पुणे जिला

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पैठणवासियांची नदी प्रदूषणाची व्यथा
Posted on 01 Oct, 2015 02:34 PM पण जी पंढरपूरची तीच गोष्ट पैठणची असे म्हणावयाची पाळी आज पैठणकरांवर आली आहे. माझे एक नातेवाईक पंढरपूरला राहतात. यात्रेच्या पंधरा दिवसात पंढरपूरकर हैराण होवून जातात. दिवसेंदिवस यात्रेकरूंची संख्या वाढत चालली आहे. यावर्षी तर हा आकडा सात लाखांच्या घरात जावून पोहोचला.
गोदावरी से सीवेज को अलग करने की तैयारी
Posted on 13 Apr, 2015 03:16 PM नासिक (भाषा)। पुणे स्थित राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने यहाँ त्रिम्बकेश्वर नगरपालिका परिषद को इस मन्दिर नगरी में गोदावरी नदी से सीवेज को अलग करने का काम 28 मई तक पूरा करने का आदेश दिया है। साथ ही, ठोस कूड़े के निष्पादन के लिये इस समय सीमा तक एक ‘बायोमेथनेशन संयन्त्र’ स्थापित करने का भी आदेश दिया है।
बहुत कुछ कहती है मालिन की तबाही
Posted on 04 Aug, 2014 11:54 AM

आपदा आने के पश्चात राहत कार्य शुरू करने में कम-से-कम समय लगना चाहिए और यदि पहले से ही चेतावनी म

पत्थर पर दूध और धान की सफल खेती
Posted on 29 Jun, 2012 04:07 PM रासायनिक खादों के अंधाधुंध इस्तेमाल से पुणे जिले की खेतों का उर्वरा शक्ति खत्म हो गई थी। आज वहां के किसान लिफ्ट इरिगेशन की सहायता से अच्छी खेती कर रहे हैं। विश्वनाथ कभी ठेके पर मजदूर के तौर पर काम करते थे आज पुणे जिले में एक सफल किसान हैं और अपने घर में साल भर के लिए अनाज इकट्ठा करके और बाकी का अनाज गांव के लोगों को अच्छे दामों में बेच देते हैं। जिससे उनको अच्छी आमदनी होती है। संदीप खानेकर पॉल्
कूड़ा बीनने वालों को मिली नई संभावनाएं
Posted on 23 Feb, 2012 11:08 AM

नगर निगम व पुलिस से संपर्क स्थापित कर कूड़ा बीनने वालों को परेशान करने वाली प्रवृत्तियों पर काफी हद तक रोक लगाई

जल संरक्षण को लेकर 'धार्मिक जलयात्रा'
Posted on 31 Dec, 2011 11:25 AM जल संरक्षण के संदेश के साथ विख्यात संत ज्ञानेश्वर की पालकी लेकर लगभग एक दर्जन नौकाएं धार्मिक स्थल पंढरपुर तक एक अनूठी जल यात्रा पर रवाना हुई हैं। इस यात्रा को इसकी शुरूआत करने वाले विश्वास येओले ने ‘जल डिंडी’ का नाम दिया है। इस पर्यावरण जागरुकता कार्यक्रम के तहत भगवान विट्ठल के भक्त वरकारी पंथ के लोग हर साल पैदल पंढरपुर जाते हैं। येओले ने कहा, ‘‘यह हमारे लिए खास मौका है क्योंकि 2002 में पर्यावरणवि
लकड़ी का टाल नहीं है जंगल
Posted on 06 Sep, 2011 11:19 AM

भीमशंकर वनों में निवास करने वाला यह समाज न्यूनतम उपभोग वाली ऐसी जीवनशैली का पालन करता है, जिसमें सब कुछ बहुत मितव्यय से इस्तेमाल किया जाता है। उनके घर पत्थर और मिट्टी के बने होते हैं और इन लोगों के पास कुछ बहुत आवश्यक वस्तुएं ही होती हैं। वे ऐसे आत्मीय समुदायों में रहते हैं जहां आपसी सहयोग ही जीवन जीने का तरीका है। वे एक साथ योजना बनाते हैं और फिर सब मिलकर एक साथ काम करते हैं।

महाराष्ट्र के पुणे जिले में सुदूर पश्चिम घाट के अत्यधिक वर्षा वाले पहाड़ी ढलान में अम्बेगांव विकास खंड में स्थित है भीमशंकर वन। यह एक अनछुआ, बारहमासी, चार तलीय वन है जहां बादल भी अठखेलियां करते नजर आते हैं। यहां की उपजाऊ मिट्टी उथली है। उसके नीचे कठोर चट्टानें। यहां भूगर्भ जल है ही नहीं। इसलिए यदि एक बार ये वन नष्ट हो गए तो उनका दोबारा फलना-फूलना बहुत कठिन है। यहां पर चलने वाली तेज हवाओं और भारी भूक्षरण को ये वन संभाल लेते हैं। ऊंचे पेड़, छोटे पेड़, घनी झाड़ियां, घास आदि मिलकर वर्षा के जल को अपने में समाहित कर यहां की कीमती मिट्टी को भी बहने से बचाते हैं।

महादेव कोली समाज यहां सदियों से निवास कर रहा है। उसने ऐसी जीवनशैली व दर्शन को अपना लिया है, जो कि यहां के पर्यावरण
किसके सपनों का भारत !!
Posted on 17 Aug, 2011 03:02 PM

महाराष्ट्र में पुणे के निकट मावल में पुलिस की गोली से चार किसानों के मारे जाने के समाचार को यद

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