उत्तराखंड

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खनन का दंश झेलती गंगा
Posted on 06 Dec, 2011 01:07 PM

गोमुख से उत्तरकाशी तक 125 किलोमीटर क्षेत्र को बांधों से मुक्त रखने की मांग को लेकर पर्यावरणविद

उद्गम पर उत्पीड़न
Posted on 06 Dec, 2011 09:50 AM

भारत की जीवनदायी नदी गंगा भले ही असंख्य भारतीय मन में माता का दर्जा पाती हो लेकिन जब उसके प्रति प्यार और संवेदना के साथ सोचने की बात आती है तो हम आम भारतीय प्रायः उसकी उपेक्षा ही कर देते हैं। यही कारण है कि सरकार भी इसकी पवित्रता व इसके संरक्षण को लेकर भारतीय मानस से तालमेल बनाने को विवश नहीं होती। सैलानियों से महज कुछ लाख रुपयों का लाभ अर्जित करने के लिए गंगा के उद्गम स्थल गोमुख तक के पर्यटन को बढ़ावा देकर उत्तराखंड सरकार गंगा को उसके मुहाने पर ही प्रदूषित करने पर तुली है। तीन सालों में यहां पहुंचने वाले सैलानियों की संख्या में दोगुना इजाफा हुआ है। इसने पर्यटन बनाम पर्यावरण की नई बहस छेड़ दी है। हिमनद पर्यटन गतिविधियों से गहरे प्रभावित हो रहे हैं। दूसरी ओर बिहार की सरकार गंगा और उसके जलजीवों तथा उसके सौंदर्य को लेकर लगातार काम कर रही है।

गंगोत्री पार्क प्रशासन भले ही इस साल पर्वतारोहण कर गोमुख पहुंचे करीब सोलह हजार लोगों से 28 लाख रुपए से अधिक का राजस्व वसूल कर खुश हो रहा हो लेकिन गंगा के उद्गम क्षेत्र में सैलानियों की तेजी से बढ़ती संख्या ने पर्यावरणविदों व प्रेमियों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं।
टिहरी बांध का जलाशय भरने से पहले पुनर्वास करो : सर्वोच्च न्यायालय
Posted on 09 Nov, 2011 10:12 AM ‘‘पुनर्वास तर्कों का विषय नहीं है। देश में प्रत्येक व्यक्ति को सम्मानपूर्वक रोटी, कपड़ा और रहने के लिये स्थान प्राप्त करने का हक है। प्रत्येक व्यक्ति के विकास से ही समाज का विकास होता है।’’ ये शब्द सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति आर0 एम0 लोधा ने न्यायमूर्ति एच0 एल0 गोखले के साथ, टिहरी 3 नवंबर को बांध संबंधी एन. डी. जयाल एंव शेखर सिंह बनाम केन्द्र सरकार और राज्य सरकार तथा अन्य मुकदमों की सुनवाई के दौरान कहे।

इसके साथ ही बांध कंपनी टिहरी जलविद्युत निगम (टीएचडीसी) द्वारा झील का जलस्तर 830 मीटर तक किये जाने का निवेदन नामंजूर कर दिया। अदालत ने टीएचडीसी को पुनर्वास के लिये उत्तराखंड राज्य सरकार द्वारा पुनर्वास पूरा करने के लिये मांगी गई 102.99 करोड़ की राशि देने का आदेश दिया।
चीड़ की पत्तियां कोयले का विकल्प
Posted on 29 Sep, 2011 09:52 AM

पहले इसको विशेष खास ड्रम के भीतर कम आक्सीजन की स्थिति में जलाया जाता है। तारकोल जैसे रूप में पर

ठंडो पाणी मेरा पहाड़ मा, न जा स्वामी परदेसा
Posted on 26 Sep, 2011 06:59 PM

दूधातोली में जब से पानी का, चाल और खाल का काम प्रारंभ हुआ है, तब से यहाँ के वन आग से सुरक्षित हो चले हैं। सभी ग्राम वनों में बनी चालों के कारण उनमें गर्मी के तपते मौसम में भी नमी और इस कारण हरियाली बनी रहती है, आग नहीं लग पाती। कहीं आग लग भी जाए तो यह लाचारी नहीं होती कि अब इसे कैसे बुझाया जाए। भरनों गाँव के अपने पाले वन में, मई 1998 में आग जरूर लगी थी पर चालों की उपस्थिति के कारण वह जल्दी ही नियंत्रण में आ गई थी।

ढौण्ड गाँव (पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड) के पंचायत भवन में छोटी-छोटी लड़कियाँ नाच रहीं थीं। उनके गीत के ये बोल सामने बैठे पूरे गाँव को बरसात की झड़ी में भी बांधे हुए थे। भीगते दर्शकों में ऐसी कई युवा और अधेड़ महिलाएँ थीं, जिनके पति और बेटे अपने जीवन के कई बसंत ‘परदेस’ में ही बिता रहे हैं, ऐसे वृद्ध भी इस कार्यक्रम को देख रहे थे, जिनने अपने जीवन का बड़ा भाग ‘परदेस’ की सेवा में लगाया है और भीगी दरी पर वे छोटे-बच्चे-बच्चियां भी थीं, जिन्हें शायद कल परदेस चले जाना है।

एक गीत पहाडों के इन गाँवों से लोगों का पलायन भला कैसे रोक पाएगा?

लेकिन गीत गाने वाली टुकड़ी गीत गाती जाती है। आज ढौण्ड गाँव में है तो कल डुलमोट गाँव में फिर जन्दिया में, भरनों में, उफरैंखाल में। यह केवल सांस्कृतिक आयोजन नहीं है। इसमें कुछ गायक हैं, नर्तक है, एक हारमोनियम, ढोलक है तो सैकड़ों कुदाल-फावड़े भी हैं जो हर गाँव में कुछ ऐसा काम कर रहे हैं कि वहां बरसकर तेजी से बह जाने वाला पानी
sachidanand bharti
हिमालय को चाहिएं हमदर्द
Posted on 26 Sep, 2011 11:05 AM

भारतभूमि के मस्तक हिमालय का भला महज सम्मान से ही नहीं हो सकता, उसे अलग नीति चाहिए जो उसके दुख-दर्द को ध्यान में रखकर बनाई गई हो। पर्वतीय राज्यों के लिए अलग हिमालय नीति की मांग जोर-शोर से उठ रही है।

हिमालय और हिमालय से जुड़े सवालों को जानने-समझने और उठाने से जुड़ी मुहिम धीरे-धीरे रंग लाने लगी है। हिमालयी परिवेश को सुरक्षित-संरक्षित रखने की लड़ाई लड़ रहे कार्यकर्ताओं ने पिछले साल 9 सितंबर को हिमालय दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की। दूसरे ही साल यह इतना लोकप्रिय हो गया कि अकेले देहरादून शहर में छह से अधिक स्थानों पर हजारों लोगों ने अपने-अपने तरीके से हिमालय दिवस मनाया। हिमालय दिवस असल में उस पूरी प्रक्रिया और लड़ाई की एक कड़ी के रूप में है जहां देश-दुनिया के हिमालय प्रेमी भौगोलिक रूप से भिन्न इस भूभाग के लिए अलग रीति-नीति की बात कर रहे हैं।
20,000 तालाब बनाने वाली संस्था को महात्मा गांधी पुरस्कार
Posted on 23 Sep, 2011 07:10 PM भोपाल। मध्यप्रदेश शासन का सन् 2008-09 का सर्वोच्च ‘महात्मा गांधी पुरस्कार’ इस बार उत्तराखंड के पौढ़ी गढ़वाल जिले के ग्राम उफरैंखाल में कार्यरत गांधी विचार से ओतप्रोत ‘दूधातोली लोक विकास संस्थान’ को प्रदान किया गया है। इस अभिनव संस्था ने पिछले करीब तीन दशकों से हिमालय क्षेत्र में वनों को सहेजने का बीड़ा उठा रखा है। इस संस्था के प्रमुख कार्यकर्ता सच्चिदानंद भारती एक विद्यालय में शिक्षक हैं और उन्हों
पानी के लिए मेहनत रंग लाई
बचे रहें जंगल
Posted on 22 Sep, 2011 05:20 PM

चीड़ के जंगलों में आग लगने की बढ़ती घटनाओं का असर पर्यावरण और जल स्रोतों पर भी पड़ा। इससे सिंच

दूधातोली लोक विकास संस्थान को मिलेगा राष्ट्रीय महात्मा गांधी सम्मान
Posted on 21 Sep, 2011 05:53 PM

मध्य प्रदेश सरकार ने वर्ष 2008-09 के राष्ट्रीय महात्मा गांधी सम्मान की घोषणा कर दी है। राष्ट्रीय महात्मा गांधी सम्मान राशि के मामले में भारत का सबसे बड़ा सम्मान है। इसमें 10 लाख रुपए की राशि एवं सम्मान-पट्टिका प्रदान की जाती है। संस्कृति मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय महात्मा गांधी सम्मान उत्तराखंड के पौड़ी-गढ़वाल जिले के उफरैखाल स्थित दूधातोली लोक विकास संस्थान को दिया गया है।

पानी के लिए मेहनत रंग लाई
दर्द की दरिया बनी टिहरी झील
Posted on 19 Sep, 2011 05:50 PM

दशकों पहले विस्थापित किए गए ग्रामीण भी विस्थापन के दर्द से अब तक उबर नहीं पाए हैं। देहरादून और

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