उत्तर प्रदेश

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कोका कोला इंडिया (वाराणसी संयंत्र): 4आर दृष्टिकोण
Posted on 08 Oct, 2008 09:29 PM वाराणसी से २२ किलोमीटर दूर मेंहदीगंज में कोका कोला इंडिया प्लांट 4आर (रिड्यूस, रीयूज़, रिसाइकिल और रिजार्ज) यानी पानी के इस्तेमाल में कमी, दोबारा इस्तेमाल, पुनर्चक्रण और पुनर्भरण के दृष्टिकोण पर केंद्रित है। कंपनी की बहुआयामी गतिविधियों में पानी के इस्तेमाल पर जागरुकता कार्यक्रम, बोतलों की सफ़ाई के दौरान पानी के न्यूनतम इस्तेमाल के लिए नोज़ल के आकार में कमी, स्टीम कंडेंसेट का दोबारा इस्तेमाल, गंदे
हिंडाल्को इंडस्ट्रीज़, रेनुकूट, सोनभद्र, यूपी: समुदाय आधारित जल प्रबंधन
Posted on 08 Oct, 2008 07:48 PM हिंडाल्को के रेनुकूट संयंत्र में एक जल प्रबंधन परियोजना चलाई जा रही है जिसका लक्ष्य इस पहाड़ी क्षेत्र के ३० गांवों को फ़ायदा पहुंचाना है। इस इलाके में करीब 65% आबादी गरीबी रेखा से नीचे गुज़र बसर करती है। परियोजना के तहत बाहर से पानी लाकर 2500 एकड़ से अधिक ज़मीन की सिंचाई की व्यवस्था की गई जिससे करीब 4165 लोगों को फ़ायदा हुआ। इसी तरह बारिश के पानी के संरक्षण के माध्यम से 8600 एकड़ ज़मीन की सिंचाई क
पानी पर खतरे की घंटी सुनना जरूरी
Posted on 03 Oct, 2008 09:41 AM

अनिल प्रकाश/ हिन्दुस्तान

भूमिगत जलस्रोतों को कभी अक्षय भंडार माना जाता था, लेकिन ये संचित भंडार अब सूखने लगे हैं। पिछले 50-60 बरस में डीजल और बिजली के शक्तिशाली पम्पों के सहारे खेती, उद्योग और शहरी जरूरतों के लिए इतना पानी खींचा जाने लगा है कि भूजल के प्राकृतिक संचय और यांत्रिक दोहन के बीच का संतुलन बिगड़ गया और जलस्तर नीचे गिरने लगा। केंद्रीय तथा उत्तरी चीन, पाकिस्तान के कई हिस्से, उत्तरी अफ्रीका, मध्यपूर्व तथा अरब देशों में यह समस्या बहुत गंभीर है, लेकिन भारत की स्थिति भी कम गंभीर नहीं है। पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अधिकांश इलाकों में भूजल स्तर प्रतिवर्ष लगभग एक मीटर तक नीचे जा रहा है। गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश में भूजल स्तर तेजी से नीचे गिर रहा है। समस्या इन राज्यों तक ही सीमित नहीं है। नीरी (नेशनल इनवायर्नमेंट इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीच्यूट) के अध्ययन में पाया गया है कि भूमिगत जल के अत्यधिक दोहन के कारण पूरे देश में जल स्तर नीचे जा रहा है।

सूखे कुंए
कोशिश रंग लाई, मिला पानी
Posted on 03 Oct, 2008 12:57 AM

आईबीएन-7/सिटिज़न जर्नलिस्ट सेक्शन

नरेन्द्र नीरव, सोनभद्र जिले के ओबरा का रहने वाला हैं। सूखा ग्रस्त टोले का परासपानी गांव आज 5 सालों के मेहनत, परिश्रम और लोगों के लगन का नतीजा है यह कि जहां सूखा था वहां पानी दिख रहा है।

हिंडन नदी : जल बना जहर
Posted on 01 Oct, 2008 10:39 AM

साधना सिंह, गाजियाबाद

फिल्म : जल ही जीवन है
Posted on 26 Sep, 2008 04:21 PM

शिप्रा सनसिटी, जागरण संवाद केंद्र, गाजियाबाद

पानी अनमोल है
जब पूरा गांव ही बन गया भगीरथ
Posted on 23 Sep, 2008 04:54 PM

सामूहिक प्रयास कैसे बियाबान में फूल खिला सकते हैं, यह देखना है तो आपको एक बार कन्नौज के उदैतापुर गांव जाना पड़ेगा। राजा भगीरथ गंगा को धरती पर लाए, तो उनका प्रयास मुहावरा बन गया। अब पूरे गांव ने मिलकर पानी का संकट दूर किया, टंकी खड़ी की और घरों तक पाइपलाइन डाल दी। वह भी सरकार से एक पैसा लिये बिना। छोटा-सा यह गांव उन लोगों को रोशनी दिखाता है, जो खुद कुछ करने के बजाय भगवान या सरकार भरोसे बैठे रहते

नहरों के भरोसे नदियों को जीवनदान
Posted on 22 Sep, 2008 07:46 PM

अंबरीश कुमार/ लखनऊ के बगल में सई नदी सूखी तो उसे बचाने के लिए पानी भरा गया। लेकिन नदियों को बहाने के ऐसे औपचारिक प्रयास रारी नदी पर सफल नहीं हुए। नहर से छोड़ा गया पानी कुछ ही घंटों में सूख गया। सिचाईं विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि नदियों से नहरों को पानी मिलता है लेकिन अब सरकारी आदेश है इसलिए काश्तकारों के हिस्से का पानी नदियों में छोड़ा जा रहा है।

नदियों को बचाने के लिए नहरों से पानी छोड़ा जा रहा है
गोमती नदी में गंदा नाला डालने की कोशिश!
Posted on 21 Sep, 2008 11:00 PM

जागरण/पीलीभीत। गोमती नदी के प्रदूषण को लेकर जहां राज्य सरकार चिंतित है, वहीं इस पौराणिक नदी के उद्गम स्थल पर गंदा नाला डालने की कोशिश की जा रही है। हालांकि मामले की शिकायत मिलने पर जिलाधिकारी ने फौरी तौर पर एक्शन लेने की हिदायत मातहत अफसरों को दी है। फिलहाल इस नदी की सफाई करने की पहल यहां भी किये जाने की जरूरत है।

हम नदी के रास्ते को साफ रखें
Posted on 21 Sep, 2008 06:45 PM

मुंशी राम बिजनौर के जुझारू सांसद हैं। वे अपने जिले की जल समस्याओं से न केवल परिचित हैं, बल्कि उसका समाधान भी सुझाते हैं कि अगर नदी के रास्ते को साफ रखा जाये तो बाढ़ की समस्या सुलझ सकती है। वे नदी के अधिशेष जल को सूखा ग्रस्त इलाकों में ले जाने की भी वकालत करते हैं। लेकिन वे इंगित करते हैं कि लिफ्ट करके पानी को दूसरी जगह पहुँचाना उचित नहीं है, हमें नदी के सहज गुरुत्वाकर्षण को प्रयोग में लाना चाहि

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