नदियां

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केन का दर्द
Posted on 24 Feb, 2010 02:51 PM वर्तमान के बुन्देलखंड पर गौर करें तो अकाल से असमय मौतें, आत्महत्यायें, भुखमरी और कर्ज की यात्रा में सुरताल करते हताश किसानों का चित्र उभर कर आता है। शहरों का गंदा पानी, शहरों के कचरे से पटते तालाब, 75 प्रतिशत तालाबों पर जारी अतिक्रमण, खुले में शौच निपटान और बजबजाती नालियों से बुन्देलखंड के शहरों का एक और चित्र बनता है। बांदा जिले की एक मात्र जलधारा केन जो कि उत्तर एवं मध्य विन्ध्य क्षेत्र बुन्देलख
उर्मिल
Posted on 22 Feb, 2010 10:25 AM

उर्मिल सिंचाई परियोजना मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश की संयुक्त परियोजना है। जो छतरपुर-कानपुर मार्ग पर उर्मिल नदी पर बनाई गई है। उर्मिल बाँध का निर्माण उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा कराया गया है तथा नहरों का निर्माण मध्यप्रदेश शासन ने किया है। इस परियोजना के पूर्ण हो जाने से रवि फसलों के लिए सिंचाई की सुविधा प्राप्त हुई है।

यमुना
Posted on 22 Feb, 2010 09:59 AM

पुनिसिय राम लखन कर जोरी, जमुनहिं कीन्ह प्रणाम वहोरी,
चले ससीय मुदीत दोउ भाई, रवि तनुजा कइ करत बड़ाई।
(रा.च.मा.) अयोध्या काण्ड, दो 111/1

उक्त चौपाइयाँ रामचरितमानस में यमुना के बारे में उद्धृत की गई हैं।

तरणि तनुजा तट तमाल तरुवर बहु छाये।

यमुना नदी का अपभ्रंश नाम जमुना भी है इसे कालिंदी और कई नामों से जाना जाता है।

सिंध
Posted on 22 Feb, 2010 08:42 AM

सिंध नदी मध्यप्रदेश के गुना जिले के सिरोंज के समीप से उद्गमित होती है। गुना, शिवपुरी, दतिया और भिण्ड जिलों में यात्रा करती हुई सिन्ध इन क्षेत्रों को अभिसिंचित करती है। इसके तट पर अनेक दर्शनीय और धार्मिक स्थल मानव मन को उद्वेलित करते हैं। इसकी यात्रा का अंतिम पड़ाव दतिया-डबरा के मध्य उत्तर-दिशा की ओर बहकर चम्बल नदी है।

नर्मदा
Posted on 20 Feb, 2010 05:00 PM

‘नमामि देवि नर्मदे’ मेकलसुता महीयसी नर्मदा को रेवा नाम से भी जाना जाता है। नर्मदा भारतीय प्रायद्वीप की सबसे पुरानी, प्रमुख और भारत की पाँचवी बड़ी नदी है। विन्ध्य की उपत्यकाओं में बसा अमरकंटक एक वन प्रदेश है। जहाँ की जैव विविधता अत्यन्त समृद्ध है। नर्मदा को मध्यप्रदेश की जीवन रेखा भी कहा जाता है। जिस मिलन बिन्दु से विन्ध्य और सतपुड़ा पर्वतमालायें प्रारम्भ होती हैं, वहीं स्थल अमरकंटक है। इसे आदिक

चम्बल
Posted on 20 Feb, 2010 03:46 PM


इत यमुना उत नर्मदा, इत चम्बल उत टौंस,
छत्रसाल से लरन की, रही न काहू हौंस।

धसान
Posted on 20 Feb, 2010 03:23 PM

शोणो महानदश्चात्र नर्मदा सुरसरि क्रिया
मंदाकिनी दशार्णा च चित्रकूटस्त थैव च।


(मार्कण्डेय पुराण 57/20)

चेलना नदी
Posted on 19 Feb, 2010 08:21 PM पावा क्षेत्र जैन धर्मावलम्बियों का तीर्थ स्थल है। इसी क्षेत्र के दक्षिण, पश्चिम की ओर चेलना नदी बहती है। यह बेतवा की सहायक नदी है। चेलना आगे चलकर बेतवा में मिल जाती है। दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र पावा जी क्षेत्र से जैन मुनि को मोक्ष मिला था। यहाँ की पहाड़ी सिद्ध पहाड़ी कहलाती है। यह पहाड़ी चेलना नदी के किनारे स्थित है। यहां अनेक वेदियों वाला मन्दिर, मौसरा गुफा, मंदिर प्रांगण में मान स्तम्भ हैं। गुफ
नदियाँ
Posted on 18 Feb, 2010 05:12 PM

वे सभी जल धाराएँ जो भूमि पर स्वाभाविक रूप से बहती हैं, नदियाँ कहलाती हैं। नदियाँ निरंतर बहती रहें यह प्रकृति का नियम है। यह जल चक्र श्रृंखला का आवश्यक अंग है। नदी समुद्र में समाहित होती है। समुद्र का जल वाष्प बनकर पुनः वर्षा का रूप धारण करता है। और यह जल फिर समुद्र में मिल जाता है। नदियाँ पृथ्वी की ऊपरी सतह का व्यापक और विशिष्ट भौतिक रूप होती हैं। भूमि, ढाल और वर्षा से यह उत्पन्न होती हैं। नदिय

अभिशाप या वरदान : केन- बेतवा गठजोड़
Posted on 08 Feb, 2010 11:14 AM

सेवा में,
माननीय प्रधानमंत्री महोदय, (प्रशासनिक कार्यालय)
भारत सरकार , नई दिल्ली

विषय: केन बेतवा गठजोड़ समझौता 25 अगस्त 2005 के बुंदेलखंड उप्र - मप्र विन्ध्य क्षेत्र के संदर्भ में -


महोदय,
केन बेतवा नदी को जोड़ने के लिये 25 अगस्त 2005 को एक समझौता ज्ञापन पर उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री माननीय मुलायम सिंह यादव, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर और केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री प्रिय रंजनदास मुंशी द्वारा आपकी उपस्थिति में हस्ताक्षर किये गये हैं। उक्त समझौता ज्ञापन के मुताबिक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर)

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