/regions/uttar-pradesh-1
उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में वन संसाधन आवश्यकता एवं विकास
Posted on 14 May, 2016 03:34 PMआज आवश्यकता इस बात की है कि पूरे देश व प्रदेश में इस कार्यक्रम को जन आन्दोलन के रूप में स
विज्ञान और कृषि का औद्योगिक रूप
Posted on 14 May, 2016 03:27 PMदेश में गन्ने पर आधारित चीनी उद्योग काफी विकसित दशा में है 1989-90 में 100 लाख टन से अधिक चीनी का उत्पादन करके भारत चीनी उत्पादन में विश्व में प्रथम स्थान पर आ गया है। गन्ने की वैज्ञानिक खेती की सफलता से न केवल चीनी उद्योग बल्कि गुड़ व खांडसारी उद्योग का तेजी से विकास हुआ है। इस उद्योग में लगभग 300 टन गुड़ तथा खांडसारी का उत्पादन होता है। इस उद्योग में लगभग 31 लाख लोगों को मौसमी रोजगार मिला हुआ है।
विज्ञान ही सम्भवतया मानव जाति का सबसे बड़ा पुरुषार्थ है और कृषि कार्य प्राकृतिक पद्धतियों के खिलाफ मानव की महान चुनौती। विज्ञान ने मनुष्य को इस चुनौती का हल खोजने की शक्ति एवं सामर्थ्य दे दी है। विज्ञान के जरिए भारतीय कृषि के परम्परागत और भाग्यवादी स्वरूप के स्थान पर नया व्यावसायिक और औद्योगिक स्वरूप विकसित करने में काफी हद तक सफलता मिली है। कृषि प्रधान भारत ने दुनिया के प्रथम दस औद्योगिक देशों में स्थान बना लिया है।उद्योगीकरण
कहना न होगा कि कृषि और उद्योग एक दूसरे के लिये सर्वोत्तम योगदान कर सकते हैं। विकास प्रक्रिया में यह आवश्यक है कि कृषि-क्षेत्र बड़ी मात्रा में उद्योगों के लिये संसाधनों की आपूर्ति करे। अनेक विकसित देशों का अनुभव बताता है कि समृद्धि ने अधिक सीमा तक औद्योगीकरण मार्ग को सरल व तीव्रगामी बनाया है।
ओजोन समस्या: कब और कैसे (Ozone problem: when and how)
Posted on 14 May, 2016 12:01 PMविकासशील देशों का तर्क है कि पर्यावरण को जिन देशों ने सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचाया है। वही
पर्यावरण और वन-विनाश
Posted on 14 May, 2016 11:51 AMसभ्यता के विकास के साथ ही हमने भौतिक उन्नति, प्राकृतिक सम्पदा का दोहन, मशीनों, रसायनों, लवणों एवं खनिजों के भरपूर उपयोग को पूँजीवादी विकासात्मक तकनीकी के साथ प्राथमिकता प्रदान की। फलतः विकास और पर्यावरण के नाजुक सम्बन्ध बदतर होने लगे और उन्हीं विसंगतियों ने पर्यावरण प्रदूषण को नया अर्थ दिया। जिसके अन्तर्गत अब वनों की कटाई, भूमि और मिट्टी के अत्यधिक उपयोग से उत्पन्न बाढ़ और अकाल, प्रदूषित ह
बदलती कृषि पद्धतियाँ एवं पर्यावरण पर उनका प्रभाव
Posted on 14 May, 2016 11:27 AMसबसे बड़ी बात तो यह है कि इस आधुनिक कृषि को हम पूर्णतया नकार भी नहीं सकते, कारण कि अपार बढ़
विलुप्त होते वन्य जीव एवं उनका संरक्षण
Posted on 13 May, 2016 03:47 PMगाँधीजी ने कहा था- ‘‘प्रकृति में प्रत्येक की जरूरत पूरी करने की क्षमता है, लेकिन किसी एक के लालच के लिए नही’’।
अमेठी में सूखा, फैक्टरियाँ कर रहीं भूजल का दोहन
Posted on 10 May, 2016 11:09 AMसरकारी और गैर सरकारी भवनों की छतों पर पानी स्टोरेज का प्रबन्ध
Operational Need of Artificial Recharge Plan for Ground Water Augmentation in Saharanpur Area, Uttar Pradesh
Posted on 07 May, 2016 11:55 AMABSTRACT
प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण | Conservation of Natural Resources in Hindi
Posted on 03 May, 2016 11:10 AMजल का उपयोग कृषि, उद्योगों, यातायात, ऊर्जा तथा घरेलू उपयोग के संसाधन के रूप में किया जाता है। जल का संरक्षण जीवन का संरक्षण है। जल एक चक्रीय संसाधन है जिसको वैज्ञानिक ढंग से साफ कर पुनः प्रयोग में लाया जा सकता है। पृथ्वी पर जल वर्षा और बर्फ से उपलब्ध होता है। यदि जल का युक्तिसंगत उपयोग किया जाए तो वह हमारे लिये कभी कम नहीं पड़ेगा। परन्तु संसार के कुछ भागों में जल की बहुत कमी है।