डा. राधा मोहन श्रीवास्तव

डा. राधा मोहन श्रीवास्तव
विज्ञान और कृषि का औद्योगिक रूप
Posted on 14 May, 2016 03:27 PM

देश में गन्ने पर आधारित चीनी उद्योग काफी विकसित दशा में है 1989-90 में 100 लाख टन से अधिक चीनी का उत्पादन करके भारत चीनी उत्पादन में विश्व में प्रथम स्थान पर आ गया है। गन्ने की वैज्ञानिक खेती की सफलता से न केवल चीनी उद्योग बल्कि गुड़ व खांडसारी उद्योग का तेजी से विकास हुआ है। इस उद्योग में लगभग 300 टन गुड़ तथा खांडसारी का उत्पादन होता है। इस उद्योग में लगभग 31 लाख लोगों को मौसमी रोजगार मिला हुआ है।

विज्ञान ही सम्भवतया मानव जाति का सबसे बड़ा पुरुषार्थ है और कृषि कार्य प्राकृतिक पद्धतियों के खिलाफ मानव की महान चुनौती। विज्ञान ने मनुष्य को इस चुनौती का हल खोजने की शक्ति एवं सामर्थ्य दे दी है। विज्ञान के जरिए भारतीय कृषि के परम्परागत और भाग्यवादी स्वरूप के स्थान पर नया व्यावसायिक और औद्योगिक स्वरूप विकसित करने में काफी हद तक सफलता मिली है। कृषि प्रधान भारत ने दुनिया के प्रथम दस औद्योगिक देशों में स्थान बना लिया है।

उद्योगीकरण


कहना न होगा कि कृषि और उद्योग एक दूसरे के लिये सर्वोत्तम योगदान कर सकते हैं। विकास प्रक्रिया में यह आवश्यक है कि कृषि-क्षेत्र बड़ी मात्रा में उद्योगों के लिये संसाधनों की आपूर्ति करे। अनेक विकसित देशों का अनुभव बताता है कि समृद्धि ने अधिक सीमा तक औद्योगीकरण मार्ग को सरल व तीव्रगामी बनाया है।
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