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न्यू टिहरी
बांधों से विकास?
Posted on 16 Dec, 2008 07:12 AM
-विमल भाई
एनएचपीसी कहती है कि बांध से विकास होगा तो फिर प्रश्न ये है कि पूरी जानकारी लोगों को क्यों नहीं दी जा रही है? जानकारी हिन्दी में क्यों नहीं दी जा रही है? सरकार को कहीं इस बात का डर तो नहीं है कि यदि लोग सच्चाई जान जाएंगे तो बांध का विरोध करेगें।
नमामि गंगे परियोजना के 65 प्रोजेक्ट 132 गांव और 15 शहरों में चल रहे हैं
Posted on 08 Jun, 2019 11:31 AM
उत्तराखंड: नए सांसदों ने पहाड़-पलायन की समस्या को रोकने का वायदा किया
Posted on 24 May, 2019 11:08 AM
प्लास्टिक की खाली बोतल के बदले एक रुपया इनाम
Posted on 21 May, 2019 06:06 PMटिहरी झील क्षेत्र में बढ़ते प्लास्टिक कचरे की समस्या के निस्तारण के लिए बोट संचालक आगे आए हैं। श्री गंगा भागीरथी बोट संचालन समिति के बैनरतले बोट संचालकों ने टिहरी झील क्षेत्र के सौ मीटर के दायरे से प्लास्टिक की खाली बोतल लेकर आने वालों को प्रति बोतल एक रुपए का भुगतान करने का निर्णय लिया है।
पहाड़ में जंगलों की बेकाबू आग की लपटें बस्तियों तक पहुंचीं
Posted on 13 May, 2019 12:11 PMरुद्रप्रयाग/श्रीनगर
उत्तराखंड: जंगल आग से धधकने लगे
Posted on 08 May, 2019 01:40 PMपारा चढ़ने के साथ ही प्रदेश के जंगल आग से धधकने शुरू हो गए हैं। मंगलवार को प्रदेश में कितनी जगह जंगल में आग लगी, इसको लेकर वन विभाग और भारतीय वन सर्वेक्षण के आंकड़े अलग-अलग हैं। वन विभाग के अनुसार, मंगलवार को 24 जगहों में आग लगी हैं। जबकि भारतीय वन सर्वेक्षण ने 89 जगह आग लगने की सूचना वन विभाग को दी है। वह आपदा प्रबंधन के नोडल अधिकारी व मुख्य वन संरक्षक पीके सिंह ने बताया कि गढ़वाल व कुमाऊं क्षेत्
झील में डूबा अतीत, भविष्य अधर में
Posted on 02 May, 2019 11:33 AMयूं तो नदियों के किनारे मानव सभ्यता जन्मी है, लेकिन टिहरी झील एक पूरी मानव सभ्यता को डुबो कर अस्तित्व में आई है। पानी के किनारे बसे लोगों को जीने के लिए, आजीविका के लिए, कहीं और जाने की जरूरत नहीं होती। लेकिन टिहरी झील के किनारे बसे सैकड़ों गांव के लोग कहते हैं कि हमें तो काला पानी की सजा हो गई है। उनके आजीविका के साधन नष्ट हो गए, खेत डूब गए, जंगल उजड़ गए। पशुओं को चारा तक उपलब्ध कराना मुश्किल है
सूखे सकलाना को लहलहाते जंगल में बदला
Posted on 19 Jan, 2019 11:40 AMनई टिहरी: कोई अपना पूरा जीवन पौधे लगाने और उनका संरक्षण करने में लगा सकता है। यकीन करना मुश्किल है। लेकिन सच मानिये, टिहरी जिले के सकलाना पट्टी के पुजारगाँव निवासी विश्वेश्वर दत्त सकलानी ऐसी ही शख्सियत थे। जिन्होंने आठ साल की उम्र से पौधे ल