उत्तराखंड

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जंगल के दावेदार
Posted on 22 May, 2014 01:55 PM

पी.सी. तिवारी से भुवन पाठक द्वारा लिए गए साक्षात्कार का कुछ अंश।

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एक बार फिर देशवासियों को कुर्बानी देनी होगी : हरीश मैसूरी
Posted on 22 May, 2014 11:07 AM

भुवन पाठक द्वारा हरीश मैसूरी का लिया गया साक्षात्कार पर आधारित लेख।

हरीश जी आप अपना पूरी परिचय दीजिए?
मै गोपेश्वर में रहता हूं। वर्तमान में उत्तरांचल के चमोली जिले में न्यूज रिपोर्टिंग का काम करता हूं। इसके अलावा मैं, जल, जंगल, जमीन, महिलाओं तथा शराब से जुड़े जन आंदोलनों में भी भाग लेता रहता हूं जिससे मुझे कई व्यवहारिक अनुभव प्राप्त हुए हैं।

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क्षेत्रीय विकास की अवधारणा एवं उत्तराखंड
Posted on 17 May, 2014 08:47 AM अंततः मैं ये कहना चाहूंगा कि उत्तराखंड को किसी भी विकास की पद्धति स
उत्तरांचल राज्य के गठन पर कुछ विचार
Posted on 16 May, 2014 02:53 PM हमारे इन प्रदेशों में जो पुनरर्चना होगी, उसमें सौंदर्य, स्वच्छता
उत्तराखंड का विकास वहां की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप हो
Posted on 16 May, 2014 10:23 AM सितंबर 2011 को हिमालय दिवस के अवसर पर सैडेड द्वारा ‘हिमालय बचाओ’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में उत्तराखंड में दशकों से पंचायती व्यवस्थाओं पर काम कर रहे जोत सिंह बिष्ट के भाषण का लिखित पाठ यहां प्रस्तुत है।
हिमालय आज भी लोगों के लिए पर्यटन स्थल ही है
Posted on 16 May, 2014 09:44 AM सितंबर 2011 को हिमालय दिवस के अवसर पर सैडेड द्वारा ‘हिमालय बचाओ’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में हिंदी दैनिक भास्कर के समूह संपादक श्रवण गर्ग के भाषण का लिखित पाठ यहां प्रस्तुत है।
अमेरीकी तथाकथित उपभोगवादी स्वर्ग से बचें
Posted on 16 May, 2014 08:32 AM ‘सैडेड’ एनजीओं के कर्ताधर्ता श्री विजय प्रताप के भाषण का लिखित पाठ यहां प्रस्तुत है। उनका यह वक्तव्य 9 सितंबर 2011 को हिमालय दिवस के अवसर पर दिया गया था।
आज सबकी निगाह हिमालय की संपदा पर है
Posted on 15 May, 2014 03:36 PM ‘प्रदीप टम्टा’ कांग्रेस के सांसद हैं। उनके भाषण का लिखित पाठ यहां प्रस्तुत है। उनका यह वक्तव्य 9 सितंबर 2011 को हिमालय दिवस के अवसर पर दिया गया था।
हिमालय सिर्फ तीस प्रतिशत भू-भाग का हिस्सा नहीं तमाम हिस्सों का रेगूलेटर है
Posted on 15 May, 2014 02:33 PM ‘केंद्रीय श्रम राज्य मंत्री, भारत सरकार’ श्री हरीश रावत बाद के दौर में केंद्रीय जल संसाधन मंत्री भी रहे। 9 सितंबर 2011 को हिमालय दिवस के अवसर पर उनका वक्तव्य हुआ था। उनके वक्तव्य का लिखित पाठ यहां प्रस्तुत है।
विकास! किंतु किस कीमत पर
Posted on 10 May, 2014 08:20 AM उत्तराखंड का विकास यहां की परिस्थितियों को ध्यान में रखकर टिकाऊ वि
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