पुस्तकें और पुस्तक समीक्षा

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पहुँज
Posted on 22 Feb, 2010 10:30 AM

बालाजी सूर्य मंदिर-दतिया से 17 किलोमीटर की दूरी पर उनाव गाँव में ब्रह्मबालाजी का सूर्य मंदिर है, जो पुष्पावती के पश्चिमी घाट पर स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि पहुँज में नहाने और बाला जी की सूर्य यंत्र की काले पत्थर की प्रस्तर प्रतिमा को जल चढ़ाने से चर्म रोगादि से मुक्ति मिलती है। बाला जी का यह मंदिर अपनी विशालता एवं भव्यता के लिए जाना जाता है। यह दतिया जिले का एक महत्वपूर्ण मंदिर है। जहाँ सुदूर

उर्मिल
Posted on 22 Feb, 2010 10:25 AM

उर्मिल सिंचाई परियोजना मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश की संयुक्त परियोजना है। जो छतरपुर-कानपुर मार्ग पर उर्मिल नदी पर बनाई गई है। उर्मिल बाँध का निर्माण उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा कराया गया है तथा नहरों का निर्माण मध्यप्रदेश शासन ने किया है। इस परियोजना के पूर्ण हो जाने से रवि फसलों के लिए सिंचाई की सुविधा प्राप्त हुई है।

किलकिला
Posted on 22 Feb, 2010 10:20 AM

किलकिला नदी का उद्गम पन्ना जिले की बहेरा के निकट छापर टेक पहाड़ी से हुआ है। यह नदी पन्ना से उद्गमित होकर पन्ना जिला में ही प्रवाहित केन नदी में विसर्जित हो जाती है। यह पूर्व दिशा से पश्चिम दिशा को बहती है।

यमुना
Posted on 22 Feb, 2010 09:59 AM

पुनिसिय राम लखन कर जोरी, जमुनहिं कीन्ह प्रणाम वहोरी,
चले ससीय मुदीत दोउ भाई, रवि तनुजा कइ करत बड़ाई।
(रा.च.मा.) अयोध्या काण्ड, दो 111/1

उक्त चौपाइयाँ रामचरितमानस में यमुना के बारे में उद्धृत की गई हैं।

तरणि तनुजा तट तमाल तरुवर बहु छाये।

यमुना नदी का अपभ्रंश नाम जमुना भी है इसे कालिंदी और कई नामों से जाना जाता है।

मंदाकिनी
Posted on 22 Feb, 2010 09:33 AM

चित्रकूट भगवान राम की कर्मस्थली रही है। जहाँ भगवान राम ने साढ़े ग्यारह वर्ष का वनवास काटा चित्रकूट विन्ध्याचल पर्वत श्रेणी पर अवस्थित है। इसी पर्वत श्रृंखला में स्थित महर्षि अत्रि एवं माता सती अनुसुइया आश्रम से पयस्विनी मंदाकिनी का उद्गम हुआ। ऐसा कहा जाता है कि सती अनुसुइया ने अपने तपोबल से मंदाकिनी को उत्पन्न किया था। तुलसीदास ने रामचरितमानस में लिखा है कि-

सिंध
Posted on 22 Feb, 2010 08:42 AM

सिंध नदी मध्यप्रदेश के गुना जिले के सिरोंज के समीप से उद्गमित होती है। गुना, शिवपुरी, दतिया और भिण्ड जिलों में यात्रा करती हुई सिन्ध इन क्षेत्रों को अभिसिंचित करती है। इसके तट पर अनेक दर्शनीय और धार्मिक स्थल मानव मन को उद्वेलित करते हैं। इसकी यात्रा का अंतिम पड़ाव दतिया-डबरा के मध्य उत्तर-दिशा की ओर बहकर चम्बल नदी है।

नर्मदा
Posted on 20 Feb, 2010 05:00 PM

‘नमामि देवि नर्मदे’ मेकलसुता महीयसी नर्मदा को रेवा नाम से भी जाना जाता है। नर्मदा भारतीय प्रायद्वीप की सबसे पुरानी, प्रमुख और भारत की पाँचवी बड़ी नदी है। विन्ध्य की उपत्यकाओं में बसा अमरकंटक एक वन प्रदेश है। जहाँ की जैव विविधता अत्यन्त समृद्ध है। नर्मदा को मध्यप्रदेश की जीवन रेखा भी कहा जाता है। जिस मिलन बिन्दु से विन्ध्य और सतपुड़ा पर्वतमालायें प्रारम्भ होती हैं, वहीं स्थल अमरकंटक है। इसे आदिक

चम्बल
Posted on 20 Feb, 2010 03:46 PM


इत यमुना उत नर्मदा, इत चम्बल उत टौंस,
छत्रसाल से लरन की, रही न काहू हौंस।

धसान
Posted on 20 Feb, 2010 03:23 PM

शोणो महानदश्चात्र नर्मदा सुरसरि क्रिया
मंदाकिनी दशार्णा च चित्रकूटस्त थैव च।


(मार्कण्डेय पुराण 57/20)

गंगऊ अभ्यारण्य
Posted on 19 Feb, 2010 09:03 PM मध्य प्रदेश स्थित अन्य अभ्यारणों की तरह यह अभ्यारण्य तुलनात्मक रूप से पुराना अभ्यारण्य है। इसका नाम वर्तमान में गंगऊ वीरान ग्राम के नाम से रखा गया है। जो पन्ना स्टेट की पुरानी तहसील थी। पुराने समय का प्रतिष्ठित गाँव था जो वर्तमान में पन्ना टाइगर रिजर्व के सीमान्तर्गत बीरान गाँव हैं। गंगऊ अभ्यारण कराकल का (विशेष जंगली बिल्ली) (Kunx Carcal) अन्तिम निवास स्थान माना जाता है। मध्य भारत के शुष्क पर्णपात
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