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समाचार और आलेख
गंगा में उड़ेली जा रही गंदगी पर एनजीटी सख्त
Posted on 27 Feb, 2024 01:23 PMराष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) भारत में एक स्वतंत्र न्यायिक निकाय है जिसे विशेष रूप से पर्यावरणीय मुद्दों और विवादों को संबोधित करने के लिए स्थापित किया गया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने उत्तराखंड समेत कई राज्यों में गंगा नदी के प्रदूषण को लेकर चिंता जताई है। विशेष रूप से, एनजीटी ने गंगा में अनुपचारित सीवेज के निर्वहन को रोकने में निष्क्रियता के लिए उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्
हरे-भरे गांव में फैल रही गंदगी
Posted on 27 Feb, 2024 01:11 PM"लोग कचरे को गधेरों (नहर) में फेंक देते हैं और फिर उस कचरे को कुत्ते घरों में लेकर आते हैं. कई बार तो इस्तेमाल किये गए पैड को भी गधेरों में फेंका जाता है. जिससे बहुत ज्यादा दुर्गंध आती है. कुत्ते कचरे के साथ उस पैड को भी इधर उधर फैला देते हैं अथवा घरों में ले आते हैं. जिससे बहुत ज्यादा मच्छर और दुर्गंध फैलती है." यह कहना है 45 वर्षीय कलावती देवी का.
विकसित भारत के लिए भंडारण अवसंरचना के साथ सतत खाद्य प्रणालियों को आकार देना जरूरी
Posted on 24 Feb, 2024 02:07 PMएक अनुकूल भंडारण अवसंरचना कृषि खाद्य प्रणालियों की निरंतरता की कुंजी है जिससे आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय विकास लक्ष्यों के साथ-साथ भविष्य की पीढ़ियों के लिए खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित होगी। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में, भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र-विकसित भारत बनने की राह पर है। अनुमान है कि 2047 तक भारत की जनसंख्या 1.64 बिलियन होगी, जिसमें से लगभग 0.82 बिलियन
साम्राज्यवाद और प्राकृतिक संसाधन
Posted on 24 Feb, 2024 12:42 PMइस दुनिया में विभिन्न देशों के बीच, उनके 'विकास' के स्तर और उनके पास प्राकृतिक संसाधनों की मौजूदगी के स्तर के बीच, बहुत भारी असंतुलन है। सबसे विकसित देशों के समूह, जी-7 को ही ले लीजिए जिसमें अमेरिका, यूके, जर्मनी, फ्रांस, इटली, जापान तथा कनाडा शामिल हैं। इस ग्रुप में दुनिया की कुल आबादी का सिर्फ 10 फीसद हिस्सा रहता है, लेकिन 2020 में दुनिया भर की कुल संपदा का आधे से ज्यादा हिस्सा, इसी ग्रुप के
खुलाखत : जहाँगीराबाद (बुलन्दशहर) के मोहल्ला आहनग्रान पथवारी आश्रम के तालाब का सौंदर्यीकरण
Posted on 23 Feb, 2024 04:58 PMसेवा में,
श्रीमान नगर अधिशासी अधिकारी महोदय, नगर पालिका परिषद, जहाँगीराबाद (बुलन्दशहर)
विषयः- नगर के मोहल्ला आहनग्रान पथवारी आश्रम के पास स्थित तालाब का सौंदर्यीकरण करवाने के संदर्भ में।
महोदय,
पानी की खराब गुणवत्ता की करें शिकायत
Posted on 22 Feb, 2024 01:04 PMजलजीवन मिशन के डैशबोर्ड में जोड़ा गया नया टूल, जल प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही तय होगी
15 अगस्त 2019 को लाल किले के प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जल जीवन मिशन की घोषणा की थी। इसका उद्देश्य 19 करोड़ ग्रामीण घरों को वर्ष 2024 तक, अब बढ़ाकर के 2026 तक नल से जल उपलब्ध कराना है। जिसमें कोई छूट न जाए, की नीति के साथ नवीनतम तकनीक का उपयोग भी शामिल होगा
उत्तराखंड में बंदरों के आतंक से प्रभावित होती कृषि
Posted on 19 Feb, 2024 02:52 PM“बंदरों की बढ़ती संख्या से हमारे खेती सबसे अधिक प्रभावित हो रही है। कहा जाए तो बिल्कुल नष्ट होने की कगार पर है। हम जो भी सब्जियां लगाते हैं बंदर आकर सब कुछ नष्ट कर देते हैं। कई बार अगर आंगन में मैं अपने बच्चों को अकेले छोड़ देती हूं तो बंदर आ कर उन्हें काट लेते हैं। हम सभी खौफ की ज़िंदगी गुजार रहे हैं। हमारी आय का एकमात्र साधन सब्जियां उगाकर बेचना होता है। लेकिन अब लगता है कि इन बंदरों की वजह स
पंजाब को जहर मुक्त बनाने में कालजयी भूमिका का निर्वहन कर रहा है खेती विरासत मिशन
Posted on 15 Feb, 2024 03:54 PMरंगला पंजाब शब्द एक बहुमुखी सांस्कृतिक विरासत का परिचायक है, जिसके मूल में कृषि और पशुपालन पर आधारित एक ऐसी संस्कृति है जो बड़े लम्बे समय से एक बहुत बड़े भूभाग में पनपी है। जिसकी बातें किस्से खानपान, व्यवहार, खेल कूद, नाच गाने सव में एक खुशी और उल्लास की तरंग पूरी दुनिया में मशहूर है। प्रथम विश्व युद्द के समय से ही ब्रिटिश लोगों ने अनाज राशन और जवान पंजाब की धरती से लिए और फिर दूसरे विश्व युद्ध
सृष्टि की सुरक्षा के लिए अपरिहार्य प्रकृति रूपी परमात्मा की व्यवस्थाओं का संरक्षण
Posted on 15 Feb, 2024 01:15 PMकोई ऐसी शक्ति ब्रह्माण्ड में अवशय है जो समस्त व्यवस्थाओं का संचालन करती है। इसी अदृश्य शक्ति को आस्तिक मनुष्य परमात्मा या ईश्वर कहते हैं। वैज्ञानिक लोग अधिकतर इसे प्रकृति की शक्ति मानते है अर्थात प्रकृति को ही ईश्वर मानते हैं। ब्रम्हांड की भिन्न-भिन्न प्रकार की व्यवस्थाओं को चलाने के लिए विभिन्न विभाग हैं और उन विभागों को चलाने वाले उनके देवता है जो परमात्मा की कैबिनेट के सदस्य कहे जा सकते
जैविक खेती से भी क्यों बेहतर है प्राकृतिक खेती
Posted on 15 Feb, 2024 12:07 PMदेश में खाद्यान्न उत्पादन को बढ़ाने के लिए प्रचलन में आई रासायनिक कृषि के दुष्परिणमों से आज हम सभी अवगत हैं। रासायनिक खेती से त्रस्त होने के बाद उसके विकल्पों की तलाश प्रारंभ हुई। इस रूप में जैविक कृषि सामने आई। लेकिन अपनी जटिलता और महंगी लागत के कारण जैविक खेती विधि की उपयोगिता खेती-किसानी के लिए बहुत सीमित सिद्ध हुई है। यही कारण है कि ऐसे किसानों की संख्या बहुत अधिक है जिन्होंने विकल्प के रूप