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हमें ही चुकानी होगी बर्बादी की कीमत
Posted on 06 May, 2019 05:05 PM

पानी की बर्बादी जल संकट का एक बड़ा कारण है। और हमें इसका एहसास भी नहीं होता कि जिस पानी को हम बर्बाद कर रहे हैं उ

भारत का खुबसूरत हिल स्टेशन पानी से बेहाल
एक एक बूंद का इस्तेमाल करना होगा
Posted on 06 May, 2019 04:12 PM

पिछले साल गर्मियों में हिमालय की गोद में बसे शहर शिमला में पानी की भारी किल्लत हो गई थी। इस शहर को अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए रोजाना 440 लाख लीटर पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन उस वक्त हालात ऐसे हो गए थे कि हर दिन 150 लाख लीटर पानी जुटाना भी मुश्किल हो गया था। इस कारण स्थानीय लोगों को तो परेशानी से गुजर ना ही पड़ा, यहां आने वाले पर्यटकों को भी खासी मुश्किलें पेश आई। हालांकि इस तरह का जल संकट

एक-एक बूँद पानी का महत्व समझना होगा
सहस्रधारा में जंगलात की जमीन पर कब्जा करने पर हो केस
Posted on 23 Apr, 2019 12:40 PM

हिन्दुस्तान देहरादून, 23 अप्रैल 2019

पर्यटक स्थल सहस्रधारा में वन भूमि पर हुए अतिक्रमण के खिलाफ स्थानीय लोग जागरूक होने लगे हैं। समाजसेवी अनिल कक्कड़ ने वन भूमि कब्जाने वालों के खिलाफ मुदकमे की मांग की है। उन्होंने पीसीसीएफ जयराज को इसके लिए पत्र भेजा है।.

सहस्रधारा
गरीबी लूट रही पाठा की हरियाली
Posted on 19 Apr, 2019 12:13 PM

विवेक मिश्र, हिन्दुस्तान चित्रकूट, 19 अप्रैल 2019

मवेशियों का खून पीते हैं पिशाच चमगादड़ बदले में देते हैं रेबीज बीमारी
Posted on 04 Apr, 2019 08:42 AM

भारतीय ग्रन्थों, साहित्यों व कहानियों में पिशाचों (वैम्पायर्स) का कई प्रारूपों में उल्लेख मिलता है। यही नहीं फिल्मों व टेलीविजन के कई सीरियल्स में भी खून पीने वाले पिशाचों को अनोखे अन्दाज व डरावने रूपों (ड्रैकुला,चुड़ैल,भूत, राक्षस, चमगादड़ इत्यादि) में अक्सर दिखाया जाता है। लेकिन विज्ञान में इनका कोई स्थान नहीं है। परन्तु प्राणी-जगत में ऐसे भी स्तनधारी जीव हैं जो अपनी क्षुधा को शान्त करने के लिय

पिशाच चमगादड़ की अनोखी बनावट
पिथौरागढ़ के मालदार
Posted on 30 Mar, 2019 04:55 PM
पिथौरागढ़ शहर को पूरे जुनून के साथ जिन्होंने प्यार किया ऐसे पुराने लोग कौन थे, यह पूछने पर मोष्टमानु के हर सिंह विष्ट कहते हैं- एक बार मोष्टमानु के जाने माने अध्यापक हैदर मास्टर के पिता कादर बख्श ने इसी तरह के सवाल का जवाब दिया कि जिनकी चमक से ये पिथौरागढ़ रोशन हुआ, उनमें एक थीं मिस मैरी रीड। चण्डाक में उनकी उपेक्षित कब्र के पास आने पर शान्ति का एहसास होता है। मैनेजर उस समय डाली मार्च थीं। दूरसे थ
सोर से समन्दर तक
Posted on 30 Mar, 2019 04:44 PM

पिथौरागढ़ में लॉरी बेकर (2 मार्च 1917-1 अप्रैल 2007) को करीब से जानने-पहचानने वाली पीढ़ी के लोग अब गिन-चुने रह गए हैं। जो बेकर को जानते रहे उनकी सुखद स्मृतियों में वे जीवंत हैं। बेकर का जिक्र जब तक उन तमाम वांशिदों के बीच होता रहता है जो इस नगर के बेलगाम-बेतरतीब फैलाव व अनियोजित शहरीकरण को लेकर चितिन्त हैं। शहर की बुनियादी सुविधाओं के बदतर होते हालातों से त्रस्त हैं!

युगदृष्टा जोहारी
Posted on 30 Mar, 2019 01:20 PM

बाबू रामसिंह पांगती जोहार की उन महान विभूतियों में से एक थे जिन्होंने इस क्षेत्र के तत्कालीन समाज में व्याप्त कुरीतियों, अन्धविश्वासों और डगमगाती अर्थव्यवस्था में आमूल परिवर्तन लाने का बीड़ा उठाया था। उनका जन्म जोहार के उस सम्पन्न परिवार में हुआ था। जिसका व्यापार सीधे पश्चिमी तिब्बत के सरकारी व्यापारी ज्युङ छुङ के साथ होता था। इन्होंने कुछ वर्ष पूर्व मुम्बई, कानपुर, दिल्ली और अमृतसर से कपड़ा, म

सृजन एवं साधना
Posted on 30 Mar, 2019 01:12 PM
पचास के दशक में सोर-पिथौरागढ़, एक छोटी पर आकर्षक बसासत थी। सैंणी (समतल) सोर में लहर काते हरियल खेतों का फैलाव, मध्य में बाजार व रिहायसी इलाके में चण्डाक की ओर जाती सड़क के किनारे ऊँचे होते देवदारु के वृक्ष, लकड़ी के लैम्प पोस्ट और बेगनबोलिया, चमेली व रातरानी की लताओं से घिरी चहरदीवारी के बीच झांकती ब्रिटिशकालीन (लायक साहब की) कोठी तब अनायास ही ध्यान खींचती थी। वह 1954 की शरद ऋतु थी, नारायण स्वामी
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