Posted on 27 Jul, 2017 12:30 PM सन 1920 में शहर को विकसित व व्यवस्थित करने के लिये 20 वर्षीय योजना शुरू की गई और इसी के तहत सन 1920 में जंगलों से भरी 192 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया। अधिग्रहण का उद्देश्य क्षेत्र को रिहाइशी इलाके में तब्दील करना था। 192 एकड़ में से 73 एकड़ भूखण्ड में झील के निर्माण की योजना बनाई गई। झील के लिये खुदाई से निकली मिट्टी से आसपास के क्षेत्रों को भरा गया और इस तरह झील बनकर तैयार हो गई। उस वक्त इसे ढाकुरिया लेक कहा जाता था। वर्ष 1958 में रवींद्र नाथ टैगोर को श्रद्धांजलि देते हुए इसे रवींद्र सरोवर नाम दिया गया। दक्षिण कोलकाता (पश्चिम बंगाल) में करीब 73 एकड़ में फैली एक राष्ट्रीय झील को बचाने के लिये पर्यावरणविदों व झील प्रेमियों ने अन्तरराष्ट्रीय मुहिम शुरू कर दी है।
झील के आसपास कंक्रीट के जंगल बोये जाने के खिलाफ पर्यावरण विशेषज्ञों ने चेंज डॉट ओआरजी पर याचिका दी है और इसे बचाने की गुहार लगाई है। देश-विदेश के लोगों ने इस मुहिम से खुद को जोड़ते हुए झील को बचाने की माँग की है।
याचिका देने वाले संगठन लेक लवर्स फोरम से जुड़े पर्यावरण विशेषज्ञ सौमेंद्र मोहन घोष कहते हैं, ‘24 जून को हमने इस प्लेटफॉर्म पर याचिका दायर की थी और अब तक देश-विदेश के 1 हजार से अधिक लोगों ने इस पर हस्ताक्षर कर दिये हैं। इससे जाहिर होता है कि वे झील को लेकर कितने चिन्तित हैं। चेंज डॉट ओआरजी के अलावा हम फेसबुक पर भी मुहिम चला रहे हैं, ताकि सरकार पर चौतरफा दबाव बनाया जा सके।’