राजस्थान

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'जल जागरूकता सप्ताह' के तहत खाजूवाला ब्लाॅक में कार्यशाला
Posted on 24 Feb, 2014 10:12 AM जल एक संवेदी तत्व है जिसमें खुद में प्राण होता है और संवेदना होती
'जल जागरूकता सप्ताह' के तहत लूणकरणसर ब्लाॅक में कार्यशाला
Posted on 24 Feb, 2014 09:29 AM पुराने जमाने में जल को एक बार से ज्यादा बार प्रयोग करके जल की बचत क
राजस्थान में शामलात की स्थिति
Posted on 22 Feb, 2014 03:52 PM ग्रामीण समुदाय जिसका जीवन-आधार शामलात पर निर्भर है अक्सर कानूनी मान्यता के बिना इस संसाधन का प्रभावी व
'जल जागरूकता सप्ताह' के तहत कोलायत ब्लॉक में कार्यशाला
Posted on 22 Feb, 2014 03:37 PM

शर्मा ने बताया कि पानी में फ्लोराइड की अधिक मात्रा फ्लोरोसिस नामक बीमारी का कारण होती है इस कार

शामलात का पुनर्विकास- पारिस्थितिक एवं सामाजिक न्याय का समागम
Posted on 22 Feb, 2014 02:55 PM भारत के साथ-साथ विश्व के कई भागों में भूमि की उत्पादकता व उपलब्ध ज
भूजल
Posted on 16 Feb, 2014 03:44 PM भूजल एक गतिशील स्रोत है। लेकिन यह असीमित नहीं है इसकी मात्रा तथा गुणवत्ता एक स्थान से दूसरे स्थान तथा जलवायु के अनुसार परिवर्तित होती रहती है। जल पटल का उतार-चढ़ाव भूजल भंडारों में परिवर्तन को दर्शाता है। भूजल भंडारों में वर्षा उपरांत पुनर्भरण से तथा तालाबों, नहरों तथा सिंचाई से रिसाव द्वारा वृद्धि होने पर जल पटल ऊपर आ जाता है। इसी प्रकार भूजल भंडारों से पम्पों द्वारा पानी निकालने से तथा भूजल के बाह्य प्रवाह के कारण जल पटल में गिरावट हो जाती है। धरती की सतह के नीचे भूजल लगभग हरेक जगह पर कम या अधिक मात्रा में उपलब्ध है। एक अनुमान के अनुसार पृथ्वी पर लगभग 20 लाख घन मील आयतन में भूजल समाया हुआ है और इसका लगभग आधा भाग पृथ्वी की सतह से केवल एक मील की गहराई में ही व्याप्त है। वर्षा के मौसम के बाद जल का एक भाग जमीनी सतह के नीचे विभिन्न प्रकार की कठोर और नरम चट्टानों में दरारों, तरेड़ों तथा चट्टानों के कणों के मध्य रिक्त स्थानों में एकत्र हो जाता है। यह जल ही भूजल कहलाता है।

भूजल का विश्लेषण


पृथ्वी की सतह के नीचे चट्टानों में उपलब्ध समस्त रिक्त स्थान जब जल से पूर्ण रूप से भर जाते हैं तो वह क्षेत्र संतृप्त क्षेत्र कहलाता है। इस संतृप्त क्षेत्र की ऊपरी सतह ‘जल पटल’ (वाटर टेबल) कहलाती है।
Groundwater
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