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समाचार और आलेख
तालाब: कश्मीर की लुप्तप्राय विरासत
Posted on 22 Jul, 2018 07:02 PMखराब रख-रखाव, जनसंख्या के बढ़ते दबाव के साथ ही नए बसाव स्थलों की जरुरत ने कश्मीर में तालाबों को मारने का का
![pond](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/pond_59.jpg?itok=SWX-FZhY)
हरित निवेश से करें खेती में हुए नुकसान की भरपाई
Posted on 22 Jul, 2018 02:02 PMफलदार वृक्षों में अमरूद, जामुन, महुआ, आँवला और अनार के पेड़ खेतों की मेंड़ पर लगाए जा सकते हैं। यह पेड़ पा
![Horticulture](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/Horticulture_3.jpg?itok=kYqHhA-4)
रिवर फ्रंट डेवलपमेंट पर सवाल
Posted on 22 Jul, 2018 01:28 PMमसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण की महत्वाकांक्षी परियोजना रिवर फ्रंट डेवलपमेंट में हुए घपलों की मैड संस्था सहित देहरादून के विभिन्न संगठनों ने एक मंच से जाँच की माँग की है।
![river rejuvenation](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/river%20rejuvenation_9.jpg?itok=iV2d27yr)
टेम्स की तरह संवरेगी रिस्पना और कोसी
Posted on 21 Jul, 2018 12:23 PM
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत 22 जुलाई को अपने प्रोजेक्ट ‘रिस्पना पुनर्जीवीकरण’ का शुभारम्भ करेंगे। इसके तहत रिस्पना को सदानीरा बनाने के लिये 2.50 लाख पौधे रोपे जाएँगे। मुख्यमंत्री ने लोगों से इस महाअभियान से जुड़ने का आह्वान किया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि एक दिन ब्रिटेन की टेम्स नदी की तर्ज पर हम भी अपने राज्य की रिस्पना और कोसी को सँवार लेंगे।
![रिस्पना नदी का उद्गम स्थल](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/rispana%20udgam_3.jpg?itok=glMFVCf8)
जीवन का अर्थ : अर्थमय जीवन
Posted on 18 Jul, 2018 09:30 AM
आजकल अक्सर ऐसी बैठकों में, सभा सम्मेलनों के प्रारम्भ में एक दीपक जलाया जाता है। यह शायद प्रतीक है, अन्धेरा दूर करने का। दीया जलाकर प्रकाश करने का। इसका एक अर्थ यह भी है कि अन्धेरा कुछ ज्यादा ही होगा, हम सबके आसपास।
यह अन्धेरा बाकी समय उतना नहीं दिखता, जितना वह तब दिखता है जब हम अपने मित्रों के साथ ऐसी सभाओं में बैठते हैं। तो दीये से कुछ अन्धेरा दूर होता होगा और शायद आपस में इस तरह से बैठने से, कुछ अच्छी बातचीत से, विचार-विमर्श से भी अन्धेरा कुछ छँटता ही होगा। शायद साथ चाय, कॉफी पीने से भी।
ऐसा कहना थोड़ा हल्का लगे तो इसमें संस्कृत का वजन भी डाला जा सकता है: ओम सहना ववतु, सहनौ भुनक्तु आदि। दीया जलाने का यह चलन कब शुरू हुआ होगा, ठीक कहा नहीं जा सकता। इससे मिलती-जुलती प्रथा ऐसी थी कि जब ऐसी कोई सभा-गोष्ठी होती, अतिथियों के स्वागत में मंच के सामने पहले से ही एक दीया जलाकर रख दिया जाता था।
![](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/Anupam%20Mishra_3_10.jpg?itok=vWCep79e)
चमोली में टूटा आपदा का कहर, फटा बादल
Posted on 17 Jul, 2018 01:00 PMजिले के थराली प्रखंड की सोल घाटी तथा घाट प्रखंड के धुर्मी, कुंडी तथा सेराबगड़ में बादल फटने से आवासीय मकान और दुकानों के साथ ही वाहन आपदा की भेंट चढ़ गये। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोमवार सुबह जनपद चमोली के थराली, घाट व चमोली में हुई अतिवृष्टि एवं भूस्खलन के कारण प्रभावित क्षेत्रों में खाद्य सामग्री एवं अहेतुक सहायता वितरित करने के निर्देश जिला प्रशासन को दिये हैं।
![Cloudburst](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/Cloudburst_11.jpg?itok=Ul89SGMD)
बिहार में चिन्ताजनक है भूजल स्तर की स्थिति
Posted on 10 Jul, 2018 05:54 PM
नई दिल्ली। बिहार के कई जिलों में भूजल स्तर की स्थिति पिछले 30 सालों में चिन्ताजनक हो गई है। कुछ जिलों में भूजल स्तर दो से तीन मीटर तक गिर गया है।
एक ताजा अध्ययन के अनुसार, भूजल में इस गिरावट का मुख्य कारण झाड़ीदार वनस्पति क्षेत्रों एवं जल निकाय क्षेत्रों का तेजी से सिमटना है। आबादी में बढ़ोत्तरी और कृषि क्षेत्र में विस्तार के कारण भी भूजल की माँग बढ़ी है।
![वर्ष 1984 से 2013 के दौरान मानसून से पहले और बाद में भूजल स्तर की स्थिति](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/ground%20water%20status%20bihar_3.jpg?itok=mzAmpijm)