Posted on 08 Oct, 2012 01:07 PMखजूर की पत्तियों से अस्पतालों से निकलने वाले गंदे पानी से औषधीय रसायन निकाला जा सकता है। यह नया शोध ओमान के वैज्ञानिकों ने किया है। ‘गल्फ न्यूज’ समाचार पत्र के मुताबिक मस्कट के ‘सुल्तान काबूज यूनिवर्सिटी’ के रसायन विभाग की एक परियोजना के मुख्य अनुसंधानकर्ता अल सईद अल शाफी ने अस्पतालों के गंदे पानी की सफाई के लिए रासायनिक ईकाई की स्थापना के उद्देश्य से यह शोध शुरू किया। अल शाफी का कहना है कि खजूर क
Posted on 08 Oct, 2012 12:18 PMलंदन: शौकिया आकाश का निरीक्षण करने वालों ने बादलों की एक नयी प्रजाति ‘अनडुलैटस एस्परेटस’ को खोजा है। यह वर्ष 1951 के बाद औपचारिक तौर पर मान्यता प्राप्त करने वाली बादलों की पहली प्रजाति बन सकती है। ब्रिटेन स्थित क्लाउड एप्रेसिएशन सोसायटी (सीएएस) कोशिशों में लगा है कि जिनिवा स्थित वल्र्ड मिटीरियोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन इसे इंटरनेशनल क्लाउड एटलस में शामिल कर ले।
Posted on 03 Oct, 2012 04:43 PM लेकिन इसी महाराष्ट्र में एक ऐसा भी इलाका है जो अकाल को अपने गांव की सीमा के बाहर ही रखता है। पानी सहेजने की एक लंबी सामाजिक परंपरा निभाते हुए यह अपनी गुमनामी में भी मस्त रहता है।अकाल की पदचाप सुनाई देने लगी है। पानी के अकाल के साथ-साथ इंसानियत के अकाल की खबरें भी अखबारों में आने लगी हैं। इस अकाल को और ज्यादा भयानक बनाने के लिए महाराष्ट्र राज्य की सरकार ने पहले से ही कमर कस ली थी! सन् 2003 में महाराष्ट्र राज्य की जलनीति तैयार हुई थी। इस नीति में पानी के इस्तेमाल का क्रम बदल डाला था। केंद्र सरकार की नीति में पहली प्राथमिकता पीने के पानी की, दूसरी खेती की और उसके बाद उद्योगों की रखी गई है। पर महाराष्ट्र सरकार ने इस क्रम को बदल कर पहली प्राथमिकता पीने के पानी को दी, दूसरी उद्योगों को और उसके बाद अंतिम खेती को।
बात यहीं तक सीमित नहीं थी। महाराष्ट्र जल क्षेत्र सुधार कार्यक्रम के अंतर्गत सन् 2005 में दो कानून बहुत आनन फानन में बना दिए गए थे। पहला था महाराष्ट्र जल नियामक प्राधिकरण अधिनियम और दूसरा सिंचाई में किसानों की सहभागिता अधिनियम। पहले कानून का आधार लेकर महाराष्ट्र में जल नियामक प्राधिकरण की स्थापना की गई। प्राधिकरण पानी की दरों को तय करेगा, जल वितरण करेगा और जल संबंधी विवादों का निपटारा भी वही करेगा अब। ये सारे काम अब तक शासन करता था। अब तीन लोगों का प्राधिकरण इन कामों को करेगा। प्राधिकरण ने पहले काम की शुरूआत भी बड़ी जल्दी कर दी यानी पानी के दरें तय करना। बड़े पैमाने पर पानी के इस्तेमाल के लिए किस तरीके से दरें तय हों यह बताने के लिए ए.बी.पी. इन्फ्रास्ट्रकचर प्रा. लि. नामक कंपनी को टेंडर निकाल
Posted on 27 Sep, 2012 11:22 AMदिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) की अनदेखी के चलते वजीरपुर इंडस्ट्रियल एरिया के स्टेनलेस स्टील कारखानों से हर रोज निकलने वाला लाखों लीटर तेजाब व जहरीला पानी न केवल यमुना को विषैला बना रहा है बल्कि इलाके के भू-जल व मिट्टी को भी दूषित कर रहा है। इन कारखानों में तेजाब व अन्य कठोर रसायनों की मदद से स्टेनलेस स्टील शीट बनाने की प्रक्रिया, जिसे 'पिकलिंग' कहते हैं, के बाद जहरीले प्रवाह को सीधे खुल
Posted on 17 Sep, 2012 10:35 AMइंदौर, 29 जुलाई (भाषा)। जबर्दस्त भौगोलिक हलचलों की गवाह रही मध्य प्रदेश स्थित नर्मदा घाटी में खोजकर्ताओं के समूह ने एक प्राचीन नदी के वजूद के निशान ढूंढ निकालने का दावा किया है। खोजकर्ताओं के मुताबिक यह विलुप्त नदी कम से कम 6.5 करोड़ साल पुरानी है।