Posted on 07 Aug, 2011 08:20 AMज्ञानपुर (भदोही)। गंगा प्रदूषण किसी एक जिले, प्रदेश की नहीं वरन पूरे देश के लिए एक अहम मुद्दा बन चुका है। गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के नाम पर अब तक करोड़ों रुपये फूंके जा चुके हैं लेकिन इन सबके बावजूद जनपद के नगरीय क्षेत्रों से निकलकर गंगा व अन्य नदियों में बहकर जाने वाले गंदे पानी को प्रदूषण मुक्त कर छोड़ने की कोई योजना नहीं बन पायी है। कोई ऐसे ट्रीटमेंट प्लांट की योजना में अवरोध तो दूर बल्कि यह
Posted on 07 Aug, 2011 08:16 AMवाराणसी। रफ्तार टूटने के बाद गंगा में घटाव तेज हो गया है। चौबीस घंटे के दौरान जलस्तर में चार फुट की गिरावट दर्ज की गई। उधर, वरुणा की भी धारा शांत पड़ गई। पानी घटने के बाद दूसरी जगहों पर शरण लिए लोग बीवी-बच्चों के साथ अपने घरों को लौटने तो लगे लेकिन सीलन और बदबू से वहां बीमारी फैलने की आशंका है। दाने-दाने की तो मोहताजी हुई ही, शुद्ध पानी का टोटा पड़ जाने से मुश्किलें बढ़ गई हैं। गुरुवार को नक्खी घा
मल-मूत्र की सफाई कई दृष्टियों से बहुत जरूरी है। काँलरा-टाइफॉइड आदि भयानक रोगों के जंतुओं का फैलाव आदमी के मैले द्वारा होता है। दूसरे, हजारों बरसों से जोती जानेवाली जमीन को सजीव खाद की जरूरत है। तीसरे, इस सफाई की ओर हमारी उपेक्षा ही नहीं, उसके प्रति हमारे मन में घृणा भी है। इसलिए इस सफाई को हमने अपनाया, इसके प्रति यदि घृणा की भावना मिट गयी तो अन्य सफाई करने की प्रवृत्ति सहज ही उत्पन्न हो जायेगी। सबसे महत्व की बात यह है कि इसमें क्रांति के बीज छिपे हुए हैं। मल-सफाई के अत्यन्त उपयोगी काम को हमने हलका समझा और इस कार्य को करने वाले मेहतरों को (मेहतर शब्द क्या महत्तर-अधिक बड़ा-से हुआ होगा?) हलका और अछूत मानकर हमने समाज में ऊँच-नीच का, विषमता का एक ऐसा सिलसिला जारी कर दिया है, जिसने सारे समाज-शरीर को खोखला
Posted on 22 May, 2010 11:33 AMजिस प्रकार किसी उद्योग में प्रक्रियाओं के क्रमों को निर्धारित करना आवश्यक है, उसी प्रकार सफाई के कार्यक्रमों को कई हिस्सों में विभाजित करना आवश्यक है। इसका क्रम निम्नांकित होगाः
1. औजार आदि साधनों का चुनाव तथा उनकी यथायोग्य व्यवस्था करना, 2. सफाई के काम की योजना बनाना, 3. काम का आसन 4. काम से निकले कच्चे माल को एकत्र करना,