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मीडिया और नदी : एक नाव के दो खेवैए
Posted on 14 Oct, 2014 11:14 AM भारतीय जनसंचार संस्थान के परिसर में आने का पहला मौका मुझे तब मिला था, जब मुझे हिंदी पत्रकारिता पाठ्यक्रम में अस्थायी प्रवेश का पत्र मिला था। हालांकि उस वक्त संपादकीय विभागों में नौकरी के लिए पत्रकारिता की डिग्री/डिप्लोमा कोई मांग नहीं थी, सिर्फ सरकारी नौकरियों में इसका महत्व था, बावजूद इसके यहां प्रवेश पा जाना बड़ी गर्व की बात मानी जाती थी। यह बात मध्य जुलाई, 1988 की है।

कोई डाक्टर शंकरनारायणन साहब यहां के रजिस्ट्रार थे। स्थाई प्रवेश की अंतिम तिथि तक मेरे विश्वविद्यालय द्वारा डिग्री/अंकपत्र जारी न किए जाने के कारण संस्थान ने मेरे लिए अपने दरवाजे बंद कर लिए थे। इस पूरी प्रक्रिया में मेरी और संस्थान की कोई गलती नहीं थी। यह एक व्यवस्था का प्रश्न था। किंतु तब तक मैं न व्यवस्था को समझता था, न मीडिया को और न नदी को।
<i>प्रदूषित नदी</i>
पृथ्वी पर हैं 11 करोड़ से अधिक झीलें
Posted on 06 Oct, 2014 03:44 PM

न्यूयॉर्क वैज्ञानिकों ने अंतत: धरती पर मौजूद झीलों की कुल संख्या निर्धारित कर ली है। उनके अनुसार, धरती पर कुल 11.7 करोड़ झीलें हैं। स्वीडन के उमेया विश्वविद्यालय में एक पर्यावरण वैज्ञानिक डेविड सीकेल ने कहा कि दुनिया की अधिकतर झीलें वहां हैं, जहां इंसान रहते ही नहीं हैं।

Jhil
सैनिटेशन ग्रीन रेटिंग पर स्कूलों को मिलेंगे पुरस्कार
Posted on 03 Oct, 2014 01:32 PM सीबीएसई के चेयरमैन विनीत जोशी ने कहा कि हमें स्कूलिंग से ही छात्रो
हिन्दू राव बावड़ी को जिंदा करेगा एएसआइ
Posted on 02 Oct, 2014 01:02 PM

दिल्ली में बाड़ा हिन्दू राव इलाके में स्थित एक मुगलकालीन बावड़ी को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने फिर से जिंदा करने का मन बना लिया है। यह बावड़ी फिरोजशाह तुगलक के शासनकाल में 1354 में बनवाई गई थी। हालांकि अब इस बावड़ी का उपयोग यहां की स्थानीय आबादी और स्थानीय सरकारी अस्पताल कूड़ाघर के तौर पर ला रही है। अचरज है कि इस बावड़ी में स्थानीय सरकारी अस्पताल बाड़ा

Hindurao Baoli
संयुक्त राष्ट्र में डूबते आइलैंड की कविता सुन रो पड़े नेता
Posted on 02 Oct, 2014 12:03 PM हम ऐसी जमीन पर सो रहे हैं, जो कब्र जैसे लगने लगी है। हम बच्चों को द
गांधी जयंती से स्वच्छ भारत स्वच्छ विद्यालय अभियान
Posted on 28 Sep, 2014 12:31 PM डीआईओएस ने समस्त विद्यालय प्रधानाचार्यों को स्वच्छता अभियान चलाने क
बुराइयां भी मिटाइए और इनाम भी पाइए
Posted on 23 Sep, 2014 04:43 PM दिल्ली महानगर को साफ-सुथरा रखने के लिए एनडीएमसी की नई पहल
दिल्ली में 201 प्राकृतिक नाले बने सीवर
Posted on 08 Sep, 2014 12:23 PM आईआईटी प्रोफेसर की अगुवाई में विशेषज्ञों ने की जांच, 38 साल में ये सभी नाले गंदगी और कूड़े से पटे
यमुना को प्रदूषण मुक्त करने के लिए नालों के स्वरूप में होगा बदलाव

लबालब पानी वाले देश में विचार का सूखा
Posted on 08 Sep, 2014 11:55 AM
. गर्मी की तीव्रता से मनुष्यों और जानवरों का जीना मुहाल हो गया है। कुएं, तालाब और नदियों के जल स्तर में कमी आ रही है। ये संकट मनुष्य ने खुद पैदा किए हैं। बदल चुकी जीवन शैली की वजह से कृत्रिम तौर पर संकट पैदा हुआ है। दिल्ली में कभी 350 से ज्यादा तालाब हुआ करते थे लेकिन आज शायद तीन भी मुश्किल से मिलेंगे।

सच तो यह है कि यह संकट मौसम चक्र में आ रहे बदलावों के नतीजे हैं। गर्मी का मौसम चार महीने का होता था अब आठ महीने या नौ महीने गर्मी पड़ने लगी है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि ये बदलाव कृत्रिम तौर पर पैदा किए गए संकटों से हुए हैं। अन्यथा मौसम चक्र से चीजें चलती रहती तो संभव है कि कभी कोई बड़ा संकट नहीं पैदा होता।
जल से ही बचेगी जमीन
Posted on 07 Sep, 2014 12:30 PM जल नहीं होगा तो कल नहीं होगा। यह स्लोगन संकेत देता है कि कृषि को बचाने के लिए भी जल को बचाना होगा। बरसात के जल का उपयोग खेती में किस तरह किया जा सकता है और मृदा को कैसे बचाया जा सकता है, अलनीनो जैसे संकटों से बचने के लिए भी यह जरूरी है। इन मुद्दों पर प्रकाश डाल रही है दिलीप कुमार यादव की रिपोर्ट।

.भूमि एवं जल प्रकृति द्वारा मनुष्य को दी गई दो अनमोल संपदा हैं, जिनका कृषि हेतु उपयोग मनुष्य प्राचीन काल से करता आया है। परंतु, वर्तमान में इनका उपयोग इतनी लापरवाही से हो रहा है कि इनका संतुलन बिगड़ गया है तथा भविष्य में इनके संरक्षण के बिना मनुष्य का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा। मानसून की बेरुखी ने ऐसी संभावनाओं की प्रासंगिकता को और बढ़ाया है।

असल में हमारे देश की आर्थिक उन्नति में कृषि का बहुमूल्य योगदान है।

देश में लगभग 70 प्रतिशत कृषि योग्य भूमि वर्षा पर निर्भर है। उत्तराखंड में तो लगभग 70 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर निर्भर है तथा लगभग 90 प्रतिशत कृषि योग्य भूमि वर्षा पर निर्भर है।
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