होशंगाबाद जिला

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लाख की खेती नहीं होने से रोजी का संकट
Posted on 13 May, 2014 11:05 AM पहले जंगल से वनोपज मिल जाती थी। महुआ, गुल्ली, तेंदू, अचार, गोंद, आं
farmer
नर्मदा के घाट पर
Posted on 31 Oct, 2013 04:28 PM एक महिला मिली, जो स्थानीय थी। नर्मदा तट के किनारे की प्लास्टिक की प
Narmada river
याद आती है दुधी
Posted on 27 Oct, 2013 11:50 AM पहले नदियों में बच्चे अपने अभिभावकों के साथ नहाने आते थे तो रेत में घंटों खेलते थे। रेत का घर बनाते थे
dudhi river
बरसाती हो गईं सतपुड़ा की नदियां
Posted on 05 Oct, 2013 10:39 AM सतपुड़ा की नदियां वनजा हैं, हिमजा नहीं। यानी उनका जलस्त्रोत वन हैं,
machhwasa river
रंग-रेखाओं में बसा लोक
Posted on 09 Sep, 2013 01:16 PM अमृतलाल वेगड़ की नर्मदा परिक्रमा एक तरह से उनकी कलायात्रा भी है। नदी-संस्कृति के तमाम रूप उनके चित्रों और रेखांकनों में मुखरित हुए हैं। साथ में लोकजीवन की दूसरी बहुतेरी छवियां भी उनके रचना संसार में रची-बसी हैं। उनके कलारूपों को कलमबद्ध कर रहे हैं राजेश कुमार व्यास।

अमृतलाल वेगड़ ने नर्मदा की चार हजार से अधिक किलोमीटर की पदयात्रा की है। इस पदयात्रा में निर्जन वन, पहाड़, नदी के संगम गुफाओं, चट्टानों, आदिवासियों, ग्रामीणों की संस्कृति को उन्होंने गहरे से छुआ। अनुभूत किया नर्मदाव्रती चित्रकार के रूप में तात्कालिक स्तर पर रेखाओं के जो जीवनानुभव उन्होंने उकेरे बाद में उनके आधार पर ही रंगीन पेपर कोलाजों में उन्हें अनूठे रूपाकर दिए। इन्हीं में उन्होंने नर्मदा की अपनी की पदयात्रा को फिर से एक प्रकार से जिया भी है। नर्मदा, अमृतलाल वेगड़ के लिए नदी नहीं, पूरी एक संस्कृति है। रेखाओं की सांगीतिक लय में वह नदी और उससे जुड़े संस्कारों,सभ्यता और जीवन से जुड़े तमाम दूसरे सरोकारों से हमारा अपनापा कराते हैं। उनके रेखाचित्रों और पेपर कोलाज में नदी मधुर गान करती हमें लुभाती है तो कभी चीखती-चिल्लाती अपनी पीड़ा भी बताती है। कभी नदी के मोड़ हमसे बतियाते अपने साथ चलने के लिए आमंत्रित करते हैं तो कभी तट के गांव और आदिवासी सभ्यता से जुड़े सरोकार औचक ही हममें बसने लगते हैं। उनके चित्र देखने के हमारे संस्कारों को एक तरह से संपन्न करते हैं। उनके चित्रों में नर्मदा नदी रूप में नहीं, संस्कृति के रूप में हममें जैसे प्रवेश करती है। चित्र देखते लगता है, नर्मदा नदी का अनथक यात्री हमें भी अपने साथ पद परिक्रमा करा रहा है। सम् और कृति के योग से बना है संस्कृति शब्द। संस्कृति इस अर्थ में सम्गति की द्योतक ही तो है।
बारिश ने बढ़ाया किसानों का संकट
Posted on 03 Aug, 2013 01:17 PM मध्य प्रदेश में होशंगाबाद जिले में सोयाबीन की खेती की शुरूआत हुई। प
rain water
नदियों के दम तोड़ने से मछुआरों की रोजी-रोटी संकट में
Posted on 03 Aug, 2013 12:36 PM आधुनिक खेती में ज्यादा प्यासे बीजों के आने से भी नदियों के भू-पृष्ठ के पानी को खींचा ही जा रहा है। सी
river
तवा बांध : कितना नफा, कितना नुकसान
Posted on 27 Jul, 2013 01:51 PM

35 साल के अनुभव का आकलन

देनवा का अनुपम सौंदर्य
Posted on 20 Jul, 2013 09:14 AM कुल मिलाकर, देनवा जैसी छोटी नदियों का बहुत महत्व है। सतपुड़ा से निकलने वाली ज्यादातर नदियां धीरे-धीरे
denwa river
राष्ट्रीय मीडिया संवाद के निहितार्थ
Posted on 19 Jul, 2013 09:52 AM प्रसिद्ध पर्यावरणविद् और लेखक अनुपम मिश्र ने कहा इस देश को देश का आम आदमी चला रहा है। यह सोचना गलत है
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