक्षाश से 30°12" उत्तरी अक्षाश एवं देशान्तरी विस्तार 69°30" पूर्वी देशान्तर से 78°17" पूर्वी देशान्तर के मध्य है। राज्य की दक्षिणतम सीमा बोरकुण्ड (बाँसवाडा

राजस्थान में जल संसाधन संरक्षण एवं विकास
सीकर जिले में जल संरक्षण की परम्परागत एवं आधुनिक विधियों का एक विशेष अध्ययन
किसी स्थान विशेष की अवस्थिति से वहाँ की जलवायु मृदा, वनस्पति, कृषि, जीव-जन्तु मानव आदि प्रभावित होते हैं। भौगोलिक अवस्थिति के अनुसार ही उस स्थान पर विभिन्न वनस्पतियाँ एवं जीव, पर्यावरण के साथ सम्बन्ध स्थापित कर अपना विकास करते हैं Posted on 11 Oct, 2023 04:55 PM

प्रस्तावना

जल आपूर्ति की उपलब्धता, किसी भी क्षेत्र विशेष की प्रमुख आवश्यकताओं में एक है जिस हेतु वर्तमान परिप्रेक्ष्य में जल संरक्षण अत्यावश्यक हो जाता है भूमिगत जल संरक्षण एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसमें जल अनेक प्रक्रियाओं द्वारा भूमि के नीचे पहुंचता है। जल निकासी व प्राकृतिक पुनर्भरण के मध्य असंतुलन की स्थिति में कृत्रिम रूप से जल का संरक्षण किया जाता है। इ

सीकर जिले में जल संरक्षण की परम्परागत एवं आधुनिक विधियों का एक विशेष अध्ययन
जलग्रहण क्षेत्र विकास कार्यक्रम का मूल्यांकन : करौली पंचायत में समिति के संदर्भ में अध्ययन
प्रस्तुत शोध पत्र में राजस्थान राज्य के करौली जिले की करौली पंचायत समिति में संचालित जलग्रहण क्षेत्र विकास कार्यक्रम एवं उसके परिणामों का सांख्यिकीय विश्लेषण किया गया है। इसके अलावा जलग्रहण क्षेत्र में पहले से उपलब्ध जल संसाधनों, उनके प्रदूषित होने एवं जलाभाव के कारणों प्रभावों एवं जल प्रबन्धन के प्रभावी उपायों का भी उल्लेख किया गया हैं। Posted on 11 Oct, 2023 12:05 PM

सारांश

जल एक मूल्यवान प्राकृतिक संसाधन है। बढ़ती मांग पूरी करने के लिए जल का संरक्षण करने और सभी क्षेत्रों में जल को दूषित होने से बचाने की आवश्यकता है। इसके लिए हमें वाटरशेड प्रबंधन से लेकर रेन वाटर हार्वेस्टिंग की तकनीकों को अपनाना होगा। वर्षा जल का संग्रहण संरक्षण तथा समुचित प्रबंधन आवश्यक है। करौली जिले में बढ़ती जनसंख्या शहरीकरण एवं सिंचित कृषि के विस्तार

जलग्रहण क्षेत्र विकास कार्यक्रम का मूल्यांकन
जल संसाधन प्रबन्धन में जलग्रहण क्षेत्र विकास कार्यक्रम का मुल्यांकनः बामनवास पंचायत समिति का एक अध्य्यन
वर्षा की मात्रा में कमी की वजह से भूमिगत जल स्तर गिर गया जिससे कुओं के जल स्तर में गिरावट आई और अधिकांश कुएं सूख गये सन 2015-16 में कुओं की संख्या 4343 थी लेकिन पिछले 5 वर्षों में कुऐं की मात्रा में गिरावट दर्ज की गयी। Posted on 10 Oct, 2023 03:12 PM

सारांश

प्रस्तुत शोध पत्र में राजस्थान राज्य के सवाई माधोपुर जिले की बामनवास पंचायत समिति में संचालित जल संग्रहण क्षेत्र विकास कार्यक्रम एवं उसके परिणामों का सांख्यिकीय विश्लेषण किया गया हैं। इसके अतिरिक्त क्षेत्र में पहले से उपलब्ध जल संसाधनों, उनके प्रदूषित होने एवं जलाभाव के कारणों, प्रभावों एवं जल प्रबन्धन के तरीकों का भी उल्लेख किया गया हैं।

 इंटरनेशनल जर्नल ऑफ जियोग्राफी एंड एनवायरनमेंट
आर्थिक विकास का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ता है (What effect does economic development on the environment?)
विकसित देशों द्वारा विलासिता संबंधी आवश्यकताओं हेतु प्रकृति के संसाधनों का कितना उपयोग किया जाए एवं विकासशील देशों द्वारा मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु प्राकृतिक संसाधनों का कितना इस्तेमाल किया जाए। अनेक देशों ने प्रकृति से अधिकतम लिया है, पर अब जब वापस करने की जिम्मेदारी आई है. तो ये पीछे हट रहे हैं। Posted on 10 Oct, 2023 01:35 PM

सारांश

वर्तमान में संपूर्ण विश्व में यह विचार चल रहा है कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना किस प्रकार सतत् आर्थिक विकास किया जाए। जलवायु परिवर्तन, पानी की कमी, आर्थिक असमानता एवं भूख आदि समस्याएं आज भयानक रूप धारण करती जा रही हैं। ऐसे कौन-से उपाय है, जिससे विकास जारी रहे और पर्यावरण भी प्रभावित न हो?

 आर्थिक विकास एवं पर्यावरण
अलकनंदा बेसिन (उत्तराखंड) मे कृषि विकास द्वारा सतत् जीविकोपार्जन एवं भूमि प्रबंधन
उत्तराखंड राज्य में स्थित अलकनंदा बेसिन न केवल उच्च ऊंचाई और ठंडी जलवायु के कारण, बल्कि क्षैतिज और उर्ध्वाधर विभिन्नताओ के कारण उत्कृष्ट है। घाटी क्षेत्रों से उत्तरी सीमा तक उपोष्णकटिबंधीय आर्द्र और जैव जलवायु परिस्थितियों में कदम दर कदम जोन (समशीतोष्ण, उपसमशीतोष्ण और अल्पाइन) परिवर्तन होता है ( एटकिंसन, 1882)। वर्तमान मे बेसिन पारिस्थितिक रूप से नाजुक और आर्थिक रूप से अविकसित है। Posted on 10 Oct, 2023 12:22 PM

सारांश

उच्च ढलान, आशिक भंगुरता तथा कृषि योग्य भूमि से कम उत्पादकता के कारण हिमालयी प्रदेश में भूमि प्रबंधन एक ज्वलत मुद्दा बना हुया है। इस शोध प्रपत्र का मुख्य उद्देश्य अलकनंदा बेसिन मे भूमि प्रबंधन एवं जीविकोपार्जन स्थिरता को कृषिगत विकास के माध्यम से जांच करना है। इस अध्ययन को पूर्ण करने के लिए गुणात्मक और मात्रात्मक दोनों तरह के आकड़ो (प्राथमिक एवं द्वितीयक)

अलकनंदा बेसिन
राजस्थान में थार मरुस्थल की जैव विविधता पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव
जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल की रिपोर्ट-2007 में पश्चिमी भारत में वैश्विक घटकों और जलवायु परिवर्तनों के प्रभाव का दावा किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक अर्द्ध-शुष्क एवं उप-आर्द्र क्षेत्रों की तुलना में शुष्क क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन प्रारूप अधिक देखने को मिला है। पिछले डेढ़ दशक से थार मरुस्थल में तापमान में वृद्धि, वर्षा की मात्रा में अत्यधिक परिवर्तनशीलता, नमी की मात्रा में वृद्धि और वायु पैटर्न में तेजी से बदलाव हुए है। ये बदलाव ग्लोबल वार्मिंग, खनन गतिविधियों में वृद्धि, नहरी सिंचाई में विस्तार औद्योगिकीकरण, भूमि उपयोग प्रारूप में परिवर्तन, परमाणु विस्फोट आदि कारणों से यहाँ देखने को मिल रहे है, जिसका प्रभाव घास आधारित मरूद्भिद पारिस्थितिकी तंत्र पर हुआ है। Posted on 07 Oct, 2023 01:51 PM

सार

भारतीय थार मरुस्थल विश्व का सबसे समृद्ध मरुस्थल है। इसका अधिकांश भाग पश्चिमी राजस्थान के अन्तर्गत आता है। शुष्क एवं अर्द्ध-शुष्क जलवायु के अनुभव के साथ यहाँ मरूद्भिद प्रकार का पारिस्थितिकी तंत्र अपने आप में विशिष्ट है। जैव विविधिता की दृष्टि से यह अत्यंत सम्पन्न प्रदेश है। वैश्विक और स्थानीय कारणों से थार मरुस्थल की जलवायु में परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं।

थार मरुस्थल की जैव विविधता
राजस्थान के परम्परागत जल स्त्रोत एवं उनकी उपयोगिता(Traditional water sources of Rajasthan and their usefulness)
जल है तो जीवन है।" इत्यादि उपमाओं का श्रृंगार किया गया है। ऐसे अमृत पेय का, जो प्रकृति का सर्वोत्तम उपहार है परन्तु सीमित मात्रा में हैं, हम निर्ममता से जल दोहन कर रहे हैं। बिना विचारे अपव्यय कर रहे हैं। जड़ व्यक्ति की भांति उसमें तरह-तरह के रसायन तथा गन्दगी मिला रहे हैं। यद्यपि जल में एक सीमित मात्रा तक अपना परिशोधन करने की शक्ति है। इसके पश्चात् जल पूर्णतः मानव एवं समस्त जगत के लिए विष के समान हो जाता है। परन्तु जल में हमारे असीमित दुर्व्यवहार को झेलने की शक्ति नहीं है। फलस्वरूप ये नदियाँ जिनकी कल-कल धारायें सृष्टि की अनंतता की परिचायक थी। Posted on 06 Oct, 2023 04:21 PM

सार

सर्वाधिक प्राचीन ग्रन्थ ऋग्वेद के काल से जल को पंच महाभूतों में सम्मिलित किया गया है। अर्थात् मानव जीवन का सृजन करने वाले पंच महाभूतों में से एक जल को माना गया। देवताओं ने जिस अमृत पेय की कल्पना की थी.

Tanka Water Technique
भारत में पर्यावरण प्रदूषण के कारण | Causes of Environmental Pollution in Hindi
भारत में पर्यावरण प्रदूषण के कारणों के बारे में जानकारी प्राप्त करें और अपने ज्ञान को बढ़ाएं । Get information about the causes of environmental pollution in hindi. Posted on 06 Oct, 2023 02:15 PM

अपने चारों ओर के परिवेश को हमने इस कदर छेड़ा है कि बात अगर पर्यावरण की उठती हैं तो प्रदूषण का सवाल अपने आप ही आगे आ जाता है। चारों ओर सुनी जाने वाली यह ऐसी ‘बेताल पचीशी' है, जिसमें लाशों को ढोने वाला कोई एक विक्रम नहीं बल्कि हम सभी हैं। और सही उत्तर की प्रतीक्षा में वेताल हमारे साथ-साथ भी चल रहा है। बात प्रदूषण की उठे, तो लोग सामाजिक, सांस्कृतिक या भाषायी प्रदूषण की बात भी करते हैं। सामाजिक मान

पर्यावरण प्रदूषण
वायु प्रदूषण से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय फंडिंग में भारत, नेपाल की उपेक्षा: रिपोर्ट
स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर क्वालिटी फंडिंग 2023 - यूके स्थित क्लियर एयर फंड द्वारा क्लाइमेट पॉलिसी इनिशिएटिव के साथ साझेदारी में प्रकाशित की गई है। इससे पता चलता है कि भारत और नेपाल को साल 2015 और 2021 के बीच वायु प्रदूषण से निपटने के लिए इंटरनेशनल डेवलपमेंट फंडर्स द्वारा दिये गए 17.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर में से 1 प्रतिशत से भी कम मिला है। वहीं कुल फंडिंग राशि का 86 प्रतिशत पाँच देशों को मिला. यह पांच देश हैं चीन, फिलीपींस, बांग्लादेश, मंगोलिया, और पाकिस्तान।

Posted on 05 Oct, 2023 10:53 AM

एक नई रिपोर्ट से पता चलता है कि जहां एक ओर भारत और नेपाल में दुनिया भर में वायु प्रदूषण के सबसे खराब प्रदूषण से जूझ रहे हैं, वहीं इन देशों की इस समस्या से निपटने में मदद करने के लिए उन्हें अंतरराष्ट्रीय दानदाताओं से बेहद कम आर्थिक सहयोग मिलता है। 

वायु प्रदूषण
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