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जल बचाएं, पृथ्वी बचाएं...
Posted on 21 Dec, 2013 04:36 PM थोड़ी कोशिश करें...तो आप भी ‘पानी के संरक्षण’ में दे सकते हैं अपना योगदान।

इस बरसात में धरती का पानी लौटाइए!

जल संग्रह की परंपरा
Posted on 21 Dec, 2013 01:45 PM पानी के बारे में कहीं भी कुछ भी लिखा जाता है तो उसका प्रारंभ प्रायः उसे जीवन का आधार बताने से होता है। “जल अमृत है, जल पवित्र है, समस्त जीवों का, वनस्पतियों का जीवन, विकास – सब कुछ जल पर टिका है।” ऐसे वाक्य केवल भावुकता के कारण नहीं लिखे जाते। यह एक वैज्ञानिक सच्चाई है कि पानी पर ही हमारे जीवन का, सारे जीवों का आधार टिका है। यह आधार प्रकृति ने सर्व सुलभ, यान
water conservation rajasthan
चरखा की लेखिका निखत परवीन को लाडली मीडिया अवार्ड
Posted on 21 Dec, 2013 09:22 AM लाडली मीडिया आवार्ड लेतीं निखत परवीननई दिल्ली। 20 दिसंबर, यूनाइटेड नेशन पॉपुलेशन फंड, इडिया(UNFPA) की ओर से मीडिया एवं जनसंचार में काम करने वाले पत्रक
जल - एक संसाधन
Posted on 19 Dec, 2013 11:21 AM

उपलब्ध जल के अपरोधन, या संचयन के लिए निर्मित गड्ढों के जल से भर जाने एवं भू-सतह पर वर्षा की तीव्रता, मृदा की अंतःस्यंदन क्षमता से अधिक होने पर पृथ्वी की सतह पर जल प्रवाह होने लगता है। यह सतही प्रवाह के रूप में अपना रास्ता नदियों, झीलों या समुद्र की ओर करता है जो सतही अपवाह के रूप में जाना जाता है। फिर यह अन्य प्रवाह घटकों के साथ मिलकर संपूर्ण अपवाह बनाता है। अपवाह शब्द का उपयोग साधारणतया जब अकेले होता है तो इसे सतही अपवाह ही कहा जाता है।

कल्पना करें एक ऐसी बाल्टी की जिसके पेंदे में एक छेद हो। इस बाल्टी में रखा है पृथ्वी का संपूर्ण जलः सतही जल, भू-जल और वायुमंडल की आर्द्रता। यदि इसे ज्यों का त्यों छोड़ देंगे तो बाल्टी जल्दी ही खाली हो जाएगी। इस बाल्टी में जलस्तर बनाए रखने हेतु आवश्यक है कि जितनी मात्रा में इसका जल रिस रहा है, उतनी ही मात्रा में वह वापस आए। अनेक प्रक्रियाएं साथ-साथ चलते रहकर पृथ्वी के जल चक्र को गतिशील बनाए रखती हैं। यह सतत चक्र जलीय चक्र कहलाता है।

जलीय चक्र


जलीय शास्त्र पृथ्वी के विज्ञान का वह अंग है जो संपूर्ण पृथ्वी के ऊपर और नीचे व्याप्त जल एवं उसके प्रवाह के बारे में जानकारी देता है। संपूर्ण वर्षा पृथ्वी के जलीय चक्र का परिणाम होती है।
हैंडपंप उगल रहे जहरीला जल
Posted on 17 Dec, 2013 04:15 PM जल वैज्ञानिकों के अनुसार पानी में आर्सेनिक, आयरन, नाइट्रेट, क्लोरा
जल संग्रहण एवं प्रबंध
Posted on 16 Dec, 2013 10:13 AM

भूमिका


‘हमारी पृथ्वी अन्य ज्ञात खगोल-पिंडों में अनूठी है: यहां जल है।’

पिछले कुछ वर्षों में विकास और विकास प्रक्रियाओं में जल की महत्ता की चेतना बढ़ी है। भूत, वर्तमान, भविष्य के समस्त समाजों विकास और जीवन के लिए पर्याप्त स्वच्छ जल की आवश्यकता होती है। साथ-ही-साथ स्वच्छ जल की उपलब्धता भौगोलिक और मौसमी कारणों से प्रभावित होती रही है और मानवीय सभ्यताओं ने इस पारिस्थितिकी को अनेक प्रकार से प्रभावित किया है, उनका अनेक प्रकार से दोहन किया है। इसकी जानकारी के लिए कि किस तरह स्वच्छ जल की कमी ने विकास के सामने अनेक बाधाएं खड़ी की हैं, विकासशील देशों की विकास नीतियों के अध्ययन की आवश्यकता है। प्रकृति के पांच उपादानों में जल सबसे महत्वपूर्ण है जो पृथ्वी पर जीवन को संभव करने में मदद करता है। जल का उपयोग बुनियादी मानवीय जीवन और विकास के लिए किया जाता है, साथ ही वह सारे जीवन-चक्र के लिए महत्वपूर्ण है। पानी हमेशा से सभ्याताओं का अवलंब रहा है। लगभग सभी प्राचीन सभ्यताएं, जिनमें से हमारी भी निकली है, जल के नज़दीक पली-बढ़ी हैं। पानी सदा से अपरिहार्य रहा है, न केवल मानवीय विकास के संदर्भ में बल्कि कृषि और मानवीय गतिविधियों के विकास में भी। पृथ्वी को अक्सर जल ग्रह कहा जाता है क्योंकि इसके 71 प्रतिशत भाग पर महासागरों का राज है। वर्षा के माध्यम से जल घटता भी है और फिर बढ़ता भी रहता है। इसलिए पानी के लिए चिंता करने की फिर क्या जरूरत है?

वास्तव में विश्व के जल-भंडार का केवल एक प्रतिशत हमारे उपयोग योग्य है। लगभग 97 प्रतिशत जल समुद्री खारा जल है और पृथ्वी के कुल जल-भंडार का 2.7 प्रतिशत ही स्वच्छ जल है। उस 2.7 प्रतिशत का भी काफी हिस्सा हिमनदों और पहाड़ों की चोटियों पर जमा हुआ है।
कैग ने आईआईटी और जेएनयू को आड़े हाथों लिया
Posted on 14 Dec, 2013 03:15 PM सरकारी लेखा परीक्षक कैग ने दिल्ली स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उनके परिसरों में वर्षा जल संचयन की सुविधा होने के बावजूद उन्होंने पानी के बिल पर 10 प्रतिशत की छूट का लाभ नहीं उठाया।
जेपी कंपनी : अलकनंदा की हत्या बंद करो
Posted on 10 Dec, 2013 04:15 PM

हरित प्राधिकरण का आदेश अगली सुनवाई में पर्यावरण मंत्रालय के सह-सचिव स्वयं आए

परमाणु ऊर्जा विरोधी राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न
Posted on 07 Dec, 2013 11:37 AM भोपाल। परमाणु ऊर्जा विरोधी संगठन जनपहल, जो कि परमाणु ऊर्जा के खिलाफ देश भर में उठ रही आवाजों का मंच है, ने 1 दिसंबर को भोपाल में परमाणु ऊर्जा विरोधी राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। उक्त जानकारी देते हुए जनपहल के संयोजक विजय कुमार ने बताया कि सम्मेलन में प्रसिद्ध शिक्षाविद् डॉ.
बच्चों ने विद्यालय में की पेयजल की गुणवत्ता की जांच
Posted on 06 Dec, 2013 04:27 PM मानव न केवल अपने हिस्से का वरन अन्य जीव जंतुओं के हिस्से का पानी भी पीने को आतुर है। हमें अपने साथ-साथ सभी प्राणधारियों के लिए अप
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