उत्तराखंड

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कच्चे तालाब में डुबा दिये साढ़े आठ लाख
Posted on 09 Jun, 2018 02:39 PM


देहरादून। चकराता ब्लॉक की बेगी ग्राम पंचायत में मनरेगा के तहत कच्चे तालाब निर्माण के नाम पर साढ़े आठ लाख रुपए की वित्तीय अनियमितता सामने आई है। पूर्व प्रधान ने कुछ कार्य दूसरी ग्राम पंचायत में करा दिये तो कुछ कार्य हुये नहीं और उसके नाम पर भुगतान हो गया। अब जिलाधिकारी की ओर से पूर्व प्रधान को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। जवाब आने के बाद वसूली की कार्रवाई की जाएगी।

विषैला हो गया गौला का पानी
Posted on 09 Jun, 2018 01:06 PM
लोगों को जीवनदान देने वाले शहर के प्रतिष्ठित अस्पताल ही लोगों के जीवन से ख
गौला नदी
शहर को प्रदूषण से बचाने की कवायद
Posted on 09 Jun, 2018 11:58 AM

पर्यावरण एवंं वन मंत्रालय ने 1989 में पर्यावरण संरक्षण कानून
जल संरक्षण से पानीदार हुआ लुठियाग गाँव
Posted on 29 Sep, 2017 03:32 PM

जिस तरह से लुठियाग गाँव के ग्रामीणों ने 40 मीटर लम्बी और 18 मीटर चौड़ी झील का निर्माण किया इसी तरह ही लोग

chal khal
पुनर्जीवित हुए मुडाला-दोगी के जलस्रोत
Posted on 24 Sep, 2017 11:30 AM

मुडाला-दोगी गाँव में 90 परिवारों की 432 की जनसंख्या पहले भी दो प्राकृतिक जलस्रोतों पर निर

water spring
पानी- एक ने बनाया रोजगार तो दूसरे ने बनाया समाचार
Posted on 18 Dec, 2016 12:37 PM


उत्तराखण्ड हिमालय में अब पेयजल का संकट होना लाजिमी है। क्योंकि जनसंख्या का बढ़ना और प्राकृतिक संसाधनों का अवैध दोहन, पानी की समस्या को खड़ा कर रहे हैं। इस संकट से निजात पाने के लिये सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर कई योजनाएँ बनी हैं, परन्तु गर्मी आरम्भ होते ही पानी के लिये चारों तरफ हाहाकार मचा रहता है।

त्रिलोक बिष्ट के घर के पीछे बनाया गया रेनवाटर हार्वेस्टिंग टैंक
आज भी प्रासंगिक हैं परम्परागत खाल
Posted on 01 Sep, 2015 03:50 PM

खेतों में भू-आर्द्रता बनी रहने के कारण गाँव के किसान अपनी परम्परागत फसलों के साथ-साथ सब्जी उत्पादन करके अपनी आजीविका चलाते हैं। गाँव को ऊपरी तौर पर देख कर आश्चर्य होता है कि जो गाँव पेयजल के संकट से जूझ रहा हो वह गर्मियों में सब्जी उत्पादन कर रहा है। इस गाँव में गर्मी के मौसम में किसान 2-5 नाली भूमि में मिर्च, फूलगोभी, टमाटर आदि की खेती करते हैं तथा प्रति परिवार औसतन 5 से 6 हजार की सब्जियाँ प्रतिवर्ष बेचते हैं।

नैनीताल जिले के रामगढ़ ब्लॉक में समुद्र तल से 1600-1700 मीटर ऊँचाई पर बसा है-कफलाड़ गाँव। गाँव के पहाड़ की चोटी पर स्थित होने के कारण इस गाँव में जल स्रोतों की कमी है जिससे वर्ष भर जल संकट बना रहता है।

इस गांव के ऊपर की भूमि में अनेक परम्परागत खाल विद्यमान हैं। इन खालों का निर्माण पीढ़ियों पूर्व गाँव के पूर्वजों ने किया था जिनका रख-रखाव आज भी ग्रामवासी करते आ रहे हैं।

इन खालों की नियमित सफाई व रख-रखाव के कारण इनमें वर्ष भर पानी रहता है। गाँव में इन खालों को लेकर यह कहावत प्रचलित है कि इन खालों में पानी कभी नहीं सूखता क्योंकि खालों का पानी सूखने से पहले ही वर्षा हो जाती है।
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